चतुर्थ कोष्ठ का अर्घ्य शतक part 10 (chaturth koshth ka arghya shatak)

 चतुर्थ कोष्ठ का अर्घ्य शतक

ये पुण्य अनोखे हे जगदम्बे, तव ढिग लेकर में आया ।
चरणों में अर्पण करता हूँ माँ मिटे जगत का अंधियारा ।।
हम तेरे चरणों में आये, शुभ कर्म की इच्छा लेकर ।
अति शीघ्र करो माता तेरी शरण गही, दया कर दो ।। १।।
इति अतुर्थ कोष्ठ पर पुष्पांजलि क्षेपण करें।
जिनमाता भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेल सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जिनमात्रे नमः, अर्घ्य ।
जिनेन्द्रा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ३ ।।
ॐ जां कों ह्रीं जिनेन्द्रायै नमः, अर्घ्य ।
जयंती भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ४ ।।
ॐ आं को ही जयंत्यै नमः, अयं ।
जगदी गरी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ५।।
ॐ आं कों हीं जगदीश्वर्यै नमः, अर्घ्य ।
जेया भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ६ ।।
ॐ आं को कीं जेयायै नमः, अयं ।
जयवती भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ७।।
ॐ आं को हीं जयवत्यै नमः, अर्घ्य ।
जाया भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे ।। ८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जायायै नमः, अर्घ्य ।
जननी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं जनन्यै नमः, अर्घ्य ।
जनपालिनी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे । ।१० ।।
ॐ आं कों ह्रीं जनपालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जगन्मातृ भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
 नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ११ ।।
ॐ आं कों हीं जगन्मात्रे नमः, अर्घ्य ।
जगन्माया भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १२ ।।
ॐ आं को हीं जगन्मायायै नमः, अर्घ्य ।
जगज्योतिषू भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे । ।१३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जगज्योतिषे नमः, अर्घ्य ।
जगञ्जिता भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जगजितायै नमः, अर्घ्य ।
जागरा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १५ ।।
ॐ आं को हीं जागरायै नमः, अर्घ्य ।
जर्जरा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं जर्जरायै नमः, अर्घ्य ।
जेत्री भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे ।। १७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जेव्यै नमः, अर्घ्य ।
जमुना भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे ।। १८ ।।
ॐ आं को ह्रीं जमुनायै नमः, अर्घ्य ।
जननी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं जनन्यै नमः, अर्घ्य ।
जनपालिनी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १० ।।
ॐ आं कों ह्रीं जनपालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जगन्मातृ भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ११ ।।
ॐ आं कों हीं जगन्मात्रे नमः, अर्घ्य ।
जगन्माया भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १२ ।।
ॐ आं को हीं जगन्मायायै नमः, अर्घ्य ।
जगज्योतिषू भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे ।। १३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जगज्योतिषे नमः, अर्घ्य ।
जगञ्जिता भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जगजितायै नमः, अर्घ्य ।
जागरा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १५ ।।
ॐ आं को हीं जागरायै नमः, अर्घ्य ।
जर्जरा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा 
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं जर्जरायै नमः, अर्घ्य ।
जेत्री भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे ।। १७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जेव्यै नमः, अर्घ्य ।
जमुना भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ जावे ।। १८ ।।
ॐ आं को ह्रीं जमुनायै नमः, अर्घ्य ।
जलवासिनी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। १६ ।।
ॐ आं कों हीं जलबासिन्यै नमः, अयं ।
योगिनी भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २० ।'
ॐ आं कों हीं योगिन्यै नमः, अर्घ्य ।
योगमूला भी नाम तुम्हारा, तुम्हारा, गुणी गुणा जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २१ |
ॐ आं कों हीं योगमूलायै नमः, अर्घ्य ।
जगद्धात्री भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २२ ।।
ॐ आं कों हीं जगद्धात्र्यै नमः, अर्घ्य ।
जगद्धरा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २३ ।।
ॐ आं को हीं जगद्धरायै नमः, अर्घ्य ।
योगपट्टद्यरा भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २४ ।।
ॐ आं कों हीं योगपट्टधरायै नमः, अर्घ्य ।
ज्वाला भी नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये प्यारा
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। २५ ।|
ॐ आं कों हीं ज्वालायै नमः, अर्घ्य ।
ज्योतिरूपा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। २६ ।।
ॐ आं कों ही ज्योतिरूपायै नमः, अर्घ्य ।
ज्वालिनी सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुखियों के संकट मिट जावे ।। २७ ।।
ॐ आं को ही ज्वालिन्यै नमः, , अर्घ्य ।
ज्वालामुखी सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। २८ ।।
ॐ आं को ही ज्वालामुख्यै नमः, अर्घ्य ।
 
 
 
 
 
 
ज्योत्स्ना सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जाये, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ३६ ।।
ॐ आं को ही ज्योत्स्नायै नमः, अर्घ्य ।
ज्वरनाशिनी सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ४० ।।
ॐ आं कों ही ज्वरनाशिन्यै नमः, , अर्घ्य ।
ज्वरलोपा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ४१ ।।
ॐ आं को ही ज्वरलोपायै नमः, अर्घ्य ।
जराजीर्णा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ४२ ।।
ॐ आं कों ही जराजीणाय नमः, अयं ।
जांगुलाऽभयतर्जिनी सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे । ।४३ ।।
ॐ आं कों हीं जांगुलाऽपयनर्जिन्यै नमः, अयं ।
युगभद्रा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ४४ ।।
 ॐ आं कों ही युगप्रदायै नमः, अर्घ्य ।
जगन्मित्रा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।।४५ ।।
को ही जगन्मित्रायै नमः, , अर्घ्य ।
यत्रिणी सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं मंत्रिष्यै नमः, अर्घ्य ।
जनभूषणा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इष्ठित वस्तु सभी मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ४७ ।।
ॐ आं कों ही जनभूषणायै नमः, अर्घ्य ।
योगेश्वरी सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जाये, दुःखियों। योगेश्वयै नमः, अर्घ्य ।
ॐ आं  कों ह्रीं के संकट मिट जावे ।। ४८ ।।
बोगांगा सब संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित बस्तु तभी मिल जावे, दुखियों के संकट मिट जावे ।। ४६ ।।
ॐ आं कों ही योगांगाये नमः, अर्घ्य ।
 योगयुक्ता सग संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी मिल जाये, दुःखियों के संकट मिट जावे ।। ५० ।।
ॐ आं कों ही योगयुक्तायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही युगादिजा कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं युगादिजायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही यथार्थवादिनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५२ ।।
ॐ आं को ह्रीं ययार्थवादिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही जंबूनदकान्तिघरा कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा । ।५३ ।।
ॐ आं कों हीं जंबूनदकान्तिधरायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही जया कहलाए।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं जयायै नमः, अर्घ्य।
युग के आदि में जो जाये, वही निमेषा कहलाए।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५५ ।।
ॐ आं कों ही निमेषायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नर्तिनी कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५६ ।।
ॐ आं को हीं नर्तिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही ता कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५७ ।।
ॐ आं कों हीं तायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नारायणी कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५८ ।।
ॐ आं कों हीं नारायष्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निर्मदा कहलाए।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५६ ।।
ॐ आं को ही निमंदारी नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नीलात्मिका कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६० ।।
ॐ आं को हमें नीलात्मिकायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निराकारा कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६१ ।।
ॐ आं कों ही निराकारायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निराधारा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६२ ।।
ॐ आं को हीं निराधारायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निराश्रया कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६३ ।।
ॐ आं को ही निराश्रयायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नृपवश्या कहलाए।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६४ ।।
ॐ आं को ही नृपवश्यायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निरामान्या कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६५ ।।
ॐ आं को ही निरामान्यायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निःसंगा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं निःसंगायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नृपनदिनी कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६७ ।।
ॐ आं कों हीं नृपनदिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नृपधर्ममयी कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६८ ।।
ॐ आं को हीं नृपधर्ममय्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नीति कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं नील्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नूतनी कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ॥ ७० ।।
ॐ आं कों हीं नूतन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नरपालिनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ५१ ।।
ॐ आं कों हीं नरपालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नंदा कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ७२ ।।
ॐ आं को हीं नंदायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नन्दवती कहलाए ।
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ७३ ।।
ॐ आं को हीं नन्दवत्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही निष्ठा कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ७४ ।।
ॐ आं कों हीं निष्ठायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में जो जाये, वही नीरदा कहलाए
नाम तुम्हारा है अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा ।। ७५ ।।
ॐ आं कों हीं नीरदायै नमः, अर्घ्य ।
नागों का राजा अति प्यारा, धरणीधर ने जग को धारा ।
नाग वल्लभा तुम्ह कहलाई, तव भक्ति करी मनलाइ ।। ७६ ।।
ॐ आं कों हीं नागवल्लभायै नमः, अर्घ्य ।
नृत्यप्रिया तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ७७ ।।
ॐ आं कों हीं नृत्यप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
नन्दिनी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ७८ ।।
ॐ आं कों हीं नन्दिन्यै नमः, अर्घ्य ।
नित्या तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ७६ ।।
ॐ आं कों ही नित्यायै नमः, अर्घ्य ।
नौका भी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८० ।।
ॐ आं को हीं नौकायै नमः, अर्घ्य ।
निरामया तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं निरामयायै नमः, अर्घ्य।
नागपाशधरा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८२ ।।
ॐ आं कों हीं नागपाशधरायै नमः, अर्घ्य ।
नौका तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८३ ।।
ॐ आं को हीं नौकायै नमः, अर्घ्य ।
निष्कलंका तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८४ ।।
ॐ आं को ही निष्कलंकायै नमः, अर्घ्य ।
निरागसा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं निरागसायै नमः, अर्घ्य ।
नागवल्ली तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८६ ।।
ॐ आं को हीं नागवल्ल्यै नमः, अर्घ्य ।
नागकन्या तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।।  ८७ ।।
ॐ आं को हीं नागकन्यायै नमः, अर्घ्य ।
नागिनी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८८ ।।
ॐ आं कों ही नागिन्यै नमः, अर्घ्य ।
नागकुण्डली तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८६ ।।
ॐ आं को हीं नागकुण्डल्यै नमः, अर्घ्य ।
निद्रा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जाये ।। ६० ।।
ॐ आं को ही निद्रायै नमः, अर्घ्य।
नागदमनी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६१ ।।
ॐ आं को हीं नागदमन्यै नमः, अर्घ्य ।
नेत्रीदेवी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६२ ।।
ॐ आं को हीं नैत्र्यै नमः, अर्घ्य ।
नाराचवर्षिणी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।।   ६३ ।।
ॐ आं को हीं नाराचविर्षण्यै नमः, अर्घ्य ।
निर्विकारा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६४ ।।
ॐ आं को हीं निर्विकारायै नमः, अर्घ्य ।
निर्वेरा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६५ ।।
ॐ आं को हीं निर्देरायै नमः, अर्घ्य ।
नागनाथा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं नागनायायै नमः, अर्घ्य ।
नागकल्पभा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६७ ।।
ॐ आं को हीं नागकल्पभायै नमः, अर्घ्य ।
नागस्वामिननी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६८ ।।
ॐ आं कों हीं नागस्वामिन्यै नमः, अर्घ्य ।
नागरमणी तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६६ ||
ॐ आं कों ह्रीं नागरमण्यै नमः, अर्घ्य ।
निर्लोभा तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे 1900 ||
ॐ आं कों ही निर्लोमायै नमः, अर्घ्य ।
नित्या तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई
भूत-प्रेत सब ही भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| 1909 ||
ॐ आं कों हीं नित्यानन्दविषायिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जाप्यमंत्र
ॐ हीं अहं पद्मावतीदेव्यै नमः।
मम इच्छितफलं देहि, स्वाहा । १०८ बार लौंग से ।
जलफलादि वसु द्रव्य मिलाकर तव चरणों में आया हूँ।
पूर्ण अर्घ्य से पूजा करके मनवाच्छित फल पाया हूँ ।।
पद्मावती चरण कमल पर वारि वारि जाऊँ मन वच काय ।
हे करुणा निधि, सब दुख मेढे, याते में पूजूँ अब आय ।।
ॐ आं कों हीं जिनमात्रादि नित्यानन्दविधायिन्यन्त शतनामधरिण्ये
 नमः, अर्घ्य समर्पयामि, स्वाहा।
।। शांतिधारा, पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।

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