चतुर्थ कोष्ठ का अर्घ्य शतक
ये पुण्य अनोखे
हे जगदम्बे, तव ढिग लेकर में
आया ।
चरणों में अर्पण
करता हूँ माँ मिटे जगत का अंधियारा ।।
हम तेरे चरणों
में आये, शुभ कर्म की इच्छा लेकर ।
अति शीघ्र करो
माता तेरी शरण गही, दया कर दो ।। १।।
इति अतुर्थ कोष्ठ
पर पुष्पांजलि क्षेपण करें।
जिनमाता भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेल सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जिनमात्रे नमः, अर्घ्य ।
जिनेन्द्रा भी
नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ३ ।।
ॐ जां कों ह्रीं
जिनेन्द्रायै नमः, अर्घ्य ।
जयंती भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ४ ।।
ॐ आं को ही
जयंत्यै नमः, अयं ।
जगदी गरी भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ५।।
ॐ आं कों हीं
जगदीश्वर्यै नमः, अर्घ्य ।
जेया भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ६ ।।
ॐ आं को कीं
जेयायै नमः, अयं ।
जयवती भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ७।।
ॐ आं को हीं
जयवत्यै नमः, अर्घ्य ।
जाया भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे ।। ८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जायायै नमः, अर्घ्य ।
जननी भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं
जनन्यै नमः, अर्घ्य ।
जनपालिनी भी नाम तुम्हारा,
गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
। ।१० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जनपालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जगन्मातृ भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे ।। ११ ।।
ॐ आं कों हीं
जगन्मात्रे नमः, अर्घ्य ।
जगन्माया भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १२ ।।
ॐ आं को हीं
जगन्मायायै नमः, अर्घ्य ।
जगज्योतिषू भी
नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे । ।१३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जगज्योतिषे नमः, अर्घ्य ।
जगञ्जिता भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जगजितायै नमः, अर्घ्य ।
जागरा भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १५ ।।
ॐ आं को हीं
जागरायै नमः, अर्घ्य ।
जर्जरा भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १६ ।।
ॐ आं को हीं
जर्जरायै नमः, अर्घ्य ।
जेत्री भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे ।। १७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जेव्यै नमः, अर्घ्य ।
जमुना भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे ।। १८ ।।
ॐ आं को ह्रीं
जमुनायै नमः, अर्घ्य ।
जननी भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं
जनन्यै नमः, अर्घ्य ।
जनपालिनी भी नाम तुम्हारा,
गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जनपालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जगन्मातृ भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। ११ ।।
ॐ आं कों हीं
जगन्मात्रे नमः, अर्घ्य ।
जगन्माया भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १२ ।।
ॐ आं को हीं
जगन्मायायै नमः, अर्घ्य ।
जगज्योतिषू भी
नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे ।। १३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जगज्योतिषे नमः, अर्घ्य ।
जगञ्जिता भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जगजितायै नमः, अर्घ्य ।
जागरा भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १५ ।।
ॐ आं को हीं
जागरायै नमः, अर्घ्य ।
जर्जरा भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १६ ।।
ॐ आं को हीं
जर्जरायै नमः, अर्घ्य ।
जेत्री भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे ।। १७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जेव्यै नमः, अर्घ्य ।
जमुना भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नज्ञ
जावे ।। १८ ।।
ॐ आं को ह्रीं
जमुनायै नमः, अर्घ्य ।
जलवासिनी भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। १६ ।।
ॐ आं कों हीं
जलबासिन्यै नमः, अयं ।
योगिनी भी नाम तुम्हारा,
गुणी जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २० ।'
ॐ आं कों हीं
योगिन्यै नमः, अर्घ्य ।
योगमूला भी नाम
तुम्हारा, तुम्हारा, गुणी गुणा जन गुण को गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २१ |।
ॐ आं कों हीं
योगमूलायै नमः, अर्घ्य ।
जगद्धात्री भी
नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २२ ।।
ॐ आं कों हीं
जगद्धात्र्यै नमः, अर्घ्य ।
जगद्धरा भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २३ ।।
ॐ आं को हीं
जगद्धरायै नमः, अर्घ्य ।
योगपट्टद्यरा भी
नाम तुम्हारा, गुणी जन गुण को
गाये प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २४ ।।
ॐ आं कों हीं
योगपट्टधरायै नमः, अर्घ्य ।
ज्वाला भी नाम
तुम्हारा, गुणी जन गुण को गाये
प्यारा ।
नाम लेत सब दुःख
मिट जावे, सब संकट क्षण में नश जावे
।। २५ ।|
ॐ आं कों हीं
ज्वालायै नमः, अर्घ्य ।
ज्योतिरूपा सब
संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। २६ ।।
ॐ आं कों ही
ज्योतिरूपायै नमः, अर्घ्य ।
ज्वालिनी सब संकट
हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुखियों के संकट मिट जावे
।। २७ ।।
ॐ आं को ही
ज्वालिन्यै नमः, , अर्घ्य ।
ज्वालामुखी सब
संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। २८ ।।
ॐ आं को ही
ज्वालामुख्यै नमः, अर्घ्य ।
ज्योत्स्ना सब
संकट हारी, ध्यान करें सब
नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जाये, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ३६ ।।
ॐ आं को ही ज्योत्स्नायै
नमः, अर्घ्य ।
ज्वरनाशिनी सब
संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ४० ।।
ॐ आं कों ही
ज्वरनाशिन्यै नमः, , अर्घ्य ।
ज्वरलोपा सब संकट
हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ४१ ।।
ॐ आं को ही
ज्वरलोपायै नमः, अर्घ्य ।
जराजीर्णा सब
संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ४२ ।।
ॐ आं कों ही
जराजीणाय नमः, अयं ।
जांगुलाऽभयतर्जिनी
सब संकट हारी, ध्यान करें सब
नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे । ।४३ ।।
ॐ आं कों हीं
जांगुलाऽपयनर्जिन्यै नमः, अयं ।
युगभद्रा सब संकट
हारी, ध्यान करें सब नर-नारी।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ४४ ।।
ॐ आं कों ही युगप्रदायै नमः, अर्घ्य ।
जगन्मित्रा सब
संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।।४५ ।।
को ही
जगन्मित्रायै नमः, , अर्घ्य ।
यत्रिणी सब संकट
हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट जावे
।। ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
मंत्रिष्यै नमः, अर्घ्य ।
जनभूषणा सब संकट
हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इष्ठित वस्तु सभी
मिल जावे, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ४७ ।।
ॐ आं कों ही
जनभूषणायै नमः, अर्घ्य ।
योगेश्वरी सब
संकट हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जाये, दुःखियों। योगेश्वयै नमः,
अर्घ्य ।
ॐ आं कों ह्रीं के
संकट मिट जावे ।। ४८ ।।
बोगांगा सब संकट
हारी, ध्यान करें सब
नर-नारी ।
इच्छित बस्तु तभी
मिल जावे, दुखियों के संकट मिट जावे
।। ४६ ।।
ॐ आं कों ही
योगांगाये नमः, अर्घ्य ।
योगयुक्ता सग संकट
हारी, ध्यान करें सब नर-नारी ।
इच्छित वस्तु सभी
मिल जाये, दुःखियों के संकट मिट
जावे ।। ५० ।।
ॐ आं कों ही
योगयुक्तायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही युगादिजा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
युगादिजायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही यथार्थवादिनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५२ ।।
ॐ आं को ह्रीं
ययार्थवादिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही जंबूनदकान्तिघरा
कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा । ।५३ ।।
ॐ आं कों हीं
जंबूनदकान्तिधरायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही जया कहलाए।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
जयायै नमः, अर्घ्य।
युग के आदि में
जो जाये, वही निमेषा कहलाए।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५५ ।।
ॐ आं कों ही
निमेषायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नर्तिनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५६ ।।
ॐ आं को हीं
नर्तिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही ता कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५७ ।।
ॐ आं कों हीं
तायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नारायणी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५८ ।।
ॐ आं कों हीं
नारायष्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निर्मदा
कहलाए।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५६ ।।
ॐ आं को ही
निमंदारी नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नीलात्मिका कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६० ।।
ॐ आं को हमें
नीलात्मिकायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निराकारा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६१ ।।
ॐ आं कों ही
निराकारायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निराधारा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६२ ।।
ॐ आं को हीं
निराधारायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निराश्रया कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६३ ।।
ॐ आं को ही
निराश्रयायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नृपवश्या कहलाए।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६४ ।।
ॐ आं को ही
नृपवश्यायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निरामान्या कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६५ ।।
ॐ आं को ही
निरामान्यायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निःसंगा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं
निःसंगायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नृपनदिनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६७ ।।
ॐ आं कों हीं
नृपनदिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नृपधर्ममयी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ६८ ।।
ॐ आं को हीं
नृपधर्ममय्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नीति कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल जयकारा
।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं
नील्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नूतनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ॥ ७० ।।
ॐ आं कों हीं
नूतन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नरपालिनी कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ५१ ।।
ॐ आं कों हीं
नरपालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नंदा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ७२ ।।
ॐ आं को हीं
नंदायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नन्दवती कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ७३ ।।
ॐ आं को हीं
नन्दवत्यै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही निष्ठा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ७४ ।।
ॐ आं कों हीं
निष्ठायै नमः, अर्घ्य ।
युग के आदि में
जो जाये, वही नीरदा कहलाए ।
नाम तुम्हारा है
अति प्यारा, देव करें सब मिल
जयकारा ।। ७५ ।।
ॐ आं कों हीं
नीरदायै नमः, अर्घ्य ।
नागों का राजा
अति प्यारा, धरणीधर ने जग को
धारा ।
नाग वल्लभा तुम्ह
कहलाई, तव भक्ति करी मनलाइ ।। ७६ ।।
ॐ आं कों हीं
नागवल्लभायै नमः, अर्घ्य ।
नृत्यप्रिया
तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो
सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ७७ ।।
ॐ आं कों हीं
नृत्यप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
नन्दिनी तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ७८ ।।
ॐ आं कों हीं
नन्दिन्यै नमः, अर्घ्य ।
नित्या तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो
सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ७६ ।।
ॐ आं कों ही
नित्यायै नमः, अर्घ्य ।
नौका भी तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८० ।।
ॐ आं को हीं
नौकायै नमः, अर्घ्य ।
निरामया तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
निरामयायै नमः, अर्घ्य।
नागपाशधरा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८२ ।।
ॐ आं कों हीं
नागपाशधरायै नमः, अर्घ्य ।
नौका तुम्ह कहलाई,
भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८३ ।।
ॐ आं को हीं
नौकायै नमः, अर्घ्य ।
निष्कलंका तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८४ ।।
ॐ आं को ही
निष्कलंकायै नमः, अर्घ्य ।
निरागसा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
निरागसायै नमः, अर्घ्य ।
नागवल्ली तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८६ ।।
ॐ आं को हीं
नागवल्ल्यै नमः, अर्घ्य ।
नागकन्या तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ८७ ।।
ॐ आं को हीं
नागकन्यायै नमः, अर्घ्य ।
नागिनी तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८८ ।।
ॐ आं कों ही
नागिन्यै नमः, अर्घ्य ।
नागकुण्डली तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| ८६ ।।
ॐ आं को हीं
नागकुण्डल्यै नमः, अर्घ्य ।
निद्रा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जाये ।। ६० ।।
ॐ आं को ही
निद्रायै नमः, अर्घ्य।
नागदमनी तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही भग
जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६१ ।।
ॐ आं को हीं
नागदमन्यै नमः, अर्घ्य ।
नेत्रीदेवी तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।।
६२ ।।
ॐ आं को हीं
नैत्र्यै नमः, अर्घ्य ।
नाराचवर्षिणी
तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो
सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६३ ।।
ॐ आं को हीं
नाराचविर्षण्यै नमः, अर्घ्य ।
निर्विकारा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६४ ।।
ॐ आं को हीं
निर्विकारायै नमः, अर्घ्य ।
निर्वेरा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६५ ।।
ॐ आं को हीं
निर्देरायै नमः, अर्घ्य ।
नागनाथा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं
नागनायायै नमः, अर्घ्य ।
नागकल्पभा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६७ ।।
ॐ आं को हीं
नागकल्पभायै नमः, अर्घ्य ।
नागस्वामिननी
तुम्ह कहलाई, भक्त जनों की करो
सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६८ ।।
ॐ आं कों हीं
नागस्वामिन्यै नमः, अर्घ्य ।
नागरमणी तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो
सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।। ६६ ||
ॐ आं कों ह्रीं
नागरमण्यै नमः, अर्घ्य ।
निर्लोभा तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे । 1900 ||
ॐ आं कों ही
निर्लोमायै नमः, अर्घ्य ।
नित्या तुम्ह
कहलाई, भक्त जनों की करो सहाई ।
भूत-प्रेत सब ही
भग जावे, नाना संकट भी मिट जावे ।| 1909 ||
ॐ आं कों हीं
नित्यानन्दविषायिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जाप्यमंत्र
ॐ हीं अहं
पद्मावतीदेव्यै नमः।
मम इच्छितफलं
देहि, स्वाहा । १०८ बार लौंग से ।
जलफलादि वसु
द्रव्य मिलाकर तव चरणों में आया हूँ।
पूर्ण अर्घ्य से
पूजा करके मनवाच्छित फल पाया हूँ ।।
पद्मावती चरण कमल
पर वारि वारि जाऊँ मन वच काय ।
हे करुणा निधि,
सब दुख मेढे, याते में पूजूँ अब आय ।।
ॐ आं कों हीं
जिनमात्रादि नित्यानन्दविधायिन्यन्त शतनामधरिण्ये
नमः, अर्घ्य समर्पयामि, स्वाहा।
।। शांतिधारा,
पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।
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