कुछ यादे पहाड़ी अपने नियत समय में फल पककर तैयार हो ही जाता

#ककड़ी का जीवन #चौमासे भर तक ही सही एक छाप छोड़ जाती #सुखमय और #संतुष्ट जीवन की, #अनूभूति देखे #फूलचरया" लगने की, तबज्जो देखें पहले पहल के #ककड़ी की जिसे पत्तों से छुपा दिया जाता, परिपक्व ककड़ी का कहना ही क्या पहाडी रायते का कोई तोड नहीं, राई के दानों की मसालों से बनी रायते का कोई जोड़ नहीं, बिदाई और भी कष्टप्रद होती ककडी की जब  #झाल"में ढूंढ़े से एक कहीं मिल जाता जो मोती से भी अनमोल सुहाता




 #मोल तो कोई नहीं पर #अहमियत बहुत #पहाड़ी_फल मेव की, जहा सेब #नाशपाती की "चौल" हो वहां अपने वर्चस्व को पहाड़  मे कायम रखें है मेव, कोई अवसाद नहीं कोई मलाल नही उनकी बेरूखी पर,कोई तबज्जो न भी दे तो क्या #पक्षियों का पेट तो भर ही जाता है, अपने नियत समय में फल पककर तैयार हो ही जाता 



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