जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )

 जी राया जागि राया || हरेला पर गीत

Kumaoni/Garhwali Song - Ji Raya Jagi Raya || Lyrics on Harela

 जी राया जागी राया ||

उत्तराखंड के दोनों मंडल , कुमाऊँ मंडल और गढ़वाल मंडल में अनेकों प्रकार के लोक पर्व मनाए जाते हैं। दोनो क्षेत्रों में अपनी अपनी परम्पराओं के साथ बड़े हर्षोल्लास पूर्वक लोक पर्वों को मनाया जाता है। इसी प्रकार कुमाऊं मंडल में कई प्रमुख त्योहारों पर बुजुर्ग अपने से छोटा को, जी रया जागी रया ,jee raya jagi raya कुमाउनी आशीष वचन देते हैं। इनको कुमाउनी आशीर्वचन भी कहा जाता है।

कुमाउनी आशीष वचन मुख्यतः चढ़ाने वाले त्यौहारों पर दिए जाते हैं। अर्थात जिन त्योहारों में किसी अंकुरित अनाज पर या सबूत अनाज की प्राण प्रतिष्ठा करके उसे अपने कुल देवताओं को चढ़ा कर, रिश्ते में अपने से छोटे लोगों को आशीष के रुप चढ़ाते हैं, उस समय ये कुमाउनी आशीर्वचन गाये जाते है। या आशीष वचन बोले जाते हैं।

ये पारम्परिक शुभकामनायें , हरेले के त्यौहार को हरेले के पत्ते चढ़ाते समय, दीपावली बग्वाल में चूड़े चढ़ाते समय और बसंत पंचमी उत्तराखंड , के त्योहार के दिन जौ चढ़ाते वक़्त गाये जाते हैं। jee raya jagi raya  मुख्यतः हरेला पर्व के गीत हैं।

जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें

लाग हरयाव , लाग दशे ,

लाग बगवाव ।

जी रये जागी रये,

यो दिन यो बार भेंटने रये।

दुब जस फैल जाए,

बेरी जस फली जाईये।

हिमाल में ह्युं छन तक,

गंगा ज्यूँ में पाणी छन तक,

यो दिन और यो मास

भेंटने रये।।

अगाश जस उच्च है जे ,

धरती जस चकोव है जे।

स्याव जसि बुद्धि है जो,

स्यू जस तराण है जो।

जी राये जागी राये।

यो दिन यो बार भेंटने राये।।

जी राया जागी राया का मतलब

हरेले के त्योहार की शुभकामनाएं, दशहरे की शुभकामनाएं। जीते रहो, सजग रहो। तुम्हारी लंबी उम्र हो। इस शुभ दिन पर हर वर्ष मुलाकात करते रहना। जैसी दूर्वा अपनी मजबूत पकड़ के साथ धरती में फैलती जाती है, वैसे आप भी सम्रद्ध होना। बेरी के पौधों की तरह आप भी विपरीत परिस्थितियों में भी फलित, और फुलित रहना। जब तक हिमालय में बर्फ रहेगी,और जब तक गंगा जी मे पानी रहेगा, अर्थात अन्तन वर्षो तक तुमसे मुलाकात होती रहे ,ऐसी कामना है ।

आप आसमान के बराबर ऊँचे हो जाओ , धरती के जैसे चौड़े हो जाओ। आपका बुद्धि चातुर्य सियार जैसा तीव्र हो। आपके शरीर मे चीते की जैसी ,ताकत और फुर्ती हो। आप सदा जीते रहे, खुश रहें और हमारी मुलाकात सदा यू ही होती रहें। ( jee raye jaagi raye )    


हरेला पर्व – सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद गीत

हरेला, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र का एक विशेष त्यौहार है जो घर में सुख-समृद्धि, शांति, और अच्छी फसल की कामना के लिए मनाया जाता है। पहाड़ की पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस त्यौहार पर घर के बुजुर्ग सबसे पहले देवी-देवताओं और कुल देवताओं की पूजा करते हैं और फिर हरेला के पत्तों को आशीर्वचन के साथ परिवार के सदस्यों, विशेषकर बच्चों को चढ़ाते हैं। हरेला चढ़ाते समय बुजुर्ग यह पारंपरिक गीत गाते हैं, जो आशीर्वाद और जीवन की खुशहाली की कामना का प्रतीक है।


हरेला आशीर्वाद गीत:

जी रया, जागी रया,
यो दिन बार, भेटने रया।
दूबक जस जड़ हैजो,
पात जस पौल हैजो।
स्यालक जस त्राण हैजो,
हिमालय में ह्यू छन तक,
गंगा में पाणी छन तक,
हरेला त्यार मानते रया।
जी रया, जागी रया।


जी रया जागी रया – विस्तृत रूप:

लाग हर्याव, लाग दशैं, लाग बग्वाव।
जी रया, जागि रया,
य दिन, य महैंण कैं भ्यटनै रया।

“हरेला शुभ हो, दशमी और बग्वाली भी शुभ हो। हर साल यह दिन और महीना तुम्हारे जीवन में लौटता रहे।”

स्याव जसि बुद्धि है जौ,
स्युं जस तराण ऐ जौ।
घरती जस चाकव,
आकाश जस उच्च है जाया।

“तुम्हें सियार की तरह चतुराई मिले, सूर्य की तरह तेजस्विता मिले। तुम्हारा व्यक्तित्व धरती जितना विस्तृत और आकाश जितना ऊंचा हो।”

दूबकि जस जड़,
पाती क जस पौव है जौ।

“तुम्हारी जड़ें दूब की तरह मजबूत और शाखाएं पाती के पौधे की तरह पल्लवित होती रहें।”

हिंवाव में ह्यू छन तक,
गंगज्यू में पाणी छन तक,
जी रया, जागि रया।

“जैसे हिमालय में बर्फ और गंगा में पानी अनंतकाल तक बहता रहे, वैसे ही तुम्हारा जीवन भी अनंतकाल तक चलता रहे।”


जी रया जागी रया का अर्थ

  • लाग हर्याव, लाग दशैं, लाग बग्वाव: हरेला, दशमी और बग्वाली सभी तुम्हारे लिए शुभ हों।
  • जी रया, जागि रया: तुम हमेशा जीवित और स्वस्थ रहो।
  • य दिन, य महैंण कैं भ्यटनै रया: यह शुभ दिन और यह महीना हर वर्ष तुम्हारे जीवन में आए।
  • स्याव जसि बुद्धि है जौ: तुम्हारी बुद्धि सियार की तरह तीव्र और सूक्ष्म हो।
  • स्युं जस तराण ऐ जौ: तुम सूर्य की तरह तेजस्वी बनो।
  • घरती जस चाकव, आकाश जस उच्च है जाया: तुम धरती जितना स्थिर और आकाश जितना ऊँचा बनो।
  • दूबकि जस जड़, पाती क जस पौव है जौ: तुम्हारी पकड़ दूब की तरह मजबूत हो और तुम हमेशा नए पत्तों की तरह खिलते रहो।
  • हिंवाव में ह्यू छन तक, गंगज्यू में पाणी छन तक: हिमालय में बर्फ और गंगा में पानी हमेशा बहता रहे, वैसे ही तुम्हारा जीवन भी अनंतकाल तक चलता रहे।

हरेला के इस आशीर्वाद गीत में जीवन की खुशहाली, दीर्घायु, और सुख-समृद्धि की सुंदर कामना छिपी हुई है। यह गीत उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है, जो परिवार के सभी सदस्यों को प्रकृति के अनमोल आशीर्वाद के साथ जोड़ता है।

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