प्रेम की पराकाष्ठा: अनूठा, अलौकिक, अभूतपूर्व स्वरूप - The paradox of love: unique, otherworldly, unprecedented form.

प्रेम की पराकाष्ठा: अनूठा, अलौकिक, अभूतपूर्व स्वरूप

प्रेम की यह गढ़वाली कविता एक प्रेमी की उन अनकही भावनाओं को उजागर करती है, जो उसकी प्रेमिका के साथ बिताए हर पल को खास बनाती हैं। ये कविता उस प्रेम को दर्शाती है, जो खट्टी-मीठी बातों से शुरू होकर जीवन की गहराई में उतर जाता है।

1. खट्टी-मीठी बातें

अपनी खट्टी मीठी बातों में हंसा रही है मुझे
जवानी की हवा में चिड़िया जैसे उड़ा रही है मुझे।।

प्रेमिका की बातें कभी हंसी का कारण बनती हैं, तो कभी जवानी की ताज़गी में उड़ने का अहसास देती हैं। वह अपनी बातों से प्रेमी को नई ऊंचाइयों की ओर ले जाती है, जैसे हवा में उड़ते एक चिड़िया की तरह।

2. लुक-छिप और नजरों का जादू

लुक छुप के कभी शरमा कभी ध्यान से देख रही है
आंखो के गहरे समंदर में डुबा रही है मुझे।।

प्रेमिका की शर्म और उसकी नज़रें, जो कभी छुपती हैं तो कभी चुपके से देखती हैं, प्रेमी को उसकी आँखों के समंदर में डुबाने का काम करती हैं। ये वही नजरें हैं, जिनमें प्रेमी खुद को खोता हुआ पाता है।

3. दिल में उतरती बातें

तरह तरह के मुंह बना बस बातें करती है मेरी
अपनी बातों में दिल के अंदर ले जा रही है मुझे।।

यहाँ प्रेमिका की बातों का जिक्र है, जो मज़ाक और हंसी के रूप में दिल की गहराइयों तक पहुंचती हैं। प्रेमी उसकी बातों में पूरी तरह खो जाता है, और वह बिना कुछ कहे ही उसके दिल में गहराई से उतर जाती है।

4. घुंघराले बालों का जादू

मटक के चलती है अपनी लम्बी धमेली हिलाते हुए
घुंघराले बालों के जाल में उलझा रही है मुझे।।

प्रेमिका के घुंघराले बाल और उनकी लम्बी चोटी, जो मटक-मटक कर चलती है, कवि के लिए एक मीठे जाल की तरह हैं। वह इन बालों के जाल में उलझ कर खुद को उससे बाहर निकलने में असमर्थ पाता है।

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5. प्रेम का पागलपन

सबके सामने पकड़ देती है पगली हाथ मेरा
अपने साथ छोटे बच्चे की तरह घुमा रही है मुझे।।

प्रेमिका का पागलपन उसकी मासूमियत को दर्शाता है, जहाँ वह सबके सामने अपने प्रेमी का हाथ पकड़कर उसे छोटे बच्चे की तरह घुमाती है। यह सरल और प्यारा इशारा दोनों के प्रेम के सहज रूप को प्रकट करता है।

6. सपनों की दुनिया

पता नही कब तक देखेगा सपना "पहाड़ी"
रातों की नींद उड़ा के दिन में सपने दिखा रही है मुझे।।

अंत में, कवि अपने सपनों के बारे में बात करता है, जो उसकी प्रेमिका के कारण उसकी नींद चुरा लेते हैं। वह दिन में भी उसे सपनों की दुनिया में ले जाती है, जहाँ वह खुद को उसकी कल्पनाओं में खोया हुआ पाता है।

निष्कर्ष

यह गढ़वाली प्रेम कविता हमें प्रेम की पराकाष्ठा का अनुभव कराती है। कवि ने अपने प्रेम की भावनाओं को बेहद सरल और सजीव शब्दों में उकेरा है। यह कविता प्रेम की उस अलौकिकता को दर्शाती है, जो हर प्रेमी के दिल में बसी होती है और हर पल उसे महसूस होती है।


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