उत्तराखंड: मेरी मातृभूमि - Uttarakhand: My homeland.

उत्तराखंड: मेरी मातृभूमि

उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, हिमालय की छांव में बसा एक ऐसा प्रदेश है जो स्वर्ग की सुंदरता और शांति को अपने भीतर समेटे हुए है। यहां की धरती पर बहने वाली गंगा और यमुना नदियां इसे पवित्र और अखंड बनाती हैं। उत्तराखंड की पहचान केवल इसके प्राकृतिक सौंदर्य में नहीं है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक, धार्मिक और वीरता की अनगिनत गाथाओं में भी छिपी हुई है।

उत्तराखंड: मेरी मातृभूमि

हिमालय की छांव तले, बसा स्वर्ग सा उत्तराखंड,
गंगा-यमुना का पावन जल, इसकी पहचान है अखंड।

देवभूमि कहलाती, जहां हर कण में बसी है श्रद्धा,
चार धाम और पंच केदार, यहां का हर पल है पूजा।

कोदू, झंगोरा, और चीणा, यहां की मिट्टी के उपहार,
खेतों की हरियाली, वीरों की भूमि, अनगिनत बलिदान की बयार।

ढोल-नगाड़ों की थाप पर, गूंजता है यहाँ का संगीत,
रासो, झुमैलो, छपेली में, सजीव है संस्कृति की प्रीत।

फूलों की घाटी से महकता, बुरांश के रंगों से सजा,
फ्योली की खिलखिलाहट में, बसा है प्रकृति का अजब धरा।

ठंडी हवाओं का स्पर्श, और बर्फ से ढकी चोटियां,
मानो धरती पर उतर आईं, स्वर्ग की मधुर कोटियां।

बसंत फुलदेई, हरेला, त्योहारों से भरा है हर गांव,
नंदा जात्रा, हरिद्वार की यात्रा, लहराता है आस्था का ध्वज ऊंचा और महान।

सुमन, केसरी, जीतू, वीरों की कथा से गूंजता है यह प्रदेश,
गौरा, तीलू रौतेली के शौर्य से, सजीव है वीरांगनाओं का ये वेश।

हर दिल में बसा है उत्तराखंड, भोलेपन में झलकता प्यार,
सीधी-साधी बोली यहां की, हर किसी से रखता संबंध अपार।

प्रकृति का अनुपम उपहार है, हरियाली से भरी है धरती,
यहां का हर दृश्य, हर मोड़, मानो खुद रच रही हो कविता।

मेरी जन्मभूमि, मेरी मातृभूमि, तुम पर गर्वित है मेरा मन,
उत्तराखंड, तुझमें ही बसा है, मेरा जीवन, मेरी धड़कन।

हिमालय की छांव तले बसा स्वर्ग

उत्तराखंड के ऊंचे पर्वत, जो बर्फ से ढके रहते हैं, मानो धरती पर स्वर्ग की मधुर छाया बनाते हैं। ठंडी हवाएं यहां की हरियाली को सहलाती हैं, और गंगा-यमुना का पावन जल इस धरती को अपनी पवित्रता से सींचता है। देवभूमि कहलाने वाला यह प्रदेश श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण है, जहां के हर कण में आस्था बसी है।

धार्मिक स्थल और पर्वतीय धरोहर

उत्तराखंड में स्थित चार धाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) और पंच केदार (केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर, कल्पेश्वर) इस प्रदेश को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाते हैं। यहां के हर पर्वत, हर नदी और हर मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था गूंजती है। हरिद्वार और कनखल जैसे पवित्र स्थल भी उत्तराखंड की धरती पर विद्यमान हैं।

उत्तराखंड की मिट्टी और वीर भूमि

उत्तराखंड की धरती उपजाऊ है, जहां कोदू, झंगोरा, और चीणा जैसे अनाज उपजाए जाते हैं। यहां के खेत हरी-भरी हरियाली से लहराते हैं, और यह भूमि अनगिनत वीरों की बलिदान गाथाओं से सजी हुई है। इस भूमि ने भारत को कई वीर सपूत दिए हैं, जिन्होंने अपने देश के लिए जान की बाजी लगा दी।

संगीत और संस्कृति की धरोहर

उत्तराखंड का संगीत ढोल-नगाड़ों की थाप पर गूंजता है। रासो, झुमैलो और छपेली जैसे पारंपरिक नृत्य यहां की संस्कृति की धड़कन हैं। इन नृत्यों और गीतों में उत्तराखंड के लोगों का जीवन और प्यार झलकता है। यहां के त्योहारों में प्रकृति और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता है, जहां हर गांव एक नए उल्लास से भरा होता है।

फूलों की घाटी और प्राकृतिक सौंदर्य

फूलों की घाटी (Valley of Flowers) उत्तराखंड की सुंदरता को एक नया आयाम देती है। बुरांश के लाल रंग और फ्योली के खिलखिलाते फूल इस घाटी को और भी मनमोहक बनाते हैं। यहां की हरियाली, बर्फीली चोटियां और स्वच्छ वातावरण इसे धरती पर स्वर्ग जैसा अनुभव कराते हैं।

लोक त्योहार और आस्थाएं

उत्तराखंड के त्योहार जैसे बसंत फुलदेई, हरेला, नंदा जात्रा और हरिद्वार की यात्रा यहां के लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों को मजबूत करते हैं। इन त्योहारों में आस्था की लहर और उल्लास की ध्वनि सुनाई देती है। हर गांव और हर घर में आस्था और उत्सव का रंग बिखरा होता है।

वीरों की भूमि

उत्तराखंड केवल प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थल के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि यह वीरों और वीरांगनाओं की भूमि भी है। यहां की माटी से सुमन, केसरी, जीतू और तीलू रौतेली जैसे वीर योद्धा निकले, जिन्होंने अपनी वीरता से इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इनके शौर्य की गाथाएं आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।

उत्तराखंड की सरलता और प्यार

यहां की धरती जितनी सुंदर है, उतने ही सरल और स्नेही यहां के लोग हैं। उत्तराखंड की बोली, रीति-रिवाज और यहां के लोगों का अपनापन इसे और भी खास बनाते हैं। यहां का हर मोड़, हर दृश्य एक कविता की तरह लगता है, जो इस धरती की महिमा का बखान करता है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड, मेरी मातृभूमि, एक ऐसा प्रदेश है, जहां प्रकृति, आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस भूमि ने मुझे जीवन दिया है, और मैं इस पर गर्व करता हूं। उत्तराखंड मेरी धड़कन में बसता है, और इसकी महानता के आगे मैं नतमस्तक हूं। जय उत्तराखंड! जय देवभूमि!

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