सीखने की प्रक्रिया - प्रकृति और पर्वों से अर्जित जीवन के पाठ - The process of learning - life lessons acquired from nature and festivals
पहाड़ी जीवन और रीति-रिवाजों से सीखने की अद्वितीय प्रक्रिया
कविता:
गउ त्यार, बलदया त्यार, घुघति त्यार पर
विभिन्न पकवान बना
खिलाना जानवरों और पक्षियों को
गाय, बैलों को फूलों की माला पहनाना
हमें सिखाते हैं
कृतज्ञ होना और
प्रेम करना जानवरों से, पक्षियों से भी
चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण पर
पूरे गांव का इकठ्ठा हो
भजन कीर्तन करना
हमें सिखाता है,
किस तरह करनी होती हैं दुवाएँ, प्रार्थनाएं
जब अपना कोई किसी संकट में हो
हमारा कोई त्यौहार कभी अकेले नहीं मनता
जितनी पुड़ियां त्यौहार वालों के घर नहीं बनती
उससे ज्यादा पहुँच जाती हैं
हर घर से उनके घर
जिनके उस साल त्यौहार नहीं होता
हर त्यौहार में मिलकर
गाये जाने वाले उल्लास के गीत
हमें बताते हैं कितना जरूरी है लोक
और लोक को जीवित रखना
अडम-पडम, खेड़ी-बाड़ी से
हमनें पढ़ा समाजशास्त्र और सीखी सामाजिकता
येंच-पैंच से समझा सरल अर्थशास्त्र
बहते पानी से घट्ट चला
समझा विज्ञान और उसकी महत्वता को
मुट्ठी से खेत में धान छिड़क कर
खेत का नाप बता, गणित समझा
प्रकृति सिखाती रही और हम सीखते रहे
प्रकृति देती रही और हम लेते रहे
और उपकार वश हमनें पूजा
स्नेह से, श्रद्धा से
जल, माटी, जानवर, पंछी और आकाश को
और हाँ ! लगातार
हमें दृढ़ निश्चयी, विनम्र और परिश्रमी बनाते रहे
हमारे पहाड़....
प्रेम करना, कृतज्ञता जताना
हमनें किताबों से या इंटरनेट से नहीं सीखा
ये जो हमारे व्यवहार में आया
ये आया
हमारे रीति रिवाजों से
हमारे तीज त्यौहारों से
हमारे संस्कारों से, हमारे गांवों से।
अर्थ और विश्लेषण:
यह कविता जीवन के उन अनूठे अनुभवों का वर्णन करती है, जो पहाड़ी जीवन, रीति-रिवाजों, और प्रकृति के साथ जुड़ाव के माध्यम से सिखाए जाते हैं। यह कविता इस बात को रेखांकित करती है कि हमारे जीवन के महत्वपूर्ण पाठ और मूल्य केवल किताबों या औपचारिक शिक्षा से नहीं आते, बल्कि हमारे पारंपरिक पर्वों, लोकाचार, और प्रकृति के साथ के अनुभवों से उत्पन्न होते हैं।
प्रकृति से सीखने का अद्वितीय तरीका:
गाय, बैल, और पक्षियों के प्रति प्रेम और कृतज्ञता दिखाने की प्रक्रिया हमें पर्यावरण और जीव-जंतुओं के साथ सामंजस्य में रहने का संदेश देती है। यह एक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति के सभी जीवों का सम्मान करना चाहिए।सांस्कृतिक और सामाजिक शिक्षा:
चंद्र और सूर्य ग्रहण के समय पूरे गांव का एक साथ भजन-कीर्तन करना सामूहिक प्रार्थना और सहानुभूति का एक सशक्त उदाहरण है। यह प्रक्रिया संकट के समय में सामुदायिक एकता और सहारा देने की सामाजिक शिक्षा देती है, जो कि समाजशास्त्र का एक मौलिक सिद्धांत है।समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र का सहज समावेश:
कविता में अडम-पडम और खेड़ी-बाड़ी के खेलों से समाजशास्त्र और सरल अर्थशास्त्र की समझ का उल्लेख एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है। यह दिखाता है कि कैसे हमारे पारंपरिक खेल और गतिविधियाँ हमें जटिल सामाजिक संरचनाओं और आर्थिक सिद्धांतों को सरल और सहज तरीके से समझने में मदद करती हैं।प्राकृतिक विज्ञान की शिक्षा:
बहते पानी से घट्ट (पानी की चक्की) चलाना विज्ञान और उसके उपयोग का एक आदर्श उदाहरण है। यह इस बात को दर्शाता है कि हमारे पूर्वजों ने कैसे अपने पर्यावरण का उपयोग करके वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उसकी उपयोगिता को समझा और उसका विकास किया।गणित और प्रबंधन की कला:
खेत में धान छिड़कने की प्रक्रिया के माध्यम से गणितीय माप और कृषि प्रबंधन की बारीकियों को सीखना, यह दर्शाता है कि पारंपरिक ज्ञान प्रणाली कितनी गहन और शिक्षाप्रद हो सकती है।संस्कारों और रीति-रिवाजों का महत्व:
कविता के अंत में प्रेम, कृतज्ञता, और सामाजिकता के गुणों को रेखांकित किया गया है, जो कि पहाड़ी समाज के रीति-रिवाजों और त्यौहारों से उपजे हैं। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि हमारे जीवन के मौलिक मूल्य और आचरण हमारे संस्कारों से ही उत्पन्न होते हैं।
इस ब्लॉग में हमने कविता के माध्यम से उस अद्वितीय सीखने की प्रक्रिया का विश्लेषण किया है, जो हमें हमारे पहाड़ी जीवन, पारंपरिक रीति-रिवाजों और प्रकृति से प्राप्त होती है। यह कविता हमें इस बात का एहसास कराती है कि हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पाठ अक्सर हमारे लोकाचार और संस्कृति से आते हैं, जो हमारे जीवन को गहराई और अर्थ प्रदान करते हैं।
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