यादें और बचपन - एक घर की दिल छू लेने वाली पुकार - Memories and Childhood – The Heartwarming Call of a Home
पुराने घर की दीवारों से सुनाई देती यादों की सरगम
कविता:
प्रवेश करते ही पुराने घर में
ज्यूँ ही लुढ़कने लगे आँसू
बचपन की यादों में सराबोर हो
दीवारें बोल उठी
यादें हमें भी आती हैं तुम्हारी
तुम्हारे नटखट बचपन की
पर हमें सुकून इस बात का है,
तू याद करता है मन से
याद रख
रोटी की तलाश में जाना गलत नहीं
गलत है भूल जाना।
अर्थ और विश्लेषण:
इस कविता में पुराने घर में प्रवेश करते ही उमड़ते भावनाओं और बचपन की यादों को एक बहुत ही संवेदनशील और सजीव तरीके से प्रस्तुत किया गया है। कविता यह दर्शाती है कि कैसे हमारे बचपन का घर न केवल ईंट और पत्थर से बना होता है, बल्कि वह हमारी यादों, भावनाओं और नटखट पलों का भी साक्षी होता है।
घर की दीवारों का जीवन:
जब कवि पुराने घर में लौटता है, तो उसकी आँखों से आँसू लुढ़कने लगते हैं। यह आँसू केवल भावनात्मक नहीं हैं, बल्कि वे उस गहरे संबंध का प्रतीक हैं जो कवि का उसके बचपन के घर से है। घर की दीवारें भी कवि की तरह जीवंत हैं, जो कवि के बचपन की शरारतों को याद करती हैं और अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं।भूलने और याद रखने का महत्व:
कविता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि रोटी की तलाश में बाहर जाना गलत नहीं है, लेकिन अपने बचपन, अपनी जड़ों और अपनी यादों को भूल जाना गलत है। यह संदेश हमें याद दिलाता है कि हमें जीवन की व्यस्तताओं में अपने मूल्यों, अपने रिश्तों और अपनी पहचान को नहीं भूलना चाहिए।सुकून और संतोष:
दीवारें कहती हैं कि उन्हें सुकून इस बात का है कि कवि अभी भी उन्हें याद करता है। यह सुकून केवल घर की दीवारों का नहीं है, बल्कि उन सभी जगहों और लोगों का है जो हमारे जीवन के अटूट हिस्से हैं। यह संदेश भी इस बात पर जोर देता है कि हमें अपने अतीत और अपने रिश्तों को संजोकर रखना चाहिए।
इस ब्लॉग में हमने कविता के माध्यम से पुराने घर और बचपन की यादों के भावनात्मक महत्व को समझा है। यह कविता हमें बताती है कि भले ही हम जीवन में आगे बढ़ते हैं और नई जगहों पर जाते हैं, लेकिन हमारे अतीत और हमारी जड़ें हमेशा हमारे दिल में होती हैं। हमें उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि वे ही हमें हमारे मूल्यों और पहचान से जोड़े रखते हैं।
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