अपना पहाड़ का स्वाद: पहाड़ी फल
उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों के पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अद्वितीय और पोषक तत्वों से भरपूर पहाड़ी फलों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। हर मौसम में यहां के बाजारों में अलग-अलग तरह के फल देखने को मिलते हैं, जो शहरी क्षेत्रों में दुर्लभ या लगभग असंभव होते हैं। इन फलों में प्राकृतिक औषधीय गुण होते हैं, जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता भी रखते हैं। इनमें विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स भरपूर होते हैं, जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं।
काफल (Kafal)
इस पर तीन तरह के कपल हैं खट्टा हल्का मीठा बहुत अधिक मीठा जिन में पानी की मात्रा बहुत अच्छी करती |
काफल उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय फलों में से एक है। पहाड़ी क्षेत्रों में इसे जंगलों से तोड़कर बेचा जाता है और इसका स्वाद तीन तरह का होता है: खट्टा, हल्का मीठा और बहुत अधिक मीठा। इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जिससे इसे खाने पर ताजगी का अहसास होता है। काफल को लेकर एक मशहूर कहावत भी प्रचलित है, "काफल पक्को, मिल्या नी चाखो," यानी काफल पका है, पर मैंने अभी तक नहीं चखा। यह फल देवताओं का फल भी कहा जाता है, क्योंकि लोक मान्यता के अनुसार इसे देवताओं को अर्पित किया जाता था।
लोग जंगलों से तोड़कर इस तरह रखते हैं काफल |
कुछ अन्य पहाड़ी फल:
- हिसालू (Hisalu) - पीले रंग का छोटा फल, जो अपनी मिठास के लिए जाना जाता है। यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है।
- घिंघारू (Ghingaru) - इस फल में औषधीय गुण होते हैं और यह हृदय संबंधी बीमारियों के लिए लाभकारी होता है।
- बुरांश (Buransh) - बुरांश का फूल, जिसका जूस बहुत लोकप्रिय होता है, हिमालयी क्षेत्रों में स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।
- किलमौड़ा (Kilmoda) - यह फल पाचन के लिए फायदेमंद होता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
इन पहाड़ी फलों को केवल पहाड़ों में ही प्राप्त किया जा सकता है और यह शहरों में मिलना दुर्लभ होता है। ये फल पहाड़ों की प्राकृतिक विरासत और वहां के जीवन का अहम हिस्सा हैं।
समाप्ति में, पहाड़ी फलों के माध्यम से आप न केवल अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं, बल्कि अपने स्थानीय पहाड़ों की सांस्कृतिक धरोहर को भी संजो सकते हैं। यह फल सिर्फ खाने के लिए ही नहीं, बल्कि पहाड़ की माटी से जुड़े रहने के प्रतीक हैं।
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