मेलु - पाइरस पाशिया: जंगली हिमालयी नाशपाती के लाभ और उपयोग - Melu - Pyrus pashia: Benefits and uses of wild Himalayan pear
पाइरस पाशिया: जंगली हिमालयी नाशपाती के लाभ और उपयोग
पाइरस पाशिया, जिसे "जंगली हिमालयी नाशपाती" कहा जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण पौधा है जो हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि उत्तराखंड में "मेहल", गढ़वाल में "मोलु" या "मेयलु", और हिमाचल में "कैंथ"। इसका वैज्ञानिक नाम Pyrus pashiya है और यह Rosaceae परिवार का हिस्सा है। यह पेड़ दक्षिण एशिया में मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में पाया जाता है, साथ ही पाकिस्तान, वियतनाम, ईरान, और अफगानिस्तान में भी उपलब्ध है।
पाइरस पाशिया का विवरण
- ऊँचाई: यह पेड़ 6 से 10 मीटर तक लंबा और लगभग 6 मीटर चौड़ा होता है।
- फल: इसके फल छोटे, नाशपाती जैसे होते हैं जो पकने पर अंदर से काले हो जाते हैं। इनका स्वाद मीठा और खट्टा होता है, और पकने पर इन्हें बिना किसी प्रसंस्करण के खाया जाता है।
- पत्तियां और फूल: इसकी पत्तियां अंडाकार और बारीक दांतेदार होती हैं। लाल किनारों वाले सफेद फूल भी इस पौधे की विशेषता हैं।
- प्राकृतिक उत्पत्ति: यह पौधा समुद्र तल से 750 मीटर से लेकर 2600 मीटर की ऊंचाई तक हिमालयी क्षेत्रों में उगता है। इसका प्राकृतिक प्रजनन पक्षियों द्वारा इसके बीजों के प्रसार से होता है।
पाइरस पाशिया के लाभ और उपयोग
1. खाने में उपयोग
पाइरस पाशिया के फल पूरी तरह पकने पर स्वादिष्ट होते हैं और इन्हें कच्चा खाया जा सकता है। फलों को सुखाकर पकवानों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस फल को सीधे खाने के अलावा इसे मीठे व्यंजनों में भी डाला जाता है।
2. औषधीय गुण
पाइरस पाशिया औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसकी छाल और फलों में विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं:
- छाल: इसमें कसैले, रेचक (laxative), और ज्वरनाशक (fever-reducing) गुण होते हैं। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में पाचन विकारों, गले में खराश, बुखार, और अल्सर के इलाज में किया जाता है।
- फल: पके हुए फलों का रस पेट दर्द, खांसी, और अन्य पेट से संबंधित समस्याओं में लाभकारी होता है। इसकी छाल का उपयोग तिब्बती चिकित्सा में सुगंधित और कामोत्तेजक गुणों के लिए किया जाता है।
- आंखों का इलाज: इसके रस का उपयोग नेत्रश्लेष्मलाशोथ (conjunctivitis) के इलाज के लिए किया जा सकता है।
- लिवर के लिए लाभकारी: अध्ययन के अनुसार, यह फल लिवर के लिए बहुत फायदेमंद है।
3. अन्य उपयोग
- लकड़ी: इसकी लकड़ी मजबूत होती है और इसे फर्नीचर, कृषि उपकरण, चलने की छड़ें और कंघी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
- रूटस्टॉक: पाइरस पाशिया को नाशपाती की खेती में रूटस्टॉक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
पोषण संबंधी जानकारी
पाइरस पाशिया के फलों में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जैसे:
- शर्करा: 6.8%
- प्रोटीन: 3.7%
- फास्फोरस: 0.026%
- पोटेशियम: 0.475%
- कैल्शियम: 0.475%
- मैग्नीशियम: 0.061%
- लोहा: 0.006%
पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग
पाइरस पाशिया की छाल का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में गले में खराश, पेप्टिक अल्सर, गैस्ट्रिक अल्सर, और टाइफाइड बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। इसके फलों का रस नाडी-दौर्बल्य, मूत्र से संबंधित समस्याओं, और शय्या-मूत्र (बिस्तर गीला करने) की चिकित्सा में भी किया जाता है।
संरक्षण की आवश्यकता
पाइरस पाशिया को संरक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण जंगली पौधा है और इसके औषधीय गुणों का अध्ययन किया जाना चाहिए। यह पौधा प्राकृतिक रूप से उगता है और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
निष्कर्ष
पाइरस पाशिया न केवल खाने में स्वादिष्ट है बल्कि इसके औषधीय और अन्य उपयोग भी इसे बेहद खास बनाते हैं। इसका पेड़, फल और छाल विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में लाभकारी साबित होते हैं। हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले इस अद्वितीय पौधे को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसके फायदों का लाभ उठा सकें।
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