अपणी खट्टी-मिटठी छुयो म रैन्द हैसाणी मिथे: एक गढ़वाली कविता - My bittersweet touch is like the rain in Hasani Mithi: a Garhwali poem.

अपणी खट्टी-मिटठी छुयो म रैन्द हैसाणी मिथे: एक गढ़वाली कविता

प्रेम का हर पल अनमोल होता है, चाहे वो खट्टा हो या मीठा। इस गढ़वाली कविता में प्रेम की इन खट्टी-मीठी यादों को खूबसूरती से बयान किया गया है। प्रेमी-प्रेमिका के बीच की शर्म, लुक-छुप, और गहरे रिश्ते की जटिलताएं कविता के हर शब्द में रची-बसी हैं।

1. खट्टी-मीठी यादों का स्वाद

अपणि खट्टी-मिटठी छुयो म रैन्द हैसाणी मिथे
ज्वनि कु बर्थों म चखुली जन फर उडाणी मिथे।।

कवि यहाँ अपनी प्रेमिका के साथ बिताए खट्टे-मीठे पलों को याद कर रहा है। वह उन अनमोल यादों में खोया हुआ है, जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। हर याद एक मीठे फल की तरह है, जिसे चखने के बाद उड़ जाने का डर है।

2. लुक-छिप और शर्म का खेल

लुकि-छुपी द्यखणी कभि शर्मे त कभि टक लगै
गहरी आँख्यों कु समोदर म डब डुबाणी मिथे।।

प्रेम की मासूमियत में अक्सर नज़रें मिलाना और छुपाना शामिल होता है। कवि अपनी प्रेमिका की शर्माती नजरों में डूबता है, उसकी आँखों में एक समंदर की गहराई देखता है, जिसमें वह खुद को खोने की कगार पर होता है।

3. बनावट और भावनाओं का खेल

बनि-बनी कु गिच्चु बनै छवीं लगान्द बस मेरि
छवीं-बों म जिकुड़ी कु भितर लिजाणी मिथे।।

यहाँ कवि प्रेमिका की बनावट की तारीफ कर रहा है। वह उसकी छवि में अपनी भावनाओं को महसूस करता है, जैसे उसकी पूरी दुनिया उसकी प्रेमिका की तस्वीर में सिमट गई हो। उसके हर भाव में कवि खुद को खोता हुआ पाता है।

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4. लटों का जाल और उसकी मिठास

लटगा झटगो म हिटिणी लम्बी धमेली हिलेकि
घुन्गर्याला ल्वटल्यो कु जाल म अलझाणी मिथे।।

प्रेमिका के बालों की लटें और उनकी लम्बाई कवि के लिए किसी जाल से कम नहीं हैं। वह इन घुंघराले बालों में खुद को उलझता हुआ महसूस करता है, मानो ये प्रेम का एक मीठा जाल हो जिससे निकलना मुश्किल हो।

5. प्रेम में खो जाना

सब्यूं का समडि म पकड़ देंद लाटि हाथ मेरु
अपणा दगड़ छवट्ट सि नोनु जन घुमाणी मिथे।।

कवि अपने प्रेमिका का हाथ पकड़कर उसे कभी न छोड़ने की बात कर रहा है। वह उसे अपने दिल से जोड़ने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वह जानता है कि उसके बिना उसकी दुनिया अधूरी है।

6. सपनों की हकीकत

झणि कब तक दयख्णि रैलि सुपन्या "पहाड़ी"
उडैकि निंद रातोंकि दिन म सुपन्या दिखाणी मिथे।।

अंत में कवि कहता है कि सपनों में कब तक इस प्रेमिका को देखता रहूँगा। वह दिन और रात उसकी नींद में आकर उसे सपनों की हकीकत में उलझा देती है, लेकिन कब तक ये सिलसिला चलता रहेगा, यह सवाल उसे परेशान करता है।

निष्कर्ष

इस गढ़वाली कविता में प्रेम की मासूमियत, गहराई, और यादों का मीठा स्वाद बखूबी उकेरा गया है। कविता हमें यह संदेश देती है कि प्रेम की खट्टी-मीठी यादें जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं और इनसे भागना मुमकिन नहीं। कवि ने अपने दिल की भावनाओं को बहुत ही सरल और सुंदर शब्दों में पिरोया है, जो पाठक के दिल तक आसानी से पहुँचती हैं।


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