तेरी माया: एक गढ़वाली ग़ज़ल - Your illusion: A Garhwali ghazal.

1)Google News यहाँ क्लिक करें 2) Join Update WathsApp चैनल से जुड़े

तेरी माया: एक गढ़वाली ग़ज़ल

जीवन के हर कदम पर हमें कई उलझनों का सामना करना पड़ता है। प्रेम, माया, और जीवन की वास्तविकता का गहरा संघर्ष मनुष्य को अंदर तक झकझोर देता है। गढ़वाली ग़ज़ल "तेरी माया" इन्हीं भावनाओं का बखूबी चित्रण करती है। इस ग़ज़ल में कवि ने माया के जाल से निकलने की कोशिश को अनूठे ढंग से व्यक्त किया है।

1. दर्द और उदासी का मेल

त्वेन जू मेरू दगडू छोड़ी लेनी।
उदासी से मिन नातु जोड़ी लेनी।।

कवि यहाँ प्रेम में मिले धोखे और उदासी का चित्रण करता है। वह कहता है कि तुमने मेरे साथ दगा किया, और अब यह उदासी मेरे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। यह पंक्ति जीवन के उन कठिन पलों की बात करती है जब इंसान खुद को एक गहरे अकेलेपन में पाता है।

यहाँ भी पढ़े

  1. जागो, मेरे पहाड़ - पहाड़ की पुकार
  2. अपनी ईजा अपनी धरती #उत्तराखंड_माँगे_भू_कानून
  3. बहुत ही सुंदर कविता #उत्तराखंड_माँगे_भू_कानून " तुझे फर्क पड़ता क्यूं नहीं।"
  4. हिमालय की पुकार - समझो और संभलो!
  5. बचपन की यादें और मातृभूमि का प्रेम: क्यों बचपन के साथी हमें छोड़ जाते हैं?

2. सपनों और जाग्रति के बीच का संघर्ष

सुनिंदी सुपन्न्यों मा जगेकि त्वेन
सुपिन्यळा ख्यालों से बोडी लेनी।।

यह पंक्ति उन सपनों की बात करती है जो जागते समय भी दिल और दिमाग में बने रहते हैं। प्रेमी अपने सपनों में प्रिय को देखता है, लेकिन वह सपने और वास्तविकता के बीच के अंतर से जूझता रहता है। यह एक भावनात्मक उलझन को दिखाती है।

3. दिल की धड़कनों की थमक

जिकुडे धड़कन ठैरी सी गै आब
तेरा जिया बसी माया तोड़ी लेनी।।

यहाँ कवि की धड़कन ठहर गई है, क्योंकि वह अपने दिल में बसी माया को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। यह पंक्ति उस संघर्ष को दर्शाती है जब इंसान अपनी भावनाओं से मुक्त होने की कोशिश करता है, लेकिन माया उसे बार-बार बांध लेती है।

4. रास्ते और धोखे की दोड़

माटु जांदू छौ जों बाटों त्वै दगड़ी
यखुली आज वाखी दोड़ी लेनी।।

यह पंक्ति जीवन के रास्तों पर धोखे और माया के भ्रम में दौड़ने का प्रतीक है। इंसान माया के जाल में फंसकर अपने रास्ते से भटक जाता है, लेकिन जब सच्चाई का एहसास होता है, तो वह माया से दूर भागने की कोशिश करता है।

5. सीख और समझ का अंत

सबक आब यनु मिली 'सिंधवाल'
जख माया देखि, कदम मोड़ी लेनी।।

अंत में, कवि ने यह सिख लिया कि माया का खेल अंतहीन है। 'सिंधवाल' अब जान चुका है कि माया को देखकर ही कदम पीछे खींच लेना चाहिए, क्योंकि माया इंसान को अपने असली लक्ष्य से दूर कर देती है।

निष्कर्ष

"तेरी माया" ग़ज़ल में कवि ने प्रेम, उदासी, और माया के उलझाव को बखूबी उकेरा है। यह ग़ज़ल हमें जीवन की वास्तविकताओं से जुड़ने और माया के भ्रम से दूर रहने का संदेश देती है। यह गढ़वाली ग़ज़ल अपने सरल और प्रभावी शब्दों के माध्यम से दिल की गहराइयों में छुपे संघर्ष और सच्चाई को उजागर करती है।


यहाँ भी पढ़े

  1. उत्तराखंड: मेरी मातृभूमि
  2. उत्तराखंड मेरी मातृभूमि - एक गीत, एक वंदना
  3. खतड़ुआ पर कविता - Poem on Khatarua
  4. आपणी गौ की पुराणी याद: गाँव की भूली-बिसरी यादों का स्मरण
  5. कविता गाँव की मिट्टी पहाड़ी जीवन पर आधारित
  6. गुनगुनाओ धै हो, यो पहाड़ी गीत - सब है मयाली
  7. उत्तराखंड के चुनाव: देहरादून, गैरसैंणा चक्कर में
  8. हमारा पहाड़ दरकन लाग्यान - हिमालय दिवस पर एक चिंतन
  9. यादें और बचपन - एक घर की दिल छू लेने वाली पुकार
  10. मनो सवाल - समाज की विडंबनाओं पर एक कटाक्ष
  11. सीखने की प्रक्रिया - प्रकृति और पर्वों से अर्जित जीवन के पाठ 

टिप्पणियाँ