तेरी माया: एक गढ़वाली ग़ज़ल
जीवन के हर कदम पर हमें कई उलझनों का सामना करना पड़ता है। प्रेम, माया, और जीवन की वास्तविकता का गहरा संघर्ष मनुष्य को अंदर तक झकझोर देता है। गढ़वाली ग़ज़ल "तेरी माया" इन्हीं भावनाओं का बखूबी चित्रण करती है। इस ग़ज़ल में कवि ने माया के जाल से निकलने की कोशिश को अनूठे ढंग से व्यक्त किया है।

1. दर्द और उदासी का मेल
कवि यहाँ प्रेम में मिले धोखे और उदासी का चित्रण करता है। वह कहता है कि तुमने मेरे साथ दगा किया, और अब यह उदासी मेरे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। यह पंक्ति जीवन के उन कठिन पलों की बात करती है जब इंसान खुद को एक गहरे अकेलेपन में पाता है।
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2. सपनों और जाग्रति के बीच का संघर्ष
यह पंक्ति उन सपनों की बात करती है जो जागते समय भी दिल और दिमाग में बने रहते हैं। प्रेमी अपने सपनों में प्रिय को देखता है, लेकिन वह सपने और वास्तविकता के बीच के अंतर से जूझता रहता है। यह एक भावनात्मक उलझन को दिखाती है।
3. दिल की धड़कनों की थमक

यहाँ कवि की धड़कन ठहर गई है, क्योंकि वह अपने दिल में बसी माया को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। यह पंक्ति उस संघर्ष को दर्शाती है जब इंसान अपनी भावनाओं से मुक्त होने की कोशिश करता है, लेकिन माया उसे बार-बार बांध लेती है।
4. रास्ते और धोखे की दोड़
यह पंक्ति जीवन के रास्तों पर धोखे और माया के भ्रम में दौड़ने का प्रतीक है। इंसान माया के जाल में फंसकर अपने रास्ते से भटक जाता है, लेकिन जब सच्चाई का एहसास होता है, तो वह माया से दूर भागने की कोशिश करता है।
5. सीख और समझ का अंत

अंत में, कवि ने यह सिख लिया कि माया का खेल अंतहीन है। 'सिंधवाल' अब जान चुका है कि माया को देखकर ही कदम पीछे खींच लेना चाहिए, क्योंकि माया इंसान को अपने असली लक्ष्य से दूर कर देती है।
निष्कर्ष
"तेरी माया" ग़ज़ल में कवि ने प्रेम, उदासी, और माया के उलझाव को बखूबी उकेरा है। यह ग़ज़ल हमें जीवन की वास्तविकताओं से जुड़ने और माया के भ्रम से दूर रहने का संदेश देती है। यह गढ़वाली ग़ज़ल अपने सरल और प्रभावी शब्दों के माध्यम से दिल की गहराइयों में छुपे संघर्ष और सच्चाई को उजागर करती है।
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