"बचपन की यादें और मातृभूमि का प्रेम: क्यों बचपन के साथी हमें छोड़ जाते हैं?"

"बचपन की यादें और मातृभूमि का प्रेम: क्यों बचपन के साथी हमें छोड़ जाते हैं?"

कविता के साथ एक छोटी कविता:
गांव की गलियों में, बचपन की खुशबू,
यादों के झोंके, दिल को कर दे जुड़ू,
लौट चलें उस मिट्टी की ओर, जहाँ बचपन बीता,
जहाँ हर मौसम ने, अपनापन सीखा।

परिचय:
हम सबकी ज़िंदगी में कुछ ऐसी यादें होती हैं जो समय के साथ भी धुंधली नहीं होतीं। बचपन के साथी, गाँव के त्योहार, और माँ की गोद में बिताए गए वे सुनहरे पल हमेशा दिल के करीब रहते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, ज़िम्मेदारियाँ और समय की मांग हमें अपनी जड़ों से दूर ले जाती है। क्या कभी आपने सोचा है कि क्यों बचपन के साथी हमें छोड़कर चले जाते हैं? क्या वे सच में हमें भूल जाते हैं, या फिर यह सिर्फ समय का खेल है?

कविता:

क्यों बचपन के साथी,
क्यों बचपन के साथी,
योवन में माटी से मुंह मोड़ लेते हैं,
जनम लिया इस धरती पर,
और खेले कूदे मेरी गोद में,
चलना सीखा, पढ़ना सीखा,
जीवन का हर जज्बा सीखा,
लोट पोट कर मेरे आँगन में,
बाल्यकाल का हर सपना देखा,

उत्तरायनी का कौथिक देखा,
पंचमी का भी किया स्मरण,
फूल्देही पर भर भर फूलो की टोकरी,
गाँव गाँव भर में घुमते देखा,
बैशाखी पर पहने कपड़े नए,
भर बसंत का आनंद लूटा,

क्यों चले आज तुम ये झोला लेकर,
क्या रह गयी कमी मेरे दुलार में,
क्या मेरी माटी में नहीं होती फसल,
या फिर ये है समय का चक्र चाल,
गंगा जमुना और बद्री केदार की धरती,
गांवो में आज वीरान सी पड़ी है,
कभी आना मेरे देश लौटकर ए मुसाफिर,
यदि लगे तुम्हे परदेश में ठोकर,
क्यों बचपन के साथी,

मूल भाव:

इस कविता के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि बचपन की यादें और मातृभूमि का प्रेम कभी नहीं मिटता। गाँव के आँगन में खेले गए खेल, त्योहारों की धूम, और दोस्तों के साथ बिताए गए पल हमेशा हमारे मन में बसे रहते हैं। यह कविता उन भावनाओं को व्यक्त करती है जो हर प्रवासी व्यक्ति के दिल में होती हैं। अपनी जड़ों से दूर होकर भी, हमारे दिल में हमेशा गाँव की मिट्टी की महक रहती है।

गाँव की ओर लौटने का संदेश:

यह कविता न केवल पुरानी यादों को ताज़ा करती है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि चाहे हम कितने भी दूर चले जाएँ, हमारे दिल की धड़कन हमेशा हमारे गाँव के लिए धड़कती है। जब जीवन की राह में मुश्किलें आती हैं, तो वही गाँव और बचपन के साथी हमें अपने पास बुलाते हैं। इसलिए, जब भी संभव हो, अपनी जड़ों की ओर लौटें, अपनी मिट्टी को न भूलें, और उन पलों को फिर से जिएं जो कभी हमारा जीवन हुआ करते थे।

निष्कर्ष:

बचपन के साथी और हमारी मातृभूमि का प्रेम अनमोल है। यह कविता हमें उन दिनों की याद दिलाती है जब जीवन सरल था और हमारी खुशियाँ हमारे गाँव और दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती थीं। आइए, इस कविता के माध्यम से हम अपने बचपन की यादें ताज़ा करें और अपनी मातृभूमि से जुड़े रहें।

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