ढोल दमाऊ को मात देने वाला कोई वाद्ययंत्र आज तक पहाड़ में

ढोल दमाऊ वाद्ययंत्र 

उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में एक समृद्ध परंपरा में ढोल वादन, वक्त के साथ ढोल शास्त्र के नामी कलाकार हाशिये में, कभी बरातो मे बड़े शान से चलते थे ढोल दमाऊ और मशकबीन, उसी शान से दुल्हन पक्ष के ढोली बरात के आगमन पर आतिथ्य देने सबसे पहले पहुच बारात का इंतजार करते मिलते थे, सभ्यता बहुत महान जहां ढोल और ढोली को मेहमानों की तरह पिठ्या लगाया जाता था, ढोल दमाऊ मश्कबीन को आधुनिक बादय यंत्र चाहे छुपाने की लाख कोशिशों करते हो पर वक्त की आईने में इनकी घमक का कोई सानी आज भी  नहीं, सबसे बड़ी बात ठेठ पहाड़ी रंगमस्त तो आज भी ढोल की थाप पर ही होते हैं, पहाड़ के देवालय और रात रात भर भर चलने वाले देव आह्वानो में  ढोल दमाऊ को मात देने वाला  कोई  वाद्ययंत्र आज तक पहाड़ में  नहीं
              ❤जय देव भुमि उत्तराखंड ❤

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