दीबा देवी मंदिर, पौड़ी गढ़वाल: यहां हैं हैरान कर देने वाली अनोखी शक्तियां

दीबा देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पट्टी खाटली में स्थित है, जो समुद्र तल से 2520 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर अपनी चमत्कारी शक्तियों और अद्भुत इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में पहुँचने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ अनोखी बातें।
दीबा देवी का अवतार और मंदिर की स्थापना
दीबा देवी ने इस स्थान पर उस समय अवतार लिया था, जब गोरखाओं ने पट्टी खाटली पर आक्रमण किया था। माना जाता है कि दीबा देवी ने इस क्षेत्र के पहले पुजारी को सपने में दर्शन दिए और इस स्थान की पहचान बताई, जिसके बाद मंदिर की स्थापना की गई। इस स्थान पर दीबा देवी की उपस्थिति ने क्षेत्रवासियों को गोरखाओं से सुरक्षा प्रदान की और उनके दिलों में श्रद्धा का मार्ग प्रशस्त किया।
कठिन रास्ता और चमत्कारी पत्थर
दीबा देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को एक कठिन और चुनौतीपूर्ण मार्ग से गुजरना पड़ता है। यह मार्ग सीधा नहीं है, बल्कि काफी टेढ़ी-मेढ़ी गुफाओं से होकर तय करना पड़ता है। आज भी उस स्थान के नीचे एक गुफा स्थित है, जिसे अब ढक दिया गया है। एक समय था जब माता अपने सेवक के साथ इस स्थान पर गोरखाओं के आने की सूचना देती थीं, और कोई भी उनकी नज़र से बच नहीं सकता था। यहाँ से चारों ओर दूर-दूर तक दृश्य स्पष्ट दिखाई देता है, लेकिन किसी को यहाँ से दिखाई नहीं देता।
गोरखाओं से रक्षा और मंदिर की चमत्कारी शक्ति
गोरखाओं के आक्रमण के समय दीबा देवी ने क्षेत्रवासियों की रक्षा की थी। वे गोरखाओं से लड़ाई में उन्हें पराजित कर पट्टी खाटली और गुजरू को आज़ाद करवा लिया। एक विशेष पत्थर की मान्यता भी जुड़ी हुई है, जो दीबा देवी द्वारा गोरखाओं के आने की सूचना देने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस पत्थर को जिस दिशा में घुमाया जाता, वहां बारिश शुरू हो जाती थी। इसे स्थानीय भाषा में "धवड़या" (आवाज़ लगाना) कहा जाता है।
दीबा देवी मंदिर की मान्यता
मंदिर की मान्यता के अनुसार, दीबा देवी के दर्शन करने के लिए भक्तों को रात के समय चढ़ाई करके सूर्योदय से पहले मंदिर पहुँचना होता है। यहाँ पर सूर्योदय का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। खास बात यह है कि अगर कोई व्यक्ति अछूता होता है (जैसे परिवार में मृत्यु या नए बच्चे का जन्म हो और शुद्धि न हुई हो), तो वह इस मंदिर तक नहीं पहुँच सकता है, चाहे वह कितना भी प्रयास क्यों न कर ले। यहाँ तक कि चाहे कोई कितना भी बूढ़ा हो या बच्चा हो, चढ़ाई में कोई भी समस्या नहीं होती है।
सफ़ेद बालों वाली महिला के दर्शन
एक अन्य चमत्कारी घटना यह है कि यहाँ के भक्तों को कई बार दीबा माँ ने सफ़ेद बालों वाली एक बूढ़ी महिला के रूप में दर्शन दिए हैं। यह एक विश्वास और रहस्य है, जो इस मंदिर के अद्भुत रूप को और भी आकर्षक बनाता है।
विशेष पेड़ और खून निकलने की मान्यता
दीबा देवी मंदिर के आस-पास के पेड़ों से जुड़ी एक विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि इन पेड़ों को केवल भंडारी जाति के लोग ही काट सकते हैं। यदि कोई अन्य व्यक्ति इन पेड़ों को काटने का प्रयास करता है, तो पेड़ों से खून जैसा तरल निकलता है। यह एक रहस्यपूर्ण और चमत्कारी घटना है, जिसे स्थानीय लोग बड़े श्रद्धा भाव से मानते हैं।
दीबा देवी मंदिर, पौड़ी गढ़वाल: जहां हैं हैरान कर देने वाली अनोखी शक्तियां
दीबा देवी मंदिर, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है, जो न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की रहस्यमयी शक्तियाँ भी लोगों को हैरान कर देती हैं। यह वह स्थान है जहाँ भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। समुद्र तल से 2520 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर अनोखी मान्यताओं और चमत्कारी घटनाओं से भरा हुआ है।
दीबा देवी का अवतार और मंदिर की स्थापना
यह मंदिर उस समय अस्तित्व में आया जब गोरखा सेना ने पट्टी खाटली पर आक्रमण किया था। दीबा देवी ने इस स्थान पर अवतार लिया और अपनी शक्ति से गोरखाओं को परास्त किया। वह इस स्थान पर पहले पुजारी के सपने में दर्शन देने आईं और उन्होंने अपना स्थान बताया। फिर यहीं पर दीबा देवी की पूजा शुरू हुई और यह स्थान एक शक्तिपीठ बन गया।
मंदिर तक पहुँचने का कठिन मार्ग
दीबा देवी मंदिर तक पहुंचना एक साहसिक यात्रा है। इस स्थान तक पहुंचने के लिए भक्तों को टेढ़ी-मेढ़ी गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है। आज भी उस स्थान के नीचे एक गुफा है, लेकिन वह अब पूरी तरह ढक चुकी है। यह मार्ग कठिन होने के बावजूद, भक्तों की आस्था उन्हें हर कदम पर प्रेरित करती है।
दीबा देवी की शक्तियाँ और गोरखा संहार
गोरखा आक्रमण के दौरान, दीबा देवी इस स्थान पर अपनी शक्तियों से जनता की रक्षा करती थीं। वह अपने सेवक के साथ गोरखाओं के आने की सूचना देती थीं और इस स्थान से उनकी नज़र से कोई बच नहीं सकता था। अंततः दीबा देवी ने गोरखाओं का संहार किया और पट्टी खाटली तथा गुजरू को उनके अत्याचारों से मुक्त किया।
धवड़या – चमत्कारी पत्थर
मंदिर के पास एक चमत्कारी पत्थर है, जिसे घुमाने से उस दिशा में बारिश हो जाती है। इसे यहाँ की भाषा में 'धवड़या' (अर्थात आवाज़ लगाना) कहा जाता है। यह स्थान एक अद्वितीय शक्ति का प्रतीक है, जो यहाँ के प्राकृतिक वातावरण को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है।
दीबा देवी मंदिर की मान्यता
दीबा देवी मंदिर में दर्शन के लिए विशेष मान्यता है। यहां के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति परिवार में मृत्यु या नये बच्चे के जन्म के कारण शुद्धि नहीं करवा पाया है, तो वह यहाँ नहीं पहुँच सकता है। इस स्थान के दर्शन के लिए भक्तों को रात में चढ़ाई करनी होती है, ताकि वे सूर्योदय से पहले मंदिर पहुँचे। सूर्योदय का समय यहाँ विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
सफेद बालों वाली बूढ़ी महिला के दर्शन
मंदिर में एक दिलचस्प मान्यता है कि दीबा देवी ने भक्तों को सफेद बालों वाली एक बूढ़ी महिला के रूप में दर्शन दिए थे। यह घटना इस स्थान की रहस्यमय शक्तियों को और भी दिलचस्प बनाती है।
मंदिर के आस-पास के पेड़ों की अद्भुत मान्यता
मंदिर के आसपास के पेड़ों से जुड़ी एक अनोखी मान्यता है। यहाँ के पेड़ केवल भंडारी जाति के लोग ही काट सकते हैं, और यदि कोई अन्य जाति के व्यक्ति इन पेड़ों को काटता है, तो पेड़ से खून निकलता है। यह इस स्थान की अद्वितीय शक्ति और धार्मिक विश्वासों को दर्शाता है।
अंत में
दीबा देवी मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है। यहाँ की अनोखी मान्यताएँ, चमत्कारी शक्तियाँ और गोरखा आक्रमण के समय की घटनाएँ इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाती हैं। यदि आप कभी उत्तराखंड की यात्रा पर जाएं, तो दीबा देवी मंदिर का दर्शन आपके यात्रा अनुभव को अविस्मरणीय बना देगा।
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