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बाटा-घाट कांड
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन बाटा-घाट कांड
बाटा-घाट कांड |
पुलिस प्रशासन की बर्बरता की हद बाटाघाट, मंसूरी में देखने को मिली, जहाँ एक अत्यंत संकरे से स्थान पर पूर्व सोची समझी रणनीति के तहत आंदोलनकारियों को रोककर बल प्रयोग किया गया। बाटाघाट का यह घटनाक्रम 15 सितम्बर, 1994 का है जब मंसूरी कूच आंदोलन के तहत अपार जन समूह भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से शहीदों को श्रृद्धांजलि देने मंसूरी आ रहे थे। पुलिस की जबरदस्त नाकेबंदी के बावजूद कई लोग तो मंसूरी पहुँच गए।
किन्तु उत्तरकाशी, बड़ेथी, छाम, भक्तियाना, प्रतापनगर, चम्बा एवं टिहरी की ओर से मंसूरी आने वाले आंदोलनकारियो को पुलिस ने वुडस्टॉक स्कूल से पहले एक संकरी जगह पर रोक दिया। काफी देर की नोक-झोक के बाद अचानक पुलिस ने बिना चेतावनी के लाठी चार्ज एवं हवाई फायर शुरू कर दिया। संकरा रास्ता एवं गहरी खाई के पास होने से भीड़ के पास भागने का मार्ग न था। अतः पुलिस ने बटों से पीटकर लोगों को खाई में फेंका। इस कांड में कई लोग मारे गए एवं असंख्य घायल एवं पुलिस की लूटपाट का शिकार हुए। बाटाघाट कांड पुलिस की दरिन्दगी का एक ऐसा रक्तरंजित अध्याय है जिस कारण आज भी लोगों को खाकी वर्दी से खून की बदबू आती है।
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