#उत्तराखंडी_नारी_है !!
आसमान से ऊँची है वो,
धरती से भी भारी है !
वे तीलू , रामी बौराणी,
उत्तराखंडी नारी है !!
है संतोषी, रणचंडी भी,
सृष्टि सृजन यात्री है !
पुष्प भी है तलवार भी है,
ममता-समता दात्री है !!
मां है और बेटी भी है वो,
सच्ची जीवनसाथी है !
बहिन बहु का रूप है निर्मल,
सबका साथ निभाती है !!
दुख सहने की क्षमता उसमें,
अपनों को खुश रखती है !
जीवनभर कर्तव्य निभाती,
थककर भी न थकती है !!
गौरा देवी रूप है उसका,
नैतिकता की राहों में !
रूप सुदेशा बन जाता है,
मातृभूमि की बाहों में !!
आसमान से ऊँची है वो,
धरती से भी भारी है !
वे तीलू , रामी बौराणी,
उत्तराखंडी नारी है !!
संक्षेप में - नारीशक्ति को समर्पित कविता!
पूरी कविता प्रकाशन में...
😊...✍ विनोद डोभाल विन्नी
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें