केवल ठेठ पहाड़ियों को पढ़ना बहुत जरूरी है

केवल ठेठ पहाड़ियों को पढ़ना बहुत जरूरी है 

पढना जरूरी है फ़ोटो तो अच्छी है ही

पढ़ना बहुत जरूरी है ठेठ

बहुत हो गया रोना धोना,कुछ कर कर दिखाना है

बड़े भाई को #भेजी,छोटे को #भुला बुलाना है

काम बहुत है मुझको भी,कब तक मै रोना रोऊंगा

रोटी को बोलूंगा #रवाटी,सब्जी को #भुजी बोलूंगा


पहाड़ी घर

माँ तो है सम्मान हमारा,नाम की वो मोहताज नही

आवाज लगानी हो जब भी,ब्वे या इज़ा बोलूंगा।

बात आयेगी पापा की,थोडा सा तो डर जाओगे

पर पापा को बोलो पिताजी,ठेठ पहड़ी कहलाओगे।

देर हो गयी जिस दिन भी,आफिस मैं ताने खाओगे

तब मुँह से निकले "कांडा लगाओ" बहुत सकून तुम पाओगे

मत बोलो तुम आंटी या मेम किसीको ,दिल के अल्फाज तो खोलो

माँ से छोटी को काकी,बडी को बोड़ी तुम बोलो

धूम धाम से आएगी घर आँगन बारात तुम्हारे

बजे भांगड़ा,या dj दिल खोल कर तुम खर्च करो

पर बानो मैं माँगल गीत,ओर ढोल दमो भी खूब बजे

मॉर्डन जमाने की दौड़ मैं,तुम भी बहुत तेज दौड़ना

रोज डे पे खरीदो बुराँस,चॉकलेट डे पे अरसे देना

काम वो नही मैं कभी बताता,जिसको खुद ना कर पाऊं

पलायन पे रोना रोकर,दिल मैं सब के रह जाऊँ

भीड़ जमा कर आखिर मैं,कितना क्या ओर कब पा लुंगा

देख जमाने की करतुते,कब तक आखिर लिख पाऊँगा

है आसान बहुत बचाना, दिल से तो मेरा शाथ निभाओ

रहो देश विदेश जहाँ भी,बार त्यौहार वही मनाओ

देदो दुदबोली बच्चो को,दिन मैं एक गीत खुदेड सुनाओ

हिंदी अंग्रेजी पेट भरने को,पाहड़ी मन भरने को तुम गाओ

हो मुलाकात जब भी तुमसे,देखकर तुम पहचान लेना

रोज मरा की जिंदगी मैं,सारे सब्द इस्तेमाल करना

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