भाखड़ा नांगल बांध की जानकारी और प्रमुख पर्यटन स्थल

भाखड़ा नांगल बांध की जानकारी और प्रमुख पर्यटन स्थल   

Bhakra Nangal Dam Information and Major Tourist Places 
भाखड़ा नांगल बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर भाखड़ा गाँव में स्थित है। बता दें भाखड़ा नांगल बांध परियोजना को गोबिंद सागर ’के रूप में जाना जाता है, जिसमें 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा होता है। यह बांध हर साल देश भर से पर्यटकों की एक बड़ी संख्या को अपनी तरफ आकर्षित करता है। भाखड़ा बांध नांगल शहर से 15 किमी दूर है। भाखड़ा नांगल बांध परियोजना को गोबिंद सागर ’के रूप में जाना जाता है, जिसमें 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी जमा होता है। भाखड़ा नांगल बांध परियोजना भारत के स्वतंत्र होने के बाद नदी घाटी विकास योजनाओं में से एक हैं।
 
भाखड़ा नांगल बांध की जानकारी और प्रमुख पर्यटन स्थल, Bhakra Nangal Dam In Hindi
यह दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुत्वाकर्षण बांधों में से एक है। बांध द्वारा बनाया गया गोबिंदसागर जलाशय भारत का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय है। भाखड़ा नांगल बांध टिहरी बांध के बाद चौथा सबसे बड़ा बांध है। आपको बता दें कि साल 2009 में भाखड़ा नांगल बांध पर्यटकों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जो भी पर्यटक भाखड़ा नांगल बांध की यात्रा पर जाने वाले है या फिर इसके बारे में और अधिक जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े जिसमे आप भाखड़ा नांगल बांध परियोजना, भाखड़ा नांगल बांध का इतिहास, और रोचक तथ्यों समेत अन्य जानकारी को जान सकेगें

भाखड़ा बांध का इतिहास – History Of Bhakra Dam

भाखड़ा बांध का इतिहास
भाखड़ा नांगल बांध के  इतिहास पर नजर डाले तो पता चलता है की बांध के लिए प्रारंभिक काम की शुरूवात 1946 में हुई थी जबकि इसका निर्माण 1948 में शुरू हुआ था। जवाहरलाल नेहरू ने 18 नवंबर 1955 को भाखड़ा की नींव में कंक्रीट की पहली बाल्टी डाली थी। साल 1963 के अंत तक इस बांध का निर्माण पूरा हो गया था। शुरुआत में परियोजना को पंजाब के उपराज्यपाल सर लुई डेन द्वारा शुरू किया गया था, लेकिन कुछ कारणों से निर्माण को रोक दिया गया था। भारत के स्वतंत्रत होने के बाद इसका काम मुख्य वास्तुकार राय बहादुर कुंवर सेन गुप्ता द्वारा जारी रखा गया था।

भाखड़ा बांध के बारे में रोचक तथ्य 

भाखड़ा बांध के बारे में रोचक तथ्य
बहुउद्देश्यीय परियोजना- Multi-Purpose Project: भाखड़ा बांध परियोजना एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है क्योंकि इसको बनाने का उद्देश्य सतलुज-ब्यास नदी में बाढ़ को रोकना है और पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के निकटवर्ती राज्यों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है। यह हाइड्रो-इलेक्ट्रिसिटी का भी प्रदाता है, जो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और दिल्ली राज्यों द्वारा उत्पन्न होती है
प्रबंधन- Management: भाखड़ा नांगल परियोजना का प्रशासन, रखरखाव और संचालन भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड (बीएमबी) द्वारा किया जाता है। 15 मई 1976 को भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड का नाम बदलकर भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ब्यास नदी पर बांधों के प्रबंधन के लिए किया गया था।
भाखड़ा नांगल बांध के आस – पास के घूमने के पर्यटन और आकर्षण स्थल – Places To Visit Near Bhakra Nangal Dam In Hindi
भाखड़ा बांध हिमाचल प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है, आप अगर शहर की यात्रा पर हैं तो डैम के पास नीचे दिए गए प्रमुख पर्यटन स्थलों की सैर भी कर सकते हैं।

व्यास गुफा – Vyas Cave

व्यास गुफा
व्यास गुफा, सतलज नदी के तट पर है, जहाँ महाकाव्य महाभारत के लेखक ऋषि व्यास तपस्या के दिनों में यहाँ रहे थे। यह गुफा 610 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और सतलुज के बाएं किनारे पर स्थित है। इन गुफाएँ की वजह से इस शहर को पहले शहर व्यासपुर के नाम से जाना जाता था। अगर आप इतिहास प्रेमी है तो आपको इन गुफाओं को देखने के लिए जरुर जाना चाहिए।

कंदूर ब्रिज – Kandrour Bridge

कंदूर ब्रिज
कंदूर ब्रिज कभी एशिया का सबसे ऊँचा पुल था और 80 मीटर की ऊँचाई पर बना था, जो आज भी दुनिया के सबसे ऊँचे पुलों में से एक है। यह पुल चूना पत्थर की चट्टानों से घिरा हुआ है और नीचे की नदी हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने के पानी के कारण ग्रीष्मकाल के दौरान कगार पर होती है।

श्री नैना देवी जी मंदिर – Sri Naina Devi Ji

श्री नैना देवी जी मंदिरश्री नैना देवी जी का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के बिलासपुर जिले में एक पहाड़ी पर स्थित है। आपको बता दें कि यह मंदिर समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसका निर्माण  राजा बीर चंद ने 8 वीं शताब्दी के दौरान करवाया था। यह मंदिर निर्माण के बाद कई लोककथाओं के लिए जाना जाता है और आज पर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा बहुत पवित्र माना जाता है। इस मंदिर में नियमित रूप में पर्यटकों की भीड़ बनी रहती है। नैना देवी मंदिर के आसपास कई रहस्यमय लोक कथाएँ हैं, जो पर्यटकों को यात्रा करने के लिए आकर्षित करती हैं।

नाहर सिंह धौलरा – Nahar Singh Temple

नाहर सिंह
बता दें कि बिलासपुर के लोग बाबा नाहर सिंह में बहुत विश्वास रहते हैं और उनकी पूजा भी करते हैं। नाहर सिंह मंदिर उनके समर्पण में बनाया गया था जिसमें उनकी चप्पलें रखी हुई हैं। नाहर सिंह बाबा का मंदिर अपने आप में एक धार्मिक महत्त्व रखता है और मंदिर मई- जून के मध्य में मंगलवार को शहर में मेले का आयोजन भी करता है।

कोल्डम बांध – Koldam Dam 

कोल्डम बांध
कोल्डम बांध सतलुज नदी पर बनाया गया है जो बिलासपुर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोलडैम बिलासपुर के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से एक है और बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह बांध प्राकृतिक परिदृश्य से घिरा हुआ है और अक्सर इस क्षेत्र में लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

लक्ष्मी नारायण मंदिर – Laxmi Narayan Mandir

लक्ष्मी नारायण मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर बिलासपुर का एक प्रमुख अद्भुत मंदिर है जो देवी लक्ष्मी और उनके पति भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के भक्तों के लिए धार्मिक महत्व रखता है। मंदिर में भक्त अक्सर पूजा करने और देवताओं से आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। सुंदर मंदिर का निर्माण शिखर शैली प्रकार की वास्तुकला के अनुसार किया गया है, जिसकी वजह से यह दुनियाभर से वास्तुकला प्रेमियों को आकर्षित करता है। मंदिर बिलासपुर बस स्टैंड के बहुत करीब स्थित है, अगर आप बिलासपुर की यात्रा कर रहें हैं तो आपको इस मंदिर में दर्शन के लिए जरुर जाना चाहिए।

फोर्ट बछरेटू – Bachhretu Fort

फोर्ट बछरेटू
Image Credit: Ankush Kumar Sharma
बछरेटू किला बिलासपुर जिले में स्थित प्राचीन किला है जो 14 वीं शताब्दी में बिलासपुर के राजा रतन चंद के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। यह शानदार संरचना अब खंडहर बन चुकीं है, लेकिन देश में काफी ऐतिहासिक महत्व का माना जाता है। बछरेटू किला समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। यह किला अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आती है और पर्यटकों के लिए खुला हुआ है। बछरेटू किला इतिहास प्रेमियों और फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीनों के लिए एक आदर्श आकर्षण है।

मार्कंडेय ऋषि मंदिर – Markandeya Rishi Temple

मार्कंडेय ऋषि मंदिर
मार्कंडेय जी मंदिर बिलासपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मार्कंडेय ऋषि को समर्पित धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में भक्त ऋषि मार्कंडेय की पूजा करने के लिए जाते हैं। भले ही यह एक धार्मिक स्थल है लेकिन मंदिर की सुंदरता भी दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। ऋषि मार्कंडेय मंदिर के पास एक झरना है जिसे बेहद पवित्र माना जाता है क्योंकि इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। मार्कंडेय जी की मूर्ति की भी अपनी अलग खासियत है। भक्तों का यह भी मानना ​​है कि ऋषि मार्कंडेय उन्हें कई शारीरिक बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। कई निःसंतान दंपति संतान प्राप्ति की उम्मीद में ऋषि मार्कंडेय की पूजा करने के लिए आते हैं।

कहलूर किला – Kahlur Fort

कहलूर किलाकहलूर किला या कोट-कहलूर एक राजसी संरचना है जो बिलासपुर जिले में समुद्र तल से लगभग 3600 फीट ऊपर स्थित है। बिलासपुर को ब्रिटिश काल के दौरान एक रियासत कहलूर के रूप में जाना जाता था। पहाड़ी पर स्थित यह किला बिलासपुर का एक प्रमुख आकर्षण है और बिलासपुर से काफी पास होने की वजह से पर्यटक यहाँ पिकनिक मानाने के लिए अक्सर आते हैं। इतिहास प्रेमी और वास्तुकला के दीवाने लोगों को यह किला बहुत लुहावना लगता है। कहलूर किला पूरी तरह से पत्थर से बना एक प्राचीन ढांचा है। यहाँ से पर्यटक साफ नीले आसमान के नीचे हरियाली भरी पहाड़ी का सुंदर मनोरम दृश्य देख सकते हैं।

वाटर स्पोर्ट्स एंड फिशिंग बिलासपुर (HP) – Water Sports And Fishing In Bilaspur (HP) 

वाटर स्पोर्ट्स एंड फिशिंग बिलासपुर (HP)बिलासपुर के गोबिंद सागर झील में वाटर स्कीइंग, सेलिंग, कयाकिंग, रेगाटास, मोटर बोट रेसिंग और बहुत से वाटर स्पोर्ट्स की सुविधा मौजूद है। इसके साथ ही यहाँ पर बोट भी मामूली शुल्क पर किराए पर मिल जाती है। झील में मछली पकड़ना भी एक पसंदीदा और लोकप्रिय गतिविधि है क्योंकि इसमें मछलियों की एक विस्तृत विविधता है जिसमें लबेरो डेरो और प्यूस्ट्रेटा के नाम शामिल हैं।

बिलासपुर में पैराग्लाइडिंग – Paragliding In Bilaspur

बिलासपुर में पैराग्लाइडिंगबिलासपुर पैराग्लाइडिंग में रुचि रखने वालों के लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है। यह क्षेत्र को स्वाभाविक रूप से साहसिक खेलों के लिए परफेक्ट है। बिलासपुर सबसे लोकप्रिय पैराग्लाइडिंग साइटों के साथ 8 घंटे की उड़ान के साथ-साथ एक झील के पास आदर्श लैंडिंग ग्राउंड पेश कर सकता है। यहाँ की बैंडला पहाड़ियाँ भी पैराग्लाइडिंग के लिए एक लोकप्रिय स्थान है।

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