गढ़वाली का एक प्रसिद्ध होली गीत - हम होली वाले देवें आशीष।

 गढ़वाली होली गीत

 गढ़वाली का एक प्रसिद्ध होली गीत - हम होली वाले देवें आशीष।

होली के नर्तक जब किसी गांव में या घर में प्रवेश करते हैं तो इस प्रकार गीत गाते और नाचते हैं-

"खोलो किवाड़ चलो मठ भीतर
दर्शन दीजो माई अम्बे-झुलसी रहो जी.
तील को तेल कपास की बाती
जगमग जोत जले दिन राती-झुलसी रहो जी."


हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष ..१..
बामण जीवें लाखों बरस
बामणी जीवे लाखों बरस ..२..
जिनके गोदों में लड़का खिलौण्या
व्है जयां ऊंका नाती खिलौण्या ..३..
जौं ला द्याया होली को दान
ऊं थई द्यालो श्री भगवान ..४..
एक लाख पुत्र सवा लाख नाती
जी रयां पुत्र अमर रयाँ नाती ..५..
हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष.

और इसी तरह गाते, बजाते तथा नाचते हुए नर्तकों की मंडली अपने पड़ोस के सभी गांवों में घूम-घूमकर होली नृत्यगीतों को गा-नाच आती है

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