केदारनाथ धाम का इतिहास ! (HISTORY OF KEDARNATH DHAM)

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 केदारनाथ धाम का इतिहास ! (HISTORY OF KEDARNATH DHAM)

केदारनाथ धाम का इतिहास ! (HISTORY OF KEDARNATH DHAM)


केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। ( केदारनाथ धाम का इतिहास ! )

उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है |

यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये शिलाखंड भूरे रंग की हैं। मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है। इसका गर्भगृह प्राचीन है जिसे 80वीं शताब्दी के लगभग का माना जाता है ।

केदारनाथ धाम और मंदिर तीन तरफ पहाड़ों से घिरा है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड।

केदारनाथ मंदिर न सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि पांच नदियों का संगम भी है यहां- मं‍दाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी ।

इन नदियों में से कुछ का अब अस्तित्व नहीं रहा लेकिन अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है।

केदारनाथ धाम के इतिहास के साथ साथ केदारनाथ धाम की मान्यताये को भी जरुर पढ़े |

केदारनाथ धाम के इतिहास के अनुसार केदारनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है | जयोतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है |
केदारनाथ मंदिर के किनारे मे केदारेश्वर धाम स्थित है | पत्थरो से बने कत्य्रुई शैली से बने केदारनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जन्मेजय ने कराया था | लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य ने की | केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते है | ( केदारनाथ धाम का इतिहास ! )


श्री केदारनाथ मंदिर में शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजे जाते है | शिव की भूजाए तुंगनाथ में , मुख रुद्रनाथ में , नाभि मदम्देश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए | इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को “पंचकेदार” कहा जाता है |

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