Lyrics of Uttarakhandi Songs - उत्तराखंडी गानों के बोल

नरेन्द्र सिंह नेगी जी सैकडों गानों को अपनी आवाज "परसी बटि लगातार, बार-बार कू बुखार, चड्यू छ रे"

नरेन्द्र सिंह नेगी जी सैकडों गानों को अपनी आवाज दे चुके हैं. लेकिन उनका यह गाना अपने आप में अनूठा है. एक आदमी अपनी बिमारी का इलाज कराने डाक्टर के पास पहुंच गया है. बिमारी के लक्षण बताने के साथ ही वह यह भी बताना नहीं भूलता कि वह इसके इलाज के लिये वैद्य से लेकर देवपूजा तक सब उपाय अपना कर हार चुका है और अब डाक्टर के हाथ से ही उसका इलाज होना है.
लेकिन मरीज जी चाहते हैं कि इलाज शुरु करने से पहले डाक्टर उनका मिजाज समझ ले. वो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि चाय, तम्बाकू और मांसाहार नहीं छोड पायेंगे और दलिया वगैरा खाना उनके वश की बात नहीं है. गोलियां, कैप्सूल, इंजेक्शन और ग्लूकोज वाला इलाज भी वो नहीं करवायेंगे. उनकी पाचन शक्ति ठीक नहीं है लेकिन वो बिना खाये भी रह नहीं पाते हैं.



दवाई के स्वाद बारे में उन्हें पहले से ही अहसास है कि डॉक्टर मीठी दवाई तो देगा ही नही, लेकिन डॉक्टर को वो खुले शब्दों में कहते हैं कि कड़वी दवाई वो पियेंगे ही नही..
इसके साथ ही वह बार-बार डॉक्टर से यह भी कहते रहते हैं कि मेरा इलाज अब तुम्हारे हाथों ही होना है…
सामान्य आदमी के मनोविज्ञान को दर्शाने वाला यह गाना लगता तो एक व्यंग की तरह है, लेकिन असल में यह एक कड़वी सच्चाई को उजागर करता है.. गाने के अंत में मरीज अपने रोग का कारण स्वयम ही बताता है… असल में वह इस बात से व्यथित है कि उसके मरने के बाद सारे रिश्तेदार और संपत्ति छोड़कर उसे जाना पड़ेगा…

परसी बटि लगातार, बार-बार कू बुखार, चड्यू छ रे डाग्टार, मर्दु छो उतार-तार-2
कुछ ना कुछ त कर जतन तेरे हाथ छ बच नै मन-2
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….
बैध धामि हारि गैनि, खीसा बटुवा झाडि गैनि-2
मेरि मारि खाडु कचैरि, खबेस पूजि देवता नचे
हरक फरक कुछ नि पडि-2
एक जूगु तक नि छडि
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….
तब करि इलाज मेरु समझि ले मिजाज मेरू-2
चा कु ढब्ज टुटदु नि, तंबाकु मैथे छुटदु नि
दलिया खिचडि खै नि सकदु-2
शिकरि बिना रै नि सकदु
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….
सफेद गोलि खपदि नी, लाल पिंगलि पचदि नी-2
ग्लुकोज शीशि चडदि नी, पिसी पुडिया लडदि नी
कैप्पसूल खै नि सकदु-2
इंजक्शन मैं सै नि सकदु
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….
खान्दु छौं पचै नि सकदुं, बिना खाया मि रै नि सकदुं-2
उन्द, उब्ब बगत-बगत, गरम-ठण्ड मैं नि खबद
मिठि दवै तैलें दैणि नी, कडि दवै मिल पैणि नि
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….
नाती-नातिना माया ममता, जर जजैता फैलि संगदा,
कूडि-पुंगदि गौरु भैंसा, यख्खि छुट्दा रुप्या-पैसा
मन को भैम त्वै बतांदु, डाग्टर मैं बोल नि चांदु
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

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