कविता कोश "मुझे मेरे चाहने वालों ने आवारा बना डालाा"
मुझे मेरे चाहने वालों ने आवारा बना डाला
हमारे मीठेपन को भी अब खारा बना डाला
सफर ये जिंदगी का है मिले हैं फिर बिछुड़ने को
यही अफसोस गैरों में सफर सारा गवां डाला
यहाँ थे काम के बंदे कभी हम भी हुआ करते
मगर अब दोस्तों ने हमको नक्कारा बना डाला
सियासत हर जगह देखी हैं चेहरों में कयी चेहरे
यहाँ दिल की तमन्ना को चेहरों ने जला डाला
हमारी इस शराफत ने कहीं का भी नहीं छोड़ा
यहाँ इन महफिलों ने हमको बेचारा बना डाला
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें