15 + प्रसिद्ध गढवाली कहावतें( पहाड़ी कहावतें)
15 कहावतें गढवाली में /पुरानी गढवाली कहावतें / गढवाली मजेदार कहावतें
कुछ अपणी गढ़वाली/लोकोक्तियां कहावतें / गढ़वाली कहावतें ( पहाड़ी कहावतें ) कुछ गढ़वाली औखाण (मुहावरों) का मजा आप भी लीजिये
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- हाथा की त्येरी, तवा की म्यरी ।
- कखी डालु ढली, खक गोजु मारी ।
- बाखुरी कु ज्यू भी नि जाऊ, बाग भी भुकु नि राऊ ।
- लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।
- जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।
- जाणदु नि च बिछी कु मंत्र, साँपे दुली डाल्दु हाथ ।
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