उत्तराखंड होली के प्रसिद गीत(Famous Songs of Uttarakhand Holi)

उत्तराखंड होली के प्रसिद गीत 
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कुमाऊंनी बैठक होली

कुमाऊंनी होली

इस प्रकार की कुमाऊंनी होली का शाब्दिक अर्थ है दोस्तों और परिवार के साथ बैठकर गायन करके मनाई जाने वाली होली और यह बसंत पंचमी के दिन से शुरू होती है और फाल्गुन महीने की आखिरी पूर्णिमा तक जारी रहती है। इस संगीतमय उल्लास को 'निर्वाण की होली' या 'मोक्ष की होली' भी कहा जाता है।

मत जाओ पिया होली आई रही,
मत जाओ पिया होरी आई रही।
आई रही ऋतु जाई रही, 
मत जाओ पिया.......
पाँव पड़ेंगी हाथ जोड़ेंगी, 
बाँह पर्कड़ के मनाय रही। 
मत जाओ पिया.......
आगे सजना पीछे सजनी,
पाँव में पाँव मिलाय रही। 
मत जाओ पिया.......
जिनके पिया परदेश बसत हैं, 
उनकी नारी सोच मरी। 
मत जाओ पिया.......
जिनके पिया नित घर में बसत हैं, 
उन की नारी रंग भरी, 
मत जाओ पिया.......
मत जाओ पिया होली आई रही, 
मत जाओ पिया होली आई रही।।

उत्तराखंड होली के प्रसिद गीत 
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राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने।
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निरनब्बे यज्ञ किये राजा बलि ने ..2,
किन्ही स्वर्ग की आशा, राजा बलि छलने ,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी
 राजा बलि छलने।
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इंद्र सिहासन डोलन लाग्यो ..2
पहुंचे विष्णु के पासा, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने।

बूड़े बामन का भेष धरयो ..2
 पहुंचे बलि के पासा, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
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बूड़े बामन को आसन दीनो ..2
 पूछे सारे हाला, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
 राजा बलि छलने।
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माग ले बामन जो कछु मागे ..2
जो मन इच्छा होय राजा बलि छलने,
 राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने।
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तीन चरण मोहे धरती दीजो ..2
यज्ञ करण की आशा, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
 राजा बलि छलने।
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अहो बामन तने कछु नहीं माँगा ..2
किस्मत तेरी खोटी, राजा बलि छलने,
 राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
 राजा बलि छलने।
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एक चरण से धरती नापी ..2
दूजे से आकाशा, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने।
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तीसरो चरण बलि सिर पर राख्यो ..2
 बलि पहुंचे पाताला, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने।
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राजा बलि पाताल सिधारो ..2
भीष उड़े आकाशा, राजा बलि छलने,
 राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने।
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घन घन घन घन घंटा बाजे ..2
धूल उड़ी आकाशा, राजा बलि छलने, 
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी, 
राजा बलि छलने.....||



उत्तराखंड होली के प्रसिद गीत 
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ऐ गे बसंत ऋतु, ऐगेनी होली, आमू की डाली में कोयल बोली।
उडिगो छो अबीर-गुलाल, हिमाला डाना लाल भयो, केसर रंग की बहार, हिमाला डाना लाल भयो।
बांज-बुरांश का कुमकुम मारो, डाना-काना रंग दे बसंती नारंगी। 
तुम विघ्न हरो महाराज, होली के दिन में।
मुबारक हो मंजरी फूलों भरी, ऐसी होली खेलें जनाब अली।
चंद्र्रबदन खोलो द्वार, कि हर मनमोहन ठाडे।

उत्तराखंड होली के प्रसिद गीत 
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कुमाऊंनी होली
      जल कैसे भरू यमुना गहरी
ठाढ़े भरू राजा राम देखत है
        बैठे भरूं भीगे चुनरी
            जल कैसे भरू यमुना गहरी
धीरे चलूं घर सास बुरी है
           धमकी चलूं छलके गहरी
जल कैसे भरू यमुना गहरी
           गोदी में बालक सिर में गागर
पर्वत से उतरी गौरी
          जल कैसे भरूं यमुना गहरी।
                 होली की बहुत बहुत बधाई हो
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होली गढ़वाली ऐगे फागुण मैना Jagdesh Bakrola Kavita Kaheda 
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ऐसी होली आज कीजै
 प्रेम रंग मोहे रंग दीजै
दुनियादारी रंग मोहित 
प्रेम रंग अति सुशोभित 
लाज शरम छोड़ी मैंने 
होली में हृदय आल्हादित 
हृदय प्याला भर पीजै
 प्रेम रंग मोहे रंग दीजै
 ऐसी होली आज कीजै
बँधी साथ माया बंधन
 माया है मन माया है तन
 ये जग मुझको ललचाये 
अनेक अनेक रंग दिखाये 
अब चाहे कुछ कर दीजै
 प्रेम रंग मोहे रंग दीजै
 ऐसी होली आज कीजै
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