गाँव मे धनपुतली (gaon me dhanaputali)

गाँव मे धनपुतली

गाँव मे धनपुतली उड़ने का मतलब होता है कि ये किसान को चेताता है कि अब धान लगाने का समय आ गया है पहाड़ मे मौसम की चेतावनी याद कराता है।

चीटी का अन्तिम समय

जब चीटी का अन्तिम समय आता है तो उनके पर निकल जाते हैं, वह उड़ती हैं, खूब उड़ती हैं और अन्त में मर जाती हैं। 

धान की फसल ऊपर

लेकिन बचपन में बरसात के मौसम में और धान की फसल ऊपर निकल आने पर इनके पर निकलने शुरु होते थे, हम बच्चे इन्हें पकड़ते और छोड़ देते और गाते 

"'धनपुतली दान दे,सुप्पा भरी धान दे,तेरी बरियात पछिल देखुल,बरखा एगे जान दे""🙂

 बालगीत

खेतों में इन पुतलों का पीछा करना हर पहाड़ी के बचपन की एक सुनहरी याद है, साथ में इस बालगीत को चिल्ला-चिल्ला कर गाना। 

ऐ धनपुतली फिर मुझे गाँव पहुँचा दे।


माना जाता है कि चींटी जीवन भर मेहनत करती है और उसे भगवान अपने पास बुलाने के लिये धनपुतली बनाता है और यह उड़कर उस तक पहुंचती है, इसलिये कृषि प्रधान पहाड़ इनसे धान की अच्छी फसल होने की कामना करता है।
हम बच्चे इन्हें पकड़ते और छोड़ देते और गाते 

"'धनपुतली दान दे,सुप्पा
भरी धान दे,
तेरी बरियात पछिल देखुल,
बरखा एगे जान दे""🙂

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