पहाड़ी कविता कोश (परदेस और पहाड़ी गांव का फर्क दिखाया है (parades or pahadi gaon ka firk dikhaya hai))
*गढवली मा कविता*
उतराखंड
ये दिल्ली का बाजार मा
दिल्ली
कुड़ी पुंगड़ी छोड़ के
उतराखंड का मौसम
किराया कु कमरा
दिल्ली का पॉलीशान
गैरों की भीड़ मा
उतराखंड मैं अपनो का प्यार
न दगड्यों की भीड़ च
न मच्छों कु ठुंगार च
न टिचरी कु पव्वा च
न देशी की बहार च
मतलबी छिन लोग इख
यकुली छो परिवार मा
न ब्वेई बाबा कु दुलार च
न भे बन्दों कु प्यार च
सगोडा पतोडा छुडणा की
उतराखंड खेती
खेती बड़ी छोड़ी की
रकरयादूँ छो बाजार मा
रूखी सुखी खान्दु छो
आम का आचार मा
ये दिल्ली का बाजार मा....
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