दशम कोष्ठ का अध्ये शतक
केतकी, कंज, गुलाब, जुही, पर, सुमन सुवासित मनहारी ।
धारत चरण लहे
सुखसारं नसै रोग सब दुःखकारी ।। १ ।।
पुष्पांजलिं
क्षिपेत् ।
यह त्रिनेत्रा
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
त्रिनेत्रारं नमः, अर्घ ।
यह त्र्यम्बिका
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ३ ।।
ॐ आं को हीं
त्र्यम्बिकायै नमः, अर्ध ।
यह तन्त्री करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ४ ।।
ॐ आं कों हीं
तंत्र्यै नमः, अर्थ ।
यह त्रिपुरा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ५ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिपुरायै
नमः, अर्ध ।
यह त्रिपुरभैरवी
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिपुरमैख्यै नमः, अर्थ ।
यह त्रिपृष्ठा
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ७ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिपृष्ठायै नमः, अर्ध ।
यह त्रिफणा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तार करत अपारं सुख सारं ।। ८ ।।
ॐ आं कों
हॉत्रिफणायै नमः, अर्घ ।
यह तारा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं
तारायै नमः, अर्घ ।
यह तोतिला करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १० ।।
ॐ आं कों हीं
तोतिलायै नमः, अर्ध ।
यह त्वरिता करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि
विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।| 99 ।।
ॐ आं कों हीं
त्वरितायै नमः, अर्घ ।
यह तुला करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १२ ।।
ॐ आं कों हीं
तुलायै नमः, अर्ध ।
यह तपःप्रिया करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १३ ।।
ॐ आं को हीं
तपःप्रियायै नमः, अर्घ ।
यह तापसी करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।| १४ ।।
ॐ आं कों हीं
तापस्यै नमः, अर्घ ।
यह तपोनिष्ठा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १५ ।।
ॐ आं कों हीं
तपोनिष्ठायै नमः, अर्घ ।
यह तपस्विनी करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
तपस्विन्यै नमः, अर्घ ।
यह
त्रैलोक्यदीपिका करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १७ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिलोक्यदीपिकायै नमः, अर्ध ।
यह त्रेधा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १८ ।।
ॐ आं को हीं
त्रेधायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिसन्ध्या
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १६ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिसन्ध्यायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिपदाश्रया
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
त्रिपदाश्रयायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिरूपा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
त्रिरूपायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिपथत्राणा
करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
त्रिपथत्राणायै नमः, अर्घ ।
यह तारा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २३ ।।
ॐ आं कों हीं
तारायै नमः, अर्ध ।
यह
त्रिपुरसुन्दरी करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २४ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिपुरसुन्दर्यै नमः, अर्घ ।
यह त्रिलोचना करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २५ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिलोचनायै नमः, अर्ध ।
यह त्रिपथगा करत
उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं
बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २६ ।।
ॐ आं कों हीं
त्रिपथगायै नमः, अर्घ ।
तारामानमर्दिनी
की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान
तुम चरणन करूँ ।। २७ ।।
ॐ आं को हीं
तारामानमर्दिन्यै नमः, अर्घ ।
धर्मप्रिया की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। २८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
धर्मप्रियायै नमः, अर्घ ।
धर्मदा की भक्ति
वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। २६ 11
ॐ आं कों ह्रीं
धर्मदायै नमः, अर्घ ।
धर्मिणी की भक्ति
वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम धरणन करूँ ।। ३० ।।
ॐ आं कों हीं
धर्मिण्यै नमः, अर्घ ।
धर्मपालिनी की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३१ ।।
ॐ आं कों हीं
धर्मपालिन्यै नमः, अर्घ ।
धरा की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३२ ।।
ॐ आं कों हीं
धरायै नमः, अर्घ । की भक्ति वश अर्चा
करूँ ।
धरधरा सब रोग शोक
नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३३ ।।
ॐ आं कों हीं
घरघरायै नमः, अर्घ ।
धारा की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
धारायै नमः, अर्ध ।
धात्री की भक्ति
वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३५ ।।
ॐ आं को ह्रीं
धात्र्यै नमः, अर्घ ।
धर्मागंपालिनी की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३६ ।।
ॐ आं कों हीं
धर्मागंपालिन्यै नमः, अर्घ ।
धौता की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३७ ।।
ॐ आं को हीं
धौतायै नमः, अर्ध ।
धृति की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ । । ३८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
धृत्यै नमः, अर्घ ।
धुरी की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३६ ।।
ॐ आं कों हीं
धुर्यै नमः, अर्घ ।
धीरा की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४० ।।
ॐ आं कों ह्रीं धीरायै
नमः, अर्घ ।
धुनुनी की भक्ति
वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४१।।
ॐ आं कों हीं
धुनुन्यै नमः, अर्ध ।
धनुर्धरा की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४२ ।।
ॐ आं कों हीं धनुर्धरायै नमः, अर्घ ।
ब्रह्माणी की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४३ ।।
ॐ आं को हीं
ब्रह्माण्यै नमः, अर्घ ।
ब्रह्मगोत्रा की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४४ ।।
ॐ आं कों हीं
ब्रह्मगोत्रायै नमः, अर्घ ।
ब्राह्मणिका की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४५ ।।
ॐ आं कों हीं
ब्राह्मणिकायै नमः, अर्ध ।
ब्रह्मपालिनी की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
ब्रह्मपालिन्यै नमः, अर्घ ।
ब्राह्मी की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
ब्राह्मयै नमः, अर्घ ।
विद्युप्रभा की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।| ४८ ।।
ॐ आं कों हीं
विद्युलभायै नमः, अर्थ ।
वीरा की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूं ।| ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
बीरायै नमः, अर्घ ।
वीणा की भक्ति वश
अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ५० ।।
ॐ आं कों ह्रीं वीणायै नमः, अर्घ ।
वासवपूजिता की
भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय
ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ५१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
वासवपूजितायै नमः, अर्थ।
गीतप्रिया आओ
देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से. माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५२ ।।
ॐ आं कों हीं
गीतप्रियायै नमः, अर्घ ।
गर्भधरा आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय । ।५३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गर्भधरायै नमः, अर्घ ।
गर्भदा आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५४ ।।
ॐ आं कों हीं
गर्भदायै नमः, अर्घ ।
गजगामिनी आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५५ ।।
ॐ आं कों हीं
गजगामिन्यै नमः, अर्ध ।
गंगा आओ देवी मन
आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५६ ।।
ॐ आं कों हीं
गंगायै नमः, अर्घ ।
गोदावरी आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गोदावर्यै नमः, अर्घ ।
गोर्गा आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५८ ।।
ॐ आं कों हीं
गोर्गायै नमः, अर्थ ।
गायत्री आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।।५६ ।।
ॐ आं को ह्रीं
गायत्र्यै नमः, अर्घ ।
गणपालिनी आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय । । ६० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गणपालिन्यै नमः, अर्घ ।
गोचरी आओ देवी मन
आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय । ।६१ ।।
ॐ आं को हीं
गोचर्यै नमः, अर्घ ।
गोमती आओ देवी मन
आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६२ ।।
ॐ आं कों हीं
गोमत्यै नमः, अर्घ ।
गुर्वी आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६३ ।।
ॐ आं को हीं
गुव्यै नमः, अर्घ ।
गन्धा आओ देवी मन
आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गन्धायै नमः, अर्घ ।
गन्धारिणी आओ
देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गन्धारिण्यै नमः, अर्घ ।
गुहा आओ देवी मन
आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दाखि सभी नश जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं कों हीं
गुहाये नमः, अर्घ ।
गरीयसी आओ देवी
मन आनन्दित होता आज
।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६७ ।।
ॐ आं कों हीं
गरीयस्यै नमः, अर्ध ।
गुणोपेता आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख वारिद्र सभी नश जाय ।। ६८ ।।
ॐ आं कों हीं
गुणोपेतायै नमः, अर्थ ।
गरिष्ठा आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गरिष्ठायै नमः, अर्घ ।
गरमर्दिनी आओ
देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गरमर्दिन्यै नमः, अर्घ ।
गंभीरा आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७१ ।।
ॐ आं कों हीं
गंभीरायै नमः, अर्ध ।
गुरुरूपा आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७२ ।।
ॐ आं कों हीं
गुरुरूपायै नमः, अर्घ ।
गीता आओ देवी मन
आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७३ ।।
ॐ आं कों हीं
गीतायै नमः, अर्घ ।
गर्वापहारिणी आओ
देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
गर्वापहारिण्यै नमः, अर्घ ।
गृहिणी आओ देवी
मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा
से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७५ ।।
ॐ आं कों हीं
गृहिण्यै नमः, अर्घ ।
ग्राहिणी देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ७६ ।।
ॐ आं को हीं
प्राहिष्यै नमः, अर्घ ।
गौरी देवी का है
ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ७७ ।।
ॐ आं को ही
गौर्यै नमः, अर्घ ।
गन्धारी देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज
मन में शान्ति सभी मिल जाय ।| ७८ ।।
ॐ आं को हीं
गन्धायै नमः, अर्थ ।
गन्धवासिनी देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ७६ ।।
ॐ आं को हीं
गन्धवासिन्यै नमः, अर्घ ।
गरुडी देवी का है
ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८० ।।
ॐ आं को हीं
गरुडूयै नमः, अर्घ ।
ग्रासिनी देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८१ ।।
ॐ आं को हीं
प्रासिन्यै नमः, अर्घ ।
गूठा देवी का है
ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८२ ।।
ॐ आं को ह्रीं
गूठायै नमः, अर्घ ।
गेहिनी देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८३ ।।
ॐ आं को हीं
गेहिन्यै नमः, अर्ध ।
गुणदायिनी देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८४ ।।
ॐ आं को हीं
गुणदायिन्यै नमः, अर्ध ।
चकमाध्या देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८५ ।।
ॐ आं को ह्रीं
चकमाध्यायै नमः, अर्घ ।
चकधारा देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८६ ।।
ॐ आं को हीं
चकधारायै नमः, अर्थ ।
चित्रिणी देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८७ ।।
ॐ आं को हीं
चित्रिष्यै नमः, अर्ध ।
चित्ररूपिणी देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८८ ।।
ॐ आं को हीं
चित्ररूपिण्यै नमः, अर्घ ।
चर्चिता देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
चर्चितायै नमः, अर्घ ।
चतुरा देवी का है
ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६० ।।
ॐ आं कों हीं
चतुरायै नमः, अर्घ ।
चित्रा देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६१।।
ॐ आं को हीं
चित्रायै नमः, अर्ध ।
चित्रमाया देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६२ ।।
ॐ आं कों हीं
चित्रमायायै नमः, अर्घ ।
चतुर्भुजा देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६३ ।।
ॐ आं को हीं
चतुर्भुजायै नमः, अर्थ ।
चन्द्राभा देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।।६४ ।।
ॐ आं को हीं
चन्द्राभायै नमः, अर्घ ।
चन्द्रवर्णा देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६५ ।।
ॐ आं को हीं
चन्द्रवर्णाय नमः, अर्ध ।
चकिणी देवी का है
ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं को ह्रीं
चकिण्यै नमः, अर्घ ।
चक्कधारिणी देवी
का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६७ ।।
ॐ आं को हीं
चकधारिण्यै नमः, अर्घ ।
चकायुधा देवी का
है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके
आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६८ ।।
ॐ आं को हीं
चकायुधायै नमः, अर्घ ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें