दशम कोष्ठ का अध्ये शतक part -16 (dasham koshth ka adhye shatak)

 दशम कोष्ठ का अध्ये शतक

केतकी, कंज, गुलाब, जुही, पर, सुमन सुवासित मनहारी ।
धारत चरण लहे सुखसारं नसै रोग सब दुःखकारी ।। १ ।।
पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।
यह त्रिनेत्रा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २ ।।
ॐ आं कों ह्रीं त्रिनेत्रारं नमः, अर्घ ।
यह त्र्यम्बिका करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ३ ।।
ॐ आं को हीं त्र्यम्बिकायै नमः, अर्ध ।
यह तन्त्री करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ४ ।।
ॐ आं कों हीं तंत्र्यै नमः, अर्थ ।
यह त्रिपुरा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ५ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिपुरायै नमः, अर्ध ।
यह त्रिपुरभैरवी करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिपुरमैख्यै नमः, अर्थ
यह त्रिपृष्ठा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ७ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिपृष्ठायै नमः, अर्ध ।
यह त्रिफणा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तार करत अपारं सुख सारं ।। ८ ।।
ॐ आं कों हॉत्रिफणायै नमः, अर्घ ।
 
 
यह तारा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं तारायै नमः, अर्घ ।
यह तोतिला करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १० ।।
ॐ आं कों हीं तोतिलायै नमः, अर्ध ।
यह त्वरिता करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।| 99 ।।
ॐ आं कों हीं त्वरितायै नमः, अर्घ ।
यह तुला करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १२ ।।
ॐ आं कों हीं तुलायै नमः, अर्ध ।
यह तपःप्रिया करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १३ ।।
ॐ आं को हीं तपःप्रियायै नमः, अर्घ ।
यह तापसी करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।| १४ ।।
ॐ आं कों हीं तापस्यै नमः, अर्घ ।
यह तपोनिष्ठा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १५ ।।
ॐ आं कों हीं तपोनिष्ठायै नमः, अर्घ ।
यह तपस्विनी करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं तपस्विन्यै नमः, अर्घ ।
यह त्रैलोक्यदीपिका करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १७ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिलोक्यदीपिकायै नमः, अर्ध । 
यह त्रेधा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १८ ।।
ॐ आं को हीं त्रेधायै नमः, अर्घ ।
 
 
 
 
 
यह त्रिसन्ध्या करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। १६ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिसन्ध्यायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिपदाश्रया करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २० ।।
ॐ आं कों ह्रीं त्रिपदाश्रयायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिरूपा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं त्रिरूपायै नमः, अर्घ ।
यह त्रिपथत्राणा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं त्रिपथत्राणायै नमः, अर्घ ।
यह तारा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २३ ।।
ॐ आं कों हीं तारायै नमः, अर्ध ।
यह त्रिपुरसुन्दरी करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २४ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिपुरसुन्दर्यै नमः, अर्घ ।
यह त्रिलोचना करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २५ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिलोचनायै नमः, अर्ध ।
यह त्रिपथगा करत उपकारं हरत विकारं अघ भारं ।
जय यश दातारं बुद्धि विस्तारं करत अपारं सुख सारं ।। २६ ।।
ॐ आं कों हीं त्रिपथगायै नमः, अर्घ ।
तारामानमर्दिनी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। २७ ।।
ॐ आं को हीं तारामानमर्दिन्यै नमः, अर्घ ।
धर्मप्रिया की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। २८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं धर्मप्रियायै नमः, अर्घ ।
 
 
 
 
धर्मदा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। २६ 11
ॐ आं कों ह्रीं धर्मदायै नमः, अर्घ ।
धर्मिणी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम धरणन करूँ ।।  ३० ।।
ॐ आं कों हीं धर्मिण्यै नमः, अर्घ ।
धर्मपालिनी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३१ ।।
ॐ आं कों हीं धर्मपालिन्यै नमः, अर्घ ।
धरा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३२ ।।
ॐ आं कों हीं धरायै नमः, अर्घ । की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
धरधरा सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३३ ।।
ॐ आं कों हीं घरघरायै नमः, अर्घ ।
धारा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं धारायै नमः, अर्ध ।
धात्री की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३५ ।।
ॐ आं को ह्रीं धात्र्यै नमः, अर्घ ।
धर्मागंपालिनी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३६ ।।
ॐ आं कों हीं धर्मागंपालिन्यै नमः, अर्घ ।
धौता की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३७ ।।
ॐ आं को हीं धौतायै नमः, अर्ध ।
धृति की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ । । ३८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं धृत्यै नमः, अर्घ ।
 
 
 
 
धुरी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ३६ ।।
ॐ आं कों हीं धुर्यै नमः, अर्घ ।
धीरा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४० ।।
ॐ आं कों ह्रीं धीरायै नमः, अर्घ ।
धुनुनी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४१।।
ॐ आं कों हीं धुनुन्यै नमः, अर्ध ।
धनुर्धरा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४२ ।।
 ॐ आं कों हीं धनुर्धरायै नमः, अर्घ ।
ब्रह्माणी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४३ ।।
ॐ आं को हीं ब्रह्माण्यै नमः, अर्घ ।
ब्रह्मगोत्रा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४४ ।।
ॐ आं कों हीं ब्रह्मगोत्रायै नमः, अर्घ ।
ब्राह्मणिका की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४५ ।।
ॐ आं कों हीं ब्राह्मणिकायै नमः, अर्ध ।
ब्रह्मपालिनी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं ब्रह्मपालिन्यै नमः, अर्घ ।
ब्राह्मी की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।।  ४७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं ब्राह्मयै नमः, अर्घ ।
विद्युप्रभा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।| ४८ ।।
ॐ आं कों हीं विद्युलभायै नमः, अर्थ ।
 
 
 
 
वीरा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूं ।| ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं बीरायै नमः, अर्घ ।
वीणा की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ५० ।।
 ॐ आं कों ह्रीं वीणायै नमः, अर्घ ।
वासवपूजिता की भक्ति वश अर्चा करूँ ।
सब रोग शोक नशाय ध्यान तुम चरणन करूँ ।। ५१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं वासवपूजितायै नमः, अर्थ।
गीतप्रिया आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से. माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५२ ।।
ॐ आं कों हीं गीतप्रियायै नमः, अर्घ ।
गर्भधरा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय । ।५३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं गर्भधरायै नमः, अर्घ ।
गर्भदा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५४ ।।
ॐ आं कों हीं गर्भदायै नमः, अर्घ ।
गजगामिनी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५५ ।।
ॐ आं कों हीं गजगामिन्यै नमः, अर्ध ।
गंगा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५६ ।।
ॐ आं कों हीं गंगायै नमः, अर्घ ।
गोदावरी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं गोदावर्यै नमः, अर्घ ।
गोर्गा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ५८ ।।
ॐ आं कों हीं गोर्गायै नमः, अर्थ ।
 
 
 
गायत्री आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।।५६ ।।
ॐ आं को ह्रीं गायत्र्यै नमः, अर्घ ।
गणपालिनी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय । । ६० ।।
ॐ आं कों ह्रीं गणपालिन्यै नमः, अर्घ ।
गोचरी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय । ।६१ ।।
ॐ आं को हीं गोचर्यै नमः, अर्घ ।
गोमती आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६२ ।।
ॐ आं कों हीं गोमत्यै नमः, अर्घ ।
गुर्वी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६३ ।।
ॐ आं को हीं गुव्यै नमः, अर्घ ।
गन्धा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं गन्धायै नमः, अर्घ ।
गन्धारिणी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं गन्धारिण्यै नमः, अर्घ ।
गुहा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दाखि सभी नश जाय  ।। ६६ ।।
ॐ आं कों हीं गुहाये नमः, अर्घ ।
गरीयसी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६७ ।।
ॐ आं कों हीं गरीयस्यै नमः, अर्ध ।
गुणोपेता आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख वारिद्र सभी नश जाय ।। ६८ ।।
ॐ आं कों हीं गुणोपेतायै नमः, अर्थ ।
 
 
 
 
गरिष्ठा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं गरिष्ठायै नमः, अर्घ ।
गरमर्दिनी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७० ।।
ॐ आं कों ह्रीं गरमर्दिन्यै नमः, अर्घ ।
गंभीरा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७१ ।।
ॐ आं कों हीं गंभीरायै नमः, अर्ध ।
गुरुरूपा आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७२ ।।
ॐ आं कों हीं गुरुरूपायै नमः, अर्घ ।
गीता आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७३ ।।
ॐ आं कों हीं गीतायै नमः, अर्घ ।
गर्वापहारिणी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं गर्वापहारिण्यै नमः, अर्घ ।
गृहिणी आओ देवी मन आनन्दित होता आज ।
तव चरणों की पूजा से माँ दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।। ७५ ।।
ॐ आं कों हीं गृहिण्यै नमः, अर्घ ।
ग्राहिणी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ७६ ।।
ॐ आं को हीं प्राहिष्यै नमः, अर्घ ।
गौरी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ७७ ।।
ॐ आं को ही गौर्यै नमः, अर्घ ।
गन्धारी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।| ७८ ।।
ॐ आं को हीं गन्धायै नमः, अर्थ ।
 
 
 
 
 
 
गन्धवासिनी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ७६ ।।
ॐ आं को हीं गन्धवासिन्यै नमः, अर्घ ।
गरुडी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८० ।।
ॐ आं को हीं गरुडूयै नमः, अर्घ ।
ग्रासिनी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८१ ।।
ॐ आं को हीं प्रासिन्यै नमः, अर्घ ।
गूठा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८२ ।।
ॐ आं को ह्रीं गूठायै नमः, अर्घ ।
गेहिनी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८३ ।।
ॐ आं को हीं गेहिन्यै नमः, अर्ध ।
गुणदायिनी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।।  ८४ ।।
ॐ आं को हीं गुणदायिन्यै नमः, अर्ध ।
चकमाध्या देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८५ ।।
ॐ आं को ह्रीं चकमाध्यायै नमः, अर्घ ।
चकधारा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८६ ।।
ॐ आं को हीं चकधारायै नमः, अर्थ ।
चित्रिणी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८७ ।।
ॐ आं को हीं चित्रिष्यै नमः, अर्ध ।
चित्ररूपिणी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८८ ।।
ॐ आं को हीं चित्ररूपिण्यै नमः, अर्घ ।
 
 
 
चर्चिता देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ८६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं चर्चितायै नमः, अर्घ ।
चतुरा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६० ।।
ॐ आं कों हीं चतुरायै नमः, अर्घ ।
चित्रा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६१।।
ॐ आं को हीं चित्रायै नमः, अर्ध ।
चित्रमाया देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६२ ।।
ॐ आं कों हीं चित्रमायायै नमः, अर्घ ।
चतुर्भुजा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६३ ।।
ॐ आं को हीं चतुर्भुजायै नमः, अर्थ ।
चन्द्राभा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।।६४ ।।
ॐ आं को हीं चन्द्राभायै नमः, अर्घ ।
चन्द्रवर्णा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६५ ।।
ॐ आं को हीं चन्द्रवर्णाय नमः, अर्ध ।
चकिणी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६६ ।।
ॐ आं को ह्रीं चकिण्यै नमः, अर्घ ।
चक्कधारिणी देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६७ ।।
ॐ आं को हीं चकधारिण्यै नमः, अर्घ ।
चकायुधा देवी का है ठाठ सुन्दर काया मन हर्षाय ।
इनकी पूजा करके आज मन में शान्ति सभी मिल जाय ।। ६८ ।।
ॐ आं को हीं चकायुधायै नमः, अर्घ ।

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