दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल(उत्तराखंड) (Diba Devi Temple Pauri Garhwal (Uttarakhand))
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दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल |
नमस्कार दोस्तों क्या आपने कभी सुना है कि किसी मंदिर के आस पास पाए जाने वाले पेड़ों को काटने पर उन से खून जैसा तरल पदार्थ निकले अगर नहीं तो चलिए जानते हैं ऐसे ही एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके चारों के पेड़ो को कटाने पर उनसे खून जैसा तरल पदर्थ निकलता है हम बात कर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में पट्टी खाटली में स्थित दीबा देवी मंदिर के बारे में जो मंदिर अपने आप में रहश्य का भंडार है | तो किये जानते है इस मंदिर की मान्यता और रहस्यों के बारे में|
दीबा देवी मंदिर की पौराणिक कथा
देवो की भूंमि उत्तराखंड में जब गोरखाओ ने आक्रमण करके अपने अधीन कर लिया था, तो उन्होंने इस क्षेत्र पर भी अपनी सेना को भेजकर वहां के लोगो को जान से मारना शुरू कर दिया था तब दीबा माँ ने गोरखाओ से वहां के लोगों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया व एक आदमी के स्वपन में आकर अपना यहाँ स्थान बताया था, दीबा मां को इस क्षेत्र की रक्षक देवी भी कहा जाता है, माँ ने गोरखाओ का संघार करके उस स्थान को धन्य कर दिया|जहां यह मंदिर स्थित है उस स्थान को दीबा डाडा कहा जाता है |
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दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल |
कहा जाता ही माँ इसी मंदिर से उस क्षेत्र के लोगो को आवाज लगाकर बताती थी की गोरखा सेना कहाँ से आ रहे है यहाँ की एक रोचक बात यह है की इस मंदिर से चारो तरफ साफ साफ दूर तक देखा जा सकता है,किन्तु किसी अन्य मंदिर की जगह नहीं दिखयी देती अब इसे माँ का चमत्कार ही कहा सकते है | मंदिर में जहाँ माँ की प्रतिमा है उस स्थान पर एक भूमि के निचे गुफा बनी हुई है दीबा देवी इसी गुफा में वह के लोगो को गोरखा सेना से बचने के लिए छुपा दिया करती थी| आज यह गुफा समय के साथ थोड़ी बहुत दिखाई देती क्युकी यह बहुत सारे पथरो के टुकड़ो से दब चुकी है |
दीबा देवी मंदिर के रहस्य
मंदिर से जुड़े बहुत सारे रहस्य है जो आज तक सुलझे ही नहीं है ,इस मंदिर में एक ऐसा पत्थर जिसे जिस भी दिशा में करे उस दिशा में बारिश होने लगती है ,मंदिर में दर्शन करने का समय सूर्य उदय से पहले है कहा जाता है की माँ के दर्शन सूर्य उदय के बाद नहीं किये जा सकते है,एक विचित्र बात यहाँ भी है की मंदिर के चारो और पाए जाने वाले पेड़ो को अगर कटा या उनपे कोई पत्थर फेका जाये तो उनसे खून जैसा तरल पदार्थ निकलता है,पेड़ो के पीछे एक कहानी यहाँ है,की ये सभी पेड़ मनुष्य थे जो की एक श्राप के कारण पेड़ बन गए|
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दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल |
इन पेड़ो का आकर भी थोड़ा अलग ही है वह के लोग कहते है की इन पेड़ो को सिर्फ वह भंडारी जाति के लोग हिओ काट सकते है |
जिसके घर में किसी की मृत्यु हुई हो और किसी बच्चे ने जनम लिया हो, माँ दीबा उन लोगो को दर्शन नहीं देती है,यहाँ वह के लोगो में मान्यता है| दीबा माँ को शांति में रहना पसंद है अगर कोई इंसान ढोल दामू के साथ मंदिर के दर्शन करने जाता है तो वह मंदिर तक नहीं अब इसे इतेफाक ही कहा सकते है की मैं सड़क से सिर्फ 50-60मीटर दुरी होने पर भी आप दर्शन नई कर पाएंगे
लोगो का कहना है कि आज भी दीबा माँ कभी कभी एक सफ़ेद बालो वाली औरत के रूप में भी दर्शन देती है, अब इस बात में कितनी सचाई है ये हम कहा नहीं सकते है |
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दीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल |
* दीबा देवी मंदिर के रहस्य
यह वह जगह है जहाँ पहुच कर भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। यहाँ का इतिहास बहुत ही आश्चर्यजनक है। समुद्र तल से ऊंचाई २५२० मीटर है। दीबा ने इस स्थान पर तब अवतार लिया जब गोरखाओ ने पट्टी खाटली पर आक्रमण किया था। दीबा ने यहाँ के सबसे पहले पुजारी के सपने में दर्शन दिए और अपना यह स्थान बताया। और इसी स्थान पर उन्होंने इनकी स्थापना कर दी। लेकिन यहाँ तक पहुचना इतना आसन भी नही था क्योंकि यह मार्ग सीधा नहीं बल्कि काफी टेढ़ी-मेढ़ी गुफा से होकर उन्हें तय करना था। आज भी जिस स्थान पर मत की मूर्ती स्थापित है। उस स्थान के नीचे गुफा है किन्तु अब वह पूर्ण रूप से ढक चुकी है। उस वक़्त यहाँ पर माता साक्षात् थी और उनके साथ एक सेवक और वह इसी स्थान से ही सभी लोगो को गोरखाओ के आने की सूचना दिया करती थी। इस स्थान पर किसी की नज़र नहीं जाती थी किन्तु वो सभी को यहाँ से देख सकती थी। और आज भी यहाँ पहुच कर यदि आप देखो तो ऐसा ही है, यहाँ से चारो तरफ नजर जाती है लेकिन दूर-दूर तक कही से भी यहाँ नजर नहीं पहुचती।
यहाँ पर उस वक़्त गोरखा लोग यहाँ की जनता को जिन्दा ही काट दिया करते या कूट दिया करते थे। परन्तु माता ही उनसे उनकी रक्षा किया करती थी। और अंत में माता ने गोरखाओ का संहार किया। और पट्टी खाटली तथा गुजरू को उनसे आज़ाद करवाया। उसके पश्चात इस स्थान पर जिस स्थान से माता लोगो को गोरखाओ के आने की सूचना दिया करती थी, उस स्थान पर एक ऐसा पत्थर था की उसे जिस दिशा की और घुमा दिया जाता था उसी दिशा में बारिश होने लगती थी। और इस स्थान का यहाँ की भाषा में नाम धवड़या( आवाज लगाना) है।
दीबा मंदिर की मान्यता के अनुसार दीबा माँ के दर्शन करने के लिए रात को ही चढाई चढ़कर सूर्य उदय से पहले मंदिर पहुंचना होता है। वह से सूर्य उदय के दर्शनबहुत शुभ माना जाता है। यहाँ की खाशियत ये है कि अगर कोई यात्री अछूता( परिवार में मृत्यु या नए बच्चे के जन्म) है और अभी शुद्धि नही हुई है तो वह कितना भी प्रयास क्यों न कर ले यहाँ नहीं पहुँच सकता है। और कोई कितना भी बूढ़ा होया बच्चा हो चढ़ाई में कोई भी समस्या नही होती है।
कहा जाता है कि यहाँ पर दीबा माँ भक्तो को सफ़ेद बालो वाली एक बूढी औरत के रूप में दर्शन दे चुकी है। यहाँ पर ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के आस-पास के पेड़ मात्र भंडारी जाती के लोग ही काट सकते है, यदि कोई और कटे तो पेड़ो से खून निकलता है।
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Frequently Asked Questions (FQCs) – दीबा देवी मंदिर, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
दीबा देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
- दीबा देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पट्टी खाटली में स्थित है। यह समुद्र तल से 2520 मीटर की ऊँचाई पर है और स्थानीय लोगों द्वारा इसे एक रहस्यमय और पवित्र स्थल माना जाता है।
दीबा देवी मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?
- दीबा देवी ने गोरखा आक्रमण के समय अपनी रक्षा शक्ति का प्रयोग किया और इस क्षेत्र के लोगों की रक्षा करने के लिए अवतार लिया। उन्होंने गोरखा सेना से लोगों की रक्षा की और मंदिर के स्थान पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
मंदिर के आस-पास के पेड़ों से खून जैसा तरल पदार्थ क्यों निकलता है?
- मंदिर के आस-पास पाए जाने वाले पेड़ों से खून जैसा तरल पदार्थ निकलता है यदि उन्हें काटा जाए या उन पर पत्थर फेंका जाए। मान्यता है कि ये पेड़ एक श्राप के कारण मनुष्यों के रूप में बदल गए थे, और अब ये केवल भंडारी जाति के लोग ही काट सकते हैं।
दीबा देवी मंदिर में किस प्रकार के चमत्कार होते हैं?
- मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, यहाँ एक विशेष पत्थर है जिसे घुमाने पर उस दिशा में बारिश होने लगती है। इसके अलावा, मंदिर में सूर्य उदय से पहले दर्शन करने का समय विशेष माना जाता है और किसी ने यदि परिवार में मृत्यु या जन्म हुआ हो तो वह दर्शन करने में असमर्थ रहता है।
क्या दीबा देवी मंदिर में दर्शन करने का विशेष समय है?
- हाँ, दीबा देवी के दर्शन सूर्य उदय से पहले ही किए जा सकते हैं। कहा जाता है कि सूर्य उदय के बाद माँ के दर्शन नहीं किए जा सकते हैं। यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
क्या दीबा देवी मंदिर में कोई गुफा है?
- जी हाँ, मंदिर के स्थान पर एक गुफा है, जहाँ दीबा देवी ने अपने भक्तों को गोरखा सेना से बचाने के लिए छिपाया था। समय के साथ यह गुफा पत्थरों के टुकड़ों से दब गई है, लेकिन इसका अस्तित्व अभी भी माना जाता है।
दीबा देवी के रूप में कौन सी चमत्कारी घटनाएँ घटीं?
- कहा जाता है कि दीबा देवी कभी-कभी सफेद बालों वाली एक वृद्ध महिला के रूप में दर्शन देती हैं। यह घटना भक्तों के बीच एक रहस्य बनी हुई है, और कई लोग इस बात को सच मानते हैं।
दीबा देवी मंदिर का इतिहास क्या है?
- दीबा देवी ने गोरखा आक्रमण के समय लोगों को बचाने के लिए इस स्थान पर अवतार लिया था। गोरखा सेना के आने की सूचना देने के लिए देवी इस स्थान से आवाज लगाती थीं, और भक्तों का मानना है कि आज भी यह स्थान विशेष चमत्कारिक है, जहां से दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता।
क्या दीबा देवी मंदिर में दर्शन के लिए कठिनाई होती है?
- हाँ, यह मंदिर एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है और यहां पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई करनी होती है। खासतौर पर सूर्योदय से पहले यह यात्रा शुरू करनी होती है, ताकि भक्त सूर्य के उदय के साथ मंदिर पहुंच सकें।
क्या दीबा देवी के दर्शन से भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं?
- हाँ, दीबा देवी मंदिर में श्रद्धा और विश्वास से दर्शन करने पर भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यह मंदिर विशेष रूप से लोक जीवन और कठिनाइयों से रक्षा करने के लिए प्रसिद्ध है।
दीबा देवी मंदिर में कौन पूजा कर सकता है?
- इस मंदिर में पूजा करने के लिए कोई भी भक्त आ सकता है, लेकिन अगर किसी के घर में मृत्यु हुई हो या नए बच्चे का जन्म हुआ हो और शुद्धि नहीं हुई हो, तो वह यहाँ दर्शन करने में असमर्थ रहता है।
क्या दीबा देवी की मूर्ति में कोई खास बात है?
- दीबा देवी की मूर्ति इस स्थान पर बहुत ही आदरणीय मानी जाती है। इस मूर्ति के नीचे एक गुफा है, जिसे अब पत्थरों से ढक दिया गया है, लेकिन यह स्थान आज भी रहस्यमय और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
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