चन्द्रघण्टा माँ: नवरात्रि के तीसरे दिन की दिव्य पूजा
नवरात्रि के तीसरे दिन चन्द्रघण्टा माँ की पूजा की जाती है। चन्द्रघण्टा माँ, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं और उनका स्वरूप अत्यंत दिव्य और आकर्षक होता है। उनके पूजा से भक्तों को अपार शांति, समृद्धि और जीवन में सकारात्मक बदलाव मिलते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम चन्द्रघण्टा माँ के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनके स्वरूप, पूजा विधि, और उनके आशीर्वाद से प्राप्त होने वाले लाभों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
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चन्द्रघण्टा माँ का दिव्य स्वरूप
चन्द्रघण्टा माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्य और दिव्य होता है। माँ के शरीर पर चाँदनी की तरह चमकदार वस्त्र होते हैं, और उनका मुख तेजस्वी और मनमोहक होता है। उनके सिर पर एक घंटे के आकार की चाँदी की घंटी होती है, जो उनके शक्तिशाली और दुष्टों का नाशक स्वरूप को दर्शाती है। माँ का यह स्वरूप भक्तों को शांति, समृद्धि और बल प्रदान करता है।
पूजा विधि
स्थान और समय: नवरात्रि के तीसरे दिन, प्रात: समय में या शाम को पूजा की जाती है। साफ-सुथरे स्थान पर पूजा का आयोजन करें।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए ताजे फूल, दीपक, अगरबत्ती, कुमकुम, चावल, और मिठाई तैयार रखें।
पूजा विधि:
- सबसे पहले माँ चन्द्रघण्टा का पूजन स्थल सजाएँ।
- दीपक जलाकर माँ की पूजा करें और उन्हें ताजे फूल अर्पित करें।
- चंदन, कुमकुम, और चावल से माँ के माथे पर तिलक करें।
- माँ के मंत्रों का जाप करें और उनके सामने मिठाई का भोग अर्पित करें।
- अंत में, माँ से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें और पूजा समाप्त करें।

चन्द्रघण्टा माँ की शायरी
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
सुंदरता में विराजमान उनका रूप।
चाँद की किरणों से सजे उनके वस्त्र,
दिव्य स्वरूप में हैं महामाँ के विलास।
दुष्टों का नाश करती हैं उनकी तांडवी धारा,
भक्तों को देती हैं शांति का अमृत सारा।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
उनकी शक्ति से हो जगत का रोशनी का उत्थान।
चंद्रमा की छाया धारण कर,
उनकी आभा से जगमगाता संसार।
शांति और सुख की प्रदान करती,
भक्तों की मनोकामनाओं को साकार।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
सुंदर स्वरूप, मन मोह लेने वाली वो।
चांद के समान प्रकाशित,
उनकी कृपा से सब दुख हरित।
सुरज की रौशनी बढ़ाती,
भक्तों की जीवन में उत्साह लाती।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!

चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
सुंदर रूप में विराजमान तन हो।
चाँदनी की छाँव में लिपटी,
अपने भक्तों को शांति से लिपटी।
कांपते हैं भक्तों के हृदय तारे,
जगत के बुराईयों को अपनी तारे।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!
प्रेरणादायक शायरी:
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
सुंदरता में विराजमान उनका रूप।
चाँद की किरणों से सजे उनके वस्त्र,
दिव्य स्वरूप में हैं महामाँ के विलास।
दुष्टों का नाश करती हैं उनकी तांडवी धारा,
भक्तों को देती हैं शांति का अमृत सारा।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!

चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
उनकी शक्ति से हो जगत का रोशनी का उत्थान।
चंद्रमा की छाया धारण कर,
उनकी आभा से जगमगाता संसार।
शांति और सुख की प्रदान करती,
भक्तों की मनोकामनाओं को साकार।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
सुंदर स्वरूप, मन मोह लेने वाली वो।
चांद के समान प्रकाशित,
उनकी कृपा से सब दुख हरित।
सुरज की रौशनी बढ़ाती,
भक्तों की जीवन में उत्साह लाती।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!

चन्द्रघण्टा माँ की जय हो,
सुंदर रूप में विराजमान तन हो।
चाँदनी की छाँव में लिपटी,
अपने भक्तों को शांति से लिपटी।
कांपते हैं भक्तों के हृदय तारे,
जगत के बुराईयों को अपनी तारे।
चन्द्रघण्टा माँ की जय हो!
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