कालरात्रि की महिमा
शांतमय पार्वती ने भयानक रूप धरा,
दुष्ट रक्तबीज का संहार करने का समय आया।
अंधकार का विनाश किए, कालरात्रि आईं,
दैत्य के सर्वनाश के लिए महाकाली आईं।
भक्तों की संकटहरणी, सिद्धिदात्री हैं,
असुरों की संहारिणी, रुद्राणी हैं।
त्रिनयनी विकराल रूप धारी,
मन में ज्वाला की आंगरे हैं।
विद्युत तेज कंठा, खंडा खप्पर धारिणी,
गर्दभ पर सवारी, शक्ति की अवतारिणी।
महागौरी का प्रतीक, नारी का चंडी स्वरूप,
हर नारी के भीतर समाई, नवदुर्गा की छवि।
हर जीव की मुक्ति का मार्ग है मां,
जग की पालनहार, सबकी भक्ति का आधार है मां।
जब बुरे समय में घबराती हूं,
मेरी पहाड़ों वाली माता की आवाज आती है,
“रुक, मैं अभी आती हूं।”
जय मां कालरात्रि, शक्ति की अवतार,
आपकी कृपा से मिटते हैं हर कष्ट और त्याग।
संकटों से रक्षा कर, जीवन में उजाला लाओ,
हर मन में तुम्हारा नाम, हर दिल में तुम्हारा गाना।
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