श्री कालरात्री आवरण पूजा क्रम
पीठ पूजा
माँ कालरात्री की पूजा का प्रारंभ पीठ पूजा से होता है, जो देवी के निवास स्थान और शक्तिपीठ को समर्पित है। इसका मंत्र निम्नलिखित है:
- ॐ मण्डूकादि परतत्त्वाय नमः।
- प्रीं पृथिव्यै नमः।
- सौः सुधार्णवाय नमः।
- रां रत्नद्वीपाय नमः।
- क्रीं सौः सरोवराय नमः।
- क्लीं कल्पवनाय नमः।
- पद्मवनाय नमः।
- कल्पवल्ली मूलवेद्यै नमः।
- यं योगपीठाय नमः।
श्री कालरात्री आवाहनम्
माँ कालरात्री का आवाहन उनके शक्ति स्वरूप का ध्यान करते हुए किया जाता है। यह मंत्र उनके आवाहन का संकेत है:
पीतांबरां मुक्तकच उज्ज्वलाङ्गी श्री कालरात्री हृदये भजामि॥
आवरण पूजा के क्रम
आवरण पूजा के दौरान देवी कालरात्री का ध्यान कर विभिन्न मुद्राओं और मंत्रों द्वारा उन्हें पूजन सामग्री अर्पित की जाती है। यह क्रम निम्नलिखित है:
आवाहन:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्री ध्यायामि, आवाहयामि नमः।स्थापन:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्री स्थापिता भव।संस्थित:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्री संस्थितो भव।सन्निरुद्ध:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्री सन्निरुद्धो भव।सम्मुखी:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्री सम्मुखी भव।अवकुण्ठन:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्री अवकुण्ठितो भव।
श्री कालरात्री का पूजन क्रम
पाद्य:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै पाद्यं कल्पयामि नमः।अर्घ्य:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै अर्घ्यं कल्पयामि नमः।आचमन:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै मुखे आचमनीयं कल्पयामि नमः।स्नान:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै शुद्धोदक स्नानं कल्पयामि नमः।वस्त्र एवं आभरण:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै वस्त्राणि कल्पयामि नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै आभरणानि कल्पयामि नमः।
दिव्य परिमल गंध और पुष्प अर्पण
माँ कालरात्री को दिव्य परिमल, गंध, और पुष्प अर्पण किए जाते हैं।
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। श्री कालरात्र्यै गन्धस्योऽपरि हरिद्रा कुङ्कमं कल्पयामि नमः।
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। पुष्पाक्षतान् कल्पयामि नमः।
घूप, दीप, नैवेद्य, और ताम्बूल अर्पण
माँ को घूप, दीप, नैवेद्य, और ताम्बूल भी अर्पित किए जाते हैं।
घूप:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। घूपं कल्पयामि नमः।दीप:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। दीपं कल्पयामि नमः।नैवेद्य:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। नैवेद्यं कल्पयामि नमः।ताम्बूल:
ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। सुगन्ध ताम्बूलं कल्पयामि नमः।
षडङ्ग तर्पणम्
श्रीं ह्रीं शिरसे स्वाहा। शिरो शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
श्रीं हूं शिखायै वषट्। शिखा शक्ति श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः।
अंत में देवी कालरात्री की पूजा को संपन्न करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।
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