श्री कालरात्रि पूजा विधि: प्रथम से पञ्चमावरण और पञ्चपूजा - Shri Kalratri Puja Procedure: First the Panchamavaran and Panchapuja
श्री कालरात्रि पूजा विधि: प्रथम से पञ्चमावरण और पञ्चपूजा
श्री कालरात्रि माता की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। यह पूजा अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है और इसका पालन करना भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। यहां हम आपको एक विस्तृत पूजा विधि साझा कर रहे हैं, जिसमें पांच आवरणों की पूजा और पञ्चपूजा शामिल हैं।
प्रथमावरणम्:
मंत्र:
- ॐ सौंः क्लीं ऐं सर्वाशापरिपूरकाय नमः।
- इन्द्र, धर्मराज, वरुण, कुबेर आदि देवताओं की पादुकाएं पूजन में सम्मिलित की जाती हैं।
प्रार्थना:
हे प्रथमावरण देवताओं! आप साङ्ग, सायुध, सशक्ति, सवाहन, सपरिवार पूजित होकर तृप्त हों।- कालरात्रि अंबा की पूजा:
- ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। (3 बार)
अभीष्टसिद्धि हेतु प्रार्थना:
हे शरणागत वत्सले! मेरी अभीष्ट सिद्धि कीजिए। प्रथमावरणार्चन द्वारा आपका पूजन पूर्ण हो।
द्वितीयावरणम्:
मंत्र:
- इस आवरण में कुन्ती, कुलेश्वरी, कुब्जा आदि देवताओं की पादुकाएं पूजन की जाती हैं।
प्रार्थना:
हे द्वितीयावरण देवताओं! आप साङ्ग, सायुध, सशक्ति, सवाहन, सपरिवार पूजित होकर तृप्त हों।- कालरात्रि अंबा की पूजा:
- ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। (3 बार)
अभीष्टसिद्धि हेतु प्रार्थना:
द्वितीयावरणार्चन द्वारा आपका पूजन पूर्ण हो।
तृतीयावरणम्:
मंत्र:
- हृदय, शिखा, कवच आदि शक्ति देवताओं का पूजन इस आवरण में किया जाता है।
प्रार्थना:
हे तृतीयावरण देवताओं! आप साङ्ग, सायुध, सशक्ति, सवाहन, सपरिवार पूजित होकर तृप्त हों।- कालरात्रि अंबा की पूजा:
- ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। (3 बार)
अभीष्टसिद्धि हेतु प्रार्थना:
तृतीयावरणार्चन द्वारा आपका पूजन पूर्ण हो।
तुरियावरणम्:
मंत्र:
- गंगा, यमुना, सरस्वती आदि देवताओं की पादुकाएं इस आवरण में पूजी जाती हैं।
प्रार्थना:
हे तुरियावरण देवताओं! आप साङ्ग, सायुध, सशक्ति, सवाहन, सपरिवार पूजित होकर तृप्त हों।- कालरात्रि अंबा की पूजा:
- ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। (3 बार)
अभीष्टसिद्धि हेतु प्रार्थना:
तुरियावरणार्चन द्वारा आपका पूजन पूर्ण हो।
पञ्चमावरणम्:
मंत्र:
- कालरात्रि, साम्बशिव, नवदुर्गा और भैरव देवताओं का पूजन किया जाता है।
प्रार्थना:
हे पञ्चमावरण देवताओं! आप साङ्ग, सायुध, सशक्ति, सवाहन, सपरिवार पूजित होकर तृप्त हों।- कालरात्रि अंबा की पूजा:
- ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं ॐ कालरात्रि क्लीं ऐं सः फट् स्वाहा। (3 बार)
अभीष्टसिद्धि हेतु प्रार्थना:
पञ्चमावरणार्चन द्वारा आपका पूजन पूर्ण हो।
पञ्चपूजा:
पञ्चपूजा में पांच तत्वों का पूजन निम्न मंत्रों द्वारा किया जाता है:
- लं पृथिव्यात्मिकायै गन्धं कल्पयामि - पृथ्वी तत्व का पूजन।
- हं आकाशात्मिकायै पुष्पाणि पूजयामि - आकाश तत्व का पूजन।
- यं वाय्वात्मिकायै धूपं कल्पयामि - वायु तत्व का पूजन।
- रं अग्न्यात्मिकायै दीपं कल्पयामि - अग्नि तत्व का पूजन।
- वं अमृतात्मिकायै अमृतं महानैवेद्यं कल्पयामि - जल तत्व का पूजन।
समापन प्रार्थना:
हे माँ कालरात्रि! आपकी उपासना करने वाले भक्तों को आप अभीष्ट सिद्धि प्रदान करें और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करें। समर्पित पूजा के माध्यम से हम आपको प्रसन्न कर रहे हैं। कृपया हमारी भक्ति स्वीकार करें और हमें अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
इस प्रकार की पूजा विधि न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, बल्कि यह भक्तों की समस्याओं का समाधान भी करती है। नवरात्रि में विशेष रूप से इस पूजा का महत्व होता है। आप भी इस विधि से माँ कालरात्रि की आराधना कर सकते हैं।
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