नवरात्रि के बारे में जानने योग्य बातें - Things to know about Navratri

नवरात्रि के बारे में जानने योग्य बातें

नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू पर्व है जिसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह संस्कृत शब्द 'नवरात्रि' का अर्थ होता है 'नौ रातें', जो शक्ति या देवी के नौ रूपों की पूजा का समय होता है। इस पर्व के दसवें दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है:

  1. पौष
  2. चैत्र
  3. आषाढ़
  4. अश्विन

इन चार अवसरों पर यह पर्व प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में, देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। इन नौ देवियों में महालक्ष्मी, महासरस्वती, और माँ काली या दुर्गा शामिल हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुखों को समाप्त करने वाली देवी से है।

नौ देवियाँ

  1. शैलपुत्री - इसका अर्थ है 'पहाड़ों की पुत्री'।
  2. ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ है 'ब्रह्मचारीणी'।
  3. चंद्रघंटा - इसका अर्थ है 'चाँद की तरह चमकने वाली'।
  4. कूष्माण्डा - इसका अर्थ है 'पूरा जगत उनके पैर में है'।
  5. स्कंदमाता - इसका अर्थ है 'कार्तिक स्वामी की माता'।
  6. कात्यायनी - इसका अर्थ है 'कात्यायन आश्रम में जन्मी'।
  7. कालरात्रि - इसका अर्थ है 'काल का नाश करने वाली'।
  8. महागौरी - इसका अर्थ है 'सफेद रंग वाली मां'।
  9. सिद्धिदात्री - इसका अर्थ है 'सर्व सिद्धि देने वाली'।

नवरात्रि की पूजा

शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा से नवमी तक नौ तिथियों, नौ नक्षत्रों और नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दौरान, देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।

प्रारंभ में, श्रीरामचंद्रजी ने इस पर्व की पूजा समुद्र तट पर की थी और दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया। विजय प्राप्त करने के बाद, इस दिन को दशहरा के रूप में मनाना शुरू किया गया। यह पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।

नवदुर्गा और महाविद्याएँ

नवदुर्गा के अलावा, दस महाविद्याओं में काली प्रमुख हैं, जो भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य दोनों रूपों में प्रकट होती हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी के रूप में जानी जाती हैं। इनकी उपासना से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

नवरात्रि के इस पावन अवसर पर, अपनी अभीष्ट देवी की उपासना करके आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इस विशेष पर्व पर आप भी देवी की पूजा करके उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!


देवी शैलपुत्री का स्रोत पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

मंत्र:
ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।

मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके मां से प्रार्थना करें और श्रद्धा से आरती कीर्तन कर मां को प्रसन्न करें।

नवरात्रि की शुभकामनाएं!

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