सुरकंडा देवी मंदिर पर 5 बेहतरीन कविताएँ:
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1. माँ सुरकंडा के चरणों में
माँ सुरकंडा के चरणों में, हम सबका है स्थान,
धरा से अम्बर तक फैला, उनका दिव्य प्रकाश महान।
हर भक्त के मन को मिलती, माँ से अनुपम छाया,
जिसने सच्चे दिल से पुकारा, उसने सदा सहारा पाया।
शिव की संगिनी सती माता, यहां विश्राम पाई,
सिर गिरा जहाँ, वहाँ बनी माँ की पावन काया।
सुरकुट पर्वत की ऊंचाई से, हिमालय का दर्शन,
माँ सुरकंडा के दर्शन से मिटे, जीवन का सारा भ्रमण।
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2. सुरकंडा माँ का मंदिर
ऊँचाइयों में बसा है, माँ सुरकंडा का धाम,
जहाँ पहुँचते ही मिलते हैं, भक्तों को चारों धाम।
पर्वतों से घिरा हुआ, यह मंदिर अद्भुत और पवित्र,
माँ की ममता में छिपा है, हर सवाल का उत्तर।
गंगा दशहरा का मेला, यहाँ लगता है हर साल,
माँ के दर्शन करने आते, लोग करते जयकार।
दूर-दूर से आते हैं, भक्तों के पावन कदम,
सुरकंडा देवी की कृपा से, मिलता हर खुशी का रंग।
3. माँ सुरकंडा की महिमा
माँ सुरकंडा की महिमा अपरम्पार,
जो भी आता यहाँ, उसे मिलता उपकार।
भक्तों की सच्ची श्रद्धा, माँ को है प्यारी,
सभी दुखों का अंत कर देती, माँ सुरकंडा हमारी।
कद्दूखाल से चढ़ाई शुरू, हर कदम में है विश्वास,
माँ के दर्शन से मिलती, हर मन की आस।
सूरज की किरणें भी झुकतीं, माँ के चरणों में,
जो भी आता यहाँ, वो खो जाता माँ की आँखों में।
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4. माँ सुरकंडा का आशीर्वाद
माँ सुरकंडा के आशीर्वाद से, जीवन में आती रोशनी,
हर अंधेरे को दूर भगाती, माँ की ये कृपा अनमोल धनी।
सिर जहां गिरा सती का, वहां बना शक्तिपीठ,
यहाँ आते हैं वो सभी, जो चाहते सच्ची प्रीत।
बर्फीले पर्वतों के बीच, माँ का अद्भुत स्थान,
जहाँ पहुँचने पर मिलता, हर दिल को सुकून महान।
माँ के चरणों में झुककर, मिलता है अनंत आशीर्वाद,
सच्ची श्रद्धा से जो मांगे, माँ देती सबका साथ।
5. माँ सुरकंडा का मंदिर पर्वतों में
पर्वतों की ऊंचाई में, बसा है माँ का धाम,
जहाँ से होता है, हिमालय का दर्शन महान।
माँ सुरकंडा का मंदिर, सती का पावन स्थान,
यहाँ से मिलती है, शांति, भक्ति और ज्ञान।
हवा में घुली है माँ की ममता, हर कदम पर बरसे कृपा,
सच्ची आस्था से आते, भक्तों को माँ देती दीपक।
सुरकंडा माँ की महिमा में, सब कुछ है अलौकिक,
जो एक बार आ जाए यहाँ, वो हो जाए माँ का भाग्यशाली।
सुरकंडा देवी मंदिर के बारे में सामान्य प्रश्न (FQC):
सुरकंडा देवी मंदिर कहाँ स्थित है?
- सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में कद्दूखाल के पास सुरकूट पर्वत पर स्थित है। यह मसूरी और धनोल्टी से कुछ ही दूरी पर है।
सुरकंडा देवी मंदिर का क्या महत्व है?
- यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ देवी सती का सिर गिरा था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यहाँ देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है और इसे अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।
मंदिर तक पहुँचने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
- सुरकंडा देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग से ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, और टिहरी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून और हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून है। कद्दूखाल से मंदिर तक लगभग 2 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी पड़ती है।
सुरकंडा देवी मंदिर के दर्शन का सबसे अच्छा समय कब होता है?
- मंदिर के दर्शन का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर के बीच होता है। इस दौरान मौसम सुखद रहता है। विशेष रूप से नवरात्रि और गंगा दशहरा पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ रहती है।
क्या सुरकंडा देवी मंदिर में कोई प्रमुख त्योहार मनाया जाता है?
- हाँ, मंदिर में जेष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा दशहरा पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। इसके अलावा नवरात्रि के समय भी यहाँ विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं।
सुरकंडा देवी मंदिर के पास कौन-कौन से प्रमुख पर्यटन स्थल हैं?
- मंदिर के आसपास कई सुंदर पर्यटन स्थल हैं, जैसे मसूरी, धनोल्टी, बुराँशखण्डा, देवदर्शनी, और कानाताल। ये सभी स्थान प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध हैं।
मंदिर में पूजा का समय और अनुष्ठान क्या हैं?
- मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम आरती होती है। नवरात्रों और गंगा दशहरा के समय विशेष पूजा होती है। सुबह देवी को घी और आटे से बने हलवे का भोग लगाया जाता है और भक्तों को "रौंसली" वृक्ष की पत्तियाँ प्रसाद के रूप में दी जाती हैं।
मंदिर तक जाने के लिए कितनी दूरी की ट्रेकिंग करनी होती है?
- कद्दूखाल से सुरकंडा देवी मंदिर तक लगभग 2 किलोमीटर की आसान ट्रेकिंग करनी पड़ती है, जो कि सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है।
क्या मंदिर के पास ठहरने की सुविधा है?
- सुरकंडा देवी मंदिर के पास ठहरने के लिए मसूरी और धनोल्टी में कई होटल और गेस्ट हाउस हैं। मंदिर परिसर में ठहरने की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है।
सुरकंडा देवी मंदिर जाने के लिए प्रवेश शुल्क क्या है?
- मंदिर में प्रवेश निशुल्क है। आप केवल अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ यहाँ दर्शन के लिए जा सकते हैं।
क्या सुरकंडा देवी मंदिर में कैमरे की अनुमति है?
- हाँ, सुरकंडा देवी मंदिर परिसर में कैमरे की अनुमति है। भक्त मंदिर के बाहर और मंदिर के आसपास के प्राकृतिक दृश्यों को कैद कर सकते हैं। हालाँकि, मंदिर के अंदर फोटोग्राफी या वीडियो बनाने की अनुमति नहीं है, इसलिए मंदिर के अंदर विशेष रूप से पूजा के समय कैमरे का उपयोग न करें।
- क्या मंदिर परिसर में प्रसाद वितरण की व्यवस्था है?
- हाँ, सुरकंडा देवी मंदिर में प्रसाद वितरण की व्यवस्था है। भक्तों को मंदिर में भोग के रूप में हलवा और "रौंसली" वृक्ष की पत्तियाँ दी जाती हैं, जिन्हें औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। आप चाहें तो अपने साथ प्रसाद ला सकते हैं और इसे माँ को अर्पित कर सकते हैं।
क्या मंदिर में विशेष अनुष्ठान और हवन आयोजित कर सकते हैं?
- हाँ, सुरकंडा देवी मंदिर में विशेष अनुष्ठान और हवन करवाने की सुविधा उपलब्ध है। भक्त अपनी इच्छाओं के अनुसार पुजारियों से संपर्क कर विशेष पूजा, हवन, या अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की व्यवस्था करवा सकते हैं। नवरात्रि और अन्य विशेष अवसरों पर यहां बड़े अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
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