पहाड़ की बेटियाँ: एक प्रेरणादायक कवितात्मक लेख (Daughters of the Mountain: An Inspirational Poetic Article)

पहाड़ की बेटियाँ: एक प्रेरणादायक कवितात्मक लेख


पहाड़ की बेटियाँ

मेहनती, जुझारू, और वीरांगना,
स्वाभाव की होती हैं,
पहाड़ की बेटियाँ।
जैसे वीरबाला तीलू रौतेली,
मालू रौतेली।

रानी कर्णावती,
जिसने,
मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना को,
गढ़वाल से परास्त करके,
मार भगाया।

गोरखा आक्रमण के समय,
"अपना बलिदान" देकर,
लोगों की जान बचाने वाली,
कोलिण जगदेई,
लोकदेवी के रूप में पूजी जाती हैं।

"आजादी के आंदोलन" में,
बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली,
बिशनी देवी शाह,
आजादी के लिए जेल जाने वाली,
उत्तराखंड की प्रथम महिला,
होने का गौरव हासिल किया।

साठ के दशक में,
गढ़वाल में शराब विरोधी आंदोलन का,
नेतृत्व करने वाली टिंचरी माई,
जिन्होंने शराब की दुकानें जलाकर,
नशा विरोध का बिगुल फूंका।

"चिपको आंदोलन" की सूत्रधार,
रैणी गांव, चमोली, की गौरा देवी,
अर् "डाळ्यौं की दगड़्या",
पहाड़ के पर्यावरण संरक्षण,
के कारण जग प्रसिद्ध है।

बछेंद्रीपाल, जिन्होंने,
एवरेस्ट की चोटी को फतह करके,
ऊंचा किया, उत्तराखंड का नाम।

उत्तराखंड आंदोलन में,
शहीद होने वालों में,
बेलमती चौहान और हंसा धनाई,
जिनकी बहादुरी,
भुलाई नहीं जा सकती।

"पहाड़ की बेटियाँ": आदर्श और प्रेरणा

इन्हें "पहाड़ की बेटियाँ" कहो,
या "पर्वतीय नारी",
अतीत से लेकर आज तक,
माँ, बहिन, बेटी के रूप में,
पूजनीय है हमारी।


कविता का संदेश

यह कविता उन महान नारियों को समर्पित है जिन्होंने उत्तराखंड के समाज, संस्कृति और संघर्ष में अपनी अमिट छाप छोड़ी। चाहे वह तीलू रौतेली की वीरता हो, गौरा देवी का पर्यावरण प्रेम हो, या बछेंद्री पाल की बुलंदियां—यह सब दिखाता है कि पहाड़ की बेटियाँ केवल संघर्षशील ही नहीं, बल्कि समाज के लिए आदर्श भी हैं।

टिप्पणियाँ

upcoming to download post