श्री सूर्य देव - ऊँ जय सूर्य भगवान
सूर्य देव, जो जीवन के आधार हैं, उनके प्रति श्रद्धा और आस्था का यह भजन उनकी महानता और दिव्यता का गुणगान करता है। यह लेख भगवान सूर्य की महिमा, उनके स्वरूप, और उनकी कृपा को व्यक्त करने के लिए समर्पित है। आइए, इस भजन के माध्यम से सूर्य देव के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करें।
भजन: ऊँ जय सूर्य भगवान
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान।
सूर्य देव का सारथी और दिव्य स्वरूप
सूर्य देव के सारथी अरूण हैं, जो उन्हें स्वर्ग के रथ पर आरूढ़ करते हैं। सूर्य देव श्वेत कमलधारी हैं और चार भुजाओं वाले दिव्य रूप में प्रकट होते हैं। उनकी महिमा का वर्णन करते हुए:
"अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे।
तुम हो देव महान।"
ऊषाकाल की महिमा
सूर्य देव के उदयाचल पर आगमन से सम्पूर्ण जगत का अंधकार समाप्त होता है। उनके आगमन से उजियारा फैलता है और सम्पूर्ण सृष्टि जाग उठती है।
"ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते।"
संध्या और गोधूलि बेला
संध्या के समय सूर्य देव अस्ताचल को जाते हैं, जिससे गोधूलि बेला का शुभ समय प्रारंभ होता है। इस समय उनके प्रति भक्तों का गुणगान और भी अधिक हो जाता है।
"संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते।"
भक्तों के लिए मंगलकारी स्तोत्र
सूर्य देव का स्तोत्र मंगलकारी है और उनकी आराधना करने से भक्तों को नया जीवनदान मिलता है। ऋषि-मुनि और देवता उनके चरणों में नतमस्तक रहते हैं।
"देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते।"
सूर्य देव: सृष्टि के आधार
सूर्य देव त्रिकाल के रचयिता और सम्पूर्ण सृष्टि के आधार हैं। वे प्राणियों को जीवन का संचार करते हैं और भक्तों को बल, बुद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं।
"तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार।"
सूर्य देव की सार्वभौमिक महिमा
सूर्य देव को वेद और पुराणों में सर्वशक्तिमान और शुभकारी बताया गया है। दिशाएं, ऋतुएं, और सभी जीव उनकी पूजा करते हैं। उनकी महिमा शाश्वत और अविनाशी है।
"पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल।"
निष्कर्ष
सूर्य देव की महिमा अपरम्पार है। उनकी आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, और ज्ञान की प्राप्ति होती है। आइए, इस भजन के माध्यम से उनकी दिव्यता का अनुभव करें और अपने जीवन में सकारात्मकता का संचार करें।
ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
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