निर्वाण षट्कम् (शिवोऽहं, शिवोऽहं) – आत्मा का अद्वितीय स्वरूप और जीवन का गूढ़ सत्य
आदि शंकराचार्य द्वारा रचित "निर्वाण षट्कम्" आत्मा के शुद्ध स्वरूप और अद्वितीय अस्तित्व को प्रकट करता है। यह स्तोत्र अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है।
श्लोक और उनका भावार्थ
१. आत्मा का न कोई मोह है, न कोई लालसा
श्लोक:
न मे द्वेष रागो, न मे लोभ मोहो,
मदो नैव मे नैव मात्सर्य भावः।
न धर्मो न चार्थो, न कामो न मोक्षः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहं, शिवोऽहं॥ १
भावार्थ:
मैं न तो किसी से द्वेष करता हूँ, न ही किसी के प्रति राग (आसक्ति) रखता हूँ। मुझे न लोभ है, न मोह, न अहंकार, और न ही ईर्ष्या। मैं न धर्म का हूँ, न अर्थ का, न काम का, और न मोक्ष का। मैं शुद्ध चेतना, आनंदस्वरूप शिव हूँ।
२. मैं कर्मों से परे हूँ, न पुण्य न पाप
श्लोक:
न पुण्यं न पापं, न सौख्यं न दुःखम्,
न मन्त्रो न तीर्थं, न वेदा न यज्ञाः।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहं, शिवोऽहं॥ २
भावार्थ:
मैं न पुण्य हूँ, न पाप। न मुझे सुख का अनुभव होता है, न दुख का। मैं किसी मंत्र का, किसी तीर्थ का, किसी वेद का, या किसी यज्ञ का भी नहीं हूँ। न मैं भोजन करने वाला हूँ, न भोजन हूँ, न कोई भोक्ता हूँ। मैं तो शुद्ध आनंदस्वरूप शिव हूँ।
३. जन्म-मृत्यु से परे, मैं आत्मा हूँ
श्लोक:
न मृत्युर्न शंका, न मे जातिभेदः,
पिता नैव मे नैव माता न जन्म।
न बन्धुर्न मित्रं, गुरुनैव शिष्यः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहं, शिवोऽहं॥ ३
भावार्थ:
मुझे मृत्यु का भय नहीं है, न ही मुझे अपने जन्म या जाति का कोई भेद है। मेरा न कोई पिता है, न कोई माता, न कोई जन्म ही है। मैं न किसी का मित्र हूँ, न कोई बंधु, न गुरु, न शिष्य। मैं केवल शुद्ध आनंदस्वरूप शिव हूँ।
"निर्वाण षट्कम्" का सार
यह स्तोत्र हमें यह सिखाता है कि हम शरीर नहीं हैं, न ही हमारी पहचान इच्छाओं, कर्तव्यों, संबंधों, कर्मों या किसी विशेष विचारधारा से है। हम मात्र "शुद्ध चैतन्य", "परम आनंद" और "शिवस्वरूप" हैं।
यदि हम इस ज्ञान को आत्मसात कर लें, तो जीवन और मृत्यु के भय से मुक्त होकर आत्म-ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।
क्या यह ज्ञान आपके जीवन में बदलाव ला सकता है?
आदि शंकराचार्य के इस अद्वैत ज्ञान को अपनाकर हम जीवन में शांति, संतोष और आनंद पा सकते हैं। यदि हम इसे अपने जीवन में उतार लें, तो हम न केवल मोह-माया से मुक्त हो सकते हैं बल्कि अपने असली स्वरूप को पहचान सकते हैं।
🚩 हर हर महादेव! 🚩
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