ऊंची उड़ान: आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच की शक्ति (High Flight: The Power of Confidence and Positive Thinking)

ऊंची उड़ान

हर चीज का जन्म दो बार होता है पहली बार दिमाग में और दूसरी बार वास्तविकता में।

पप्पू को स्कूल से जल्दी आते देख उसकी मां ने उससे पूछा कि आज तुम स्कूल से इतनी जल्दी कैसे आ गए हो? पप्पू ने कहा कि आज मेरी टीचर मुझ से कुछ बेसिर पैर के सवाल पूछ रही थी जब मैंने उसे थोड़ा नमक-मिर्च लगा कर दो टूक जवाब देने शुरू किये तो वह फूलकर कुप्पा हो गई। छोटी-सी बात को लेकर राई का पहाड़ बनाते हुए उन्होंने मुझे क्लास से बाहर जाने के लिये कह दिया। पप्पू की मां ने कहा- 'वो सब तो ठीक है, लेकिन तुमने यह तो बताया ही नहीं कि तुम स्कूल से जल्दी क्यूं आ गये हो ?' पप्पू ने कहा- 'जब टीचर ने मुझे क्लास से बाहर निकाल दिया तो मैंने स्कूल की घंटी बजा दी और सारे स्कूल में जल्दी छुट्टी हो गई।' पप्पू को प्यार से अपने पास बिठाते हुए उसके दादू ने कहा कि ऐसे कौन से सवाल थे जिसका जवाब सुनकर तुम्हारी मैडम जी को इतना गुस्सा आ गया।

पप्पू ने कहा कि मेरी मैडम ने मुझ से पूछा कि आज फिर से होमवर्क क्यूं नहीं पूरा किया? मैंने कहा कि टीचर जी आज हमारे घर पर बिजली नहीं थी। मेरी मैडम बोली- 'तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है, तुम मोमबत्ती जला कर भी काम पूरा कर सकते थे।' मैंने थोड़ा मजाक करते हुए कह दिया कि मोमबत्ती कैसे जला लेता, हमारे घर में माचिस नहीं थी। अब टीचर ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम्हारे घर में माचिस ही न हो ? मैंने बात का रुख बदलते हुए कहा कि असल में माचिस तो थी लेकिन वो पूजा घर में रखी थी और मैं आज नहाया नहीं था, इसलिये वहां से माचिस नहीं उठा सकता था। अब टीचर ने कहा कि तुम कमाल के बच्चे हो जो इतनी गर्मी में भी नहीं नहाते। मैंने बात को बिना उलझाये साफ-साफ कहा- 'मैडम जी, मैं नहाता तो रोज हूं, लेकिन आज हमारे यहां पानी की मोटर नहीं चली। इस पर टीचर थोड़ा परेशान होते हुए बोली कि अब तुम्हारी मोटर को क्या हो गया था, वो क्यूं नहीं चली ? अब तक मैं टीचर की बातों के जवाब देते देते झल्ला चुका था, मैंने तंग आकर कह दिया कि मैडम जी, कितनी बार बताऊं कि हमारे घर पर बिजली नहीं थी और बिना बिजली के मोटर नहीं चल सकती। बस इस तरह के सवाल-जवाब सुनने पर टीचर को इतना गुस्सा आया कि उसने मुझे क्लास से बाहर जाने के लिये कह दिया।

पप्पू के दादू ने अपने अनुभव के आधार पर पप्पू की मासूम और नटखट भावनाओं को अच्छे से भांप लिया। अब बिना कुढ़े या चिढ़े हुए प्यार से गप्पू को समझाने लगे कि बेटा यदि जीवन में ऊंची उड़ान भर कर बुलंदियों को छूना है तो एक बात याद रखो कि कोई भी बात बोलने से पहले उसे अच्छे से अपने मन में तोल लो ताकि तुम्हारी बात से किसी के मन को ठेस ना पहुंचे। दूसरी जरूरी बात यह है कि नदी में रहकर कभी भी मगर से बैर न रखो। मेरा कहने का न मतलब यह है कि जहां कहीं भी रहो वहां अपने सभी मिलने-जुलने वाले साथियों के साथ मिलजुल कर रहो। दादू का यह लंबा-सा सीख देने वाला कथन सुनकर पप्पू की मां ने तसल्ली करने की बजाए कांव-कांव करते हुए दादू से कहा कि इस तरह की बातें करके आप तो मेरे बेटे को दब्बू किस्म का इंसान बना दोगे। अगर मेरे बेटे ने टीचर को कुछ उल्टा सीधा कह ही दिया है तो वो उसका क्या बिगाड़ लेगी। अधिक से अधिक उसे फेल ही तो करेगी, उससे ज्यादा वो क्या कर सकती है। मैं अपने कलेजे के टुकड़े को यदि कोई बड़ा अफसर न भी बना सकी तो किसी न किसी तरह सरकारी दफ्तर में भरती करवा ही दूंगी। आजकल बड़े अफसरों से अधिक बाबू लोग ऊपर की कमाई कर लेते हैं।

यह सब सुनते ही दादू ने अपनी बहू यानी पप्पू की मां से कहा कि यह ठीक है आप लोगों ने दूसरों को बेवकूफ बना कर किसी तरह से चार पैसे कमा लिये हैं, लेकिन उसका यह मतलब नहीं होता कि उठते-बैठते हर किसी को पैसों की धौंस दिखाते रहो। अपनी जिंदगी को यदि शिखर तक लेकर जाना है तो सबसे पहले नकारात्मक विचारों को मच्छर की तरह मसल दो और उनकी जगह सकारात्मक विचारों को उड़ान भरने दो। तुम क्या जानो की एक जगह पत्ता भी पड़े-पड़े सड़ जाता है, घोड़ा भी खड़े-खड़े अड़ जाता है, उसी तरह से आदमी का दिमाग भी बिना सोच-समझ के सड़ने लगता है। हर कोई इतना तो जानता है कि जिस प्रकार कुश्ती लड़ने से हमारे शरीर में ताकत बढ़ती है, कठिन सवालों को हल करने से हमारा दिमाग तेज होता है, ठीक उसी तरह मुश्किल परिस्थितियों का डट कर मुकाबला करने से हमारा मनोबल बढ़ता है। इसलिये हर समय किसी न किसी कामयाबी की राह के बारे में सोचना जरूरी होता है।

बहू रानी अपने बेटे को उल्टी-सीधी पट्टी पढ़ाने की बजाए ऐसे सकारात्मक विचार दो, जिससे उसके मन में पॉजिटिव तरंगें पैदा हो सके। उसे यह समझाने की कोशिश करो कि असफल वह नहीं है जिसके पास सफल होने के लिये कोई साधन नहीं होते, असफल तो वह होते हैं जिनके पास आत्मविश्वास की कमी होती है। मंजिल की ओर बढ़ते हुये गिर - गिर कर उठने की शक्ति ही सफलता का रास्ता बनाती है। असफल व्यक्ति सारी उम्र इस इंतजार में बैठे रहते हैं कि उन्हें कोई व्यक्ति या अच्छा समय आकर सफल बनायेगा, लेकिन समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता। आपके जीवन का कोई भी मकसद हो, अपने मिशन में कामयाब होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित और निष्ठावान होना ही पड़ेगा। जिस दिन आपको अपनी शक्तियों पर भरोसा हो जायेगा, उस दिन आप अपनी मेहनत, हिम्मत और लगन से अपनी हर कल्पना को साकार कर पायेंगे।

अब बात को और अधिक न बढ़ाते हुए इतना ही कहना चाहूंगा कि जिस प्रकार कोई नदी का अनुसरण करता है तो वो समुद्र तक पहुंच जाता है, उसी तरह कामयाब लोगों के दिखाए हुए मार्ग पर चलने से हर कोई कामयाबी की मंजिल तक जरूर पहुंच सकता है। दादू जी की इतनी प्रेरक बातें सुनकर जौली अंकल को पेड़ की डालियों पर बैठे उन पक्षियों का ख्याल आ रहा है जो उसके हिलने या उसकी कमजोरी से नहीं घबराते क्योंकि उन्हें अपने पंखों पर भरोसा होता है। इसी तरह हमें भी अपने जीवन में ऊंची उड़ान भरने के लिये सदैव अपना आत्मविश्वास कायम रखना चाहिये।

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