श्री सीता माता चालीसा | Shri Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi

श्री सीता माता चालीसा | Shri Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi

श्री सीता माता चालीसा | Shri Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi

जय सियावर रामचंद्र की जय। श्री सीता माता की जय।

श्री सीता माता सनातन धर्म की आदर्श नारी, पतिव्रता धर्म का प्रतीक और रामकथा की आत्मा मानी जाती हैं। उनकी स्तुति करने से जीवन में संयम, सहनशीलता और समर्पण जैसे गुणों की प्राप्ति होती है।
यहाँ प्रस्तुत है श्री सीता माता चालीसा, जो भक्ति, श्रद्धा और मर्यादा का गान है।


🌸 दोहा

बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम,
राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम॥


कीरति गाथा जो पढ़े सुधरैं सगरे काम,
मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम॥


🙏 श्री सीता माता चालीसा | Chalisa in Hindi

राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई।
चरण कमल बंदों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई।

जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहं वारी।
दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता।

सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति।
भारी शिव धनुष खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई।

भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा।
जनक निराश भए लखि कारण, जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन।

यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए।
आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई।

जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा।
मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै।

जय जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी।
सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले।

मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा।
लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करैं नोराई।

कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा, मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा।
कौशल्या सूत भेंट दियो सिय, हरख अपार हुए सीता हिय।

सब विधि बांटी बधाई, राजतिलक कई युक्ति सुनाई।
मंद मती मंथरा अडाइन, राम न भरत राजपद पाइन।

कैकेई कोप भवन मा गइली, वचन पति सों अपनेई गहिली।
चौदह बरस कोप बनवासा, भरत राजपद देहि दिलासा।

आज्ञा मानि चले रघुराई, संग जानकी लक्षमन भाई।
सिय श्री राम पथ पथ भटकैं, मृग मारीचि देखि मन अटकै।

राम गए माया मृग मारन, रावण साधु बन्यो सिय कारन।
भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो, लंका जाई डरावन लाग्यो।

राम वियोग सों सिय अकुलानी, रावण सों कही कर्कश बानी।
हनुमान प्रभु लाए अंगूठी, सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी।

अष्टसिद्धि नवनिधि वर पावा, महावीर सिय शीश नवावा।
सेतु बांधी प्रभु लंका जीती, भक्त विभीषण सों करि प्रीती।

चढ़ि विमान सिय रघुपति आए, भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए।
अवध नरेश पाई राघव से, सिय महारानी देखि हिय हुलसे।

रजक बोल सुनी सिय वन भेजी, लखनलाल प्रभु बात सहेजी।
बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो, लव - कुश जन्म वहाँ पै लीन्हो।

विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं, दोनुह रामचरित रट लीन्ही।
लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी, रामसिया सुत दुई पहिचानी।

भूलमानि सिय वापस लाए, राम जानकी सबहि सुहाए।
सती प्रमाणिकता केहि कारण, बसुंधरा सिय के हिय धारन।

अवनि सुता अवनी मां सोई, राम जानकी यही विधि खोई।
पतिव्रता मर्यादित माता, सीता सती नवावों माथा।

जनकसुता अवनिधिया राम प्रिया लव-कुश मात,
चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात।

✨ श्री सीता माता चालीसा पाठ का महत्व

  • यह चालीसा श्रीराम जी की अर्धांगिनी माता सीता को समर्पित है।

  • इसके पाठ से गृहस्थ जीवन में सुख-शांति आती है।

  • पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम, विश्वास और मर्यादा बनी रहती है।

  • जो महिलाएँ श्रद्धापूर्वक इसका पाठ करती हैं, उन्हें सौभाग्य का वरदान मिलता है।

  • यह चालीसा उन भक्तों के लिए भी विशेष लाभकारी है जो रामायण या रामचरितमानस का पाठ करते हैं।


🌺 श्री सीता माता से प्रार्थना

"हे जनकदुलारी, मर्यादा की मूर्ति, त्याग की देवी,
आपके चरणों में बारम्बार प्रणाम।
हमें भी आपके जैसे संयम, साहस और सच्ची निष्ठा की शक्ति दें।"


📜 निष्कर्ष

श्री सीता माता चालीसा एक पवित्र स्तुति है जो भक्त को भक्ति, धैर्य, समर्पण और सच्चे प्रेम का मार्ग दिखाती है। रामकथा में यदि श्रीराम सूर्य हैं तो माता सीता उसकी उज्ज्वल किरणें हैं। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से नारी जीवन की मर्यादा, शक्ति और गरिमा का गहन अनुभव होता है।

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