सावन : पांडवों के मिट गए थे जहां सारे पाप, पढ़िए केदारनाथ मंदिर की कथा
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भगवान केदारनाथ का मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो हिमालय की ऊँचाई पर बसा हुआ है। यह स्थान न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पौराणिक कथाओं में भी इसका बड़ा स्थान है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग केदारनाथ का मंदिर है, जो विशेष रूप से सर्दी के महीनों में बंद रहता है और गर्मियों में ही खुलता है। हालांकि, सावन महीने में यहाँ का महत्व और भी बढ़ जाता है। खासकर शिवरात्रि के दिन, जब यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है और वे भगवान के स्वयंभू लिंग का जलाभिषेक करके बेल पत्र और ब्रह्मकमल अर्पित करते हैं। इस दिन की पूजा से मनवांछित फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं केदारनाथ मंदिर की पौराणिक कथा के बारे में।
भगवान शिव का आवास
केदारनाथ धाम को भगवान शिव का निवास माना जाता है, और इस स्थान का उल्लेख 'स्कंद पुराण' में भी मिलता है। स्कंद पुराण में भगवान शिव कहते हैं, "यह क्षेत्र उतना ही प्राचीन है, जितना कि मैं स्वयं।" भगवान शिव के अनुसार, इस स्थान पर ब्रह्मा के रूप में परब्रह्मत्व को प्राप्त किया था, और तभी से यह स्थान उनका चिरकालिक आवास बन गया। इस कारण इस स्थान को स्वर्ग के समान माना गया है।
एक अन्य कथा के अनुसार, हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि ने कठोर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करना शुरू कर दिया।
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पांडवों ने मंदिर का निर्माण कराया
महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी, लेकिन युद्ध में अपने भाईयों की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए वे भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडव भगवान शिव से मिल नहीं पाए, तो भगवान शिव ने खुद को छिपाने के लिए बैल का रूप धारण किया और वे अन्य पशुओं के साथ मिलकर केदारनाथ के क्षेत्र में चले गए।
पांडवों ने हार मानने के बजाय भगवान शिव का पीछा किया। भीम ने अपने विशाल आकार से दो पहाड़ों पर पैर फैला दिए, जिससे बाकी सभी पशु तो निकल गए, लेकिन भगवान शिव, जो बैल का रूप धारण किए थे, भीम के पैरों के नीचे से निकलने को तैयार नहीं हुए। फिर भीम ने भगवान शिव के बैल रूप को पकड़ लिया, और शिवजी प्रसन्न हो गए। अंततः भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन दिए और उनके पापों से मुक्ति दिलाई। तभी से भगवान शंकर की पूजा के लिए बैल की त्रिकोणात्मक पीठ के रूप में केदारनाथ में उनकी पूजा होती है।
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सावन में नाम लेने से मिलता है पुण्य
केदारनाथ धाम में सावन के महीने में विशेष पूजा का महत्व है। इस महीने में जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान के नाम का स्मरण करते हैं, उन्हें पुण्य प्राप्त होता है। खासकर सावन की शिवरात्रि पर यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन के महीने में केदारनाथ के दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है और भक्तों को भगवान की अपार कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
केदारनाथ का मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी पौराणिक कथाओं में भी गहरी महिमा है। यहाँ के दर्शन करने से न सिर्फ पाप मुक्ति होती है, बल्कि जीवन की सारी मुश्किलें भी समाप्त होती हैं। सावन के महीने में यहाँ आने का विशेष महत्व है और यह समय भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम होता है।
अगर आप भी भगवान शिव के दर्शन करना चाहते हैं और पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो केदारनाथ धाम की यात्रा अवश्य करें।
FAQ (Frequently Asked Questions) - केदारनाथ मंदिर और सावन का महत्व
केदारनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?
- केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की ऊँचाई पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
केदारनाथ मंदिर का महत्व क्या है?
- यह मंदिर भगवान शिव के स्वयंभू लिंग का है और पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था। यह स्थान भगवान शिव का आवास है और यहां पूजा का महत्व विशेष रूप से सावन के महीने में बढ़ जाता है।
केदारनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए कब जाना चाहिए?
- केदारनाथ मंदिर गर्मी के महीनों में खुलता है और सर्दी में बंद रहता है। सावन का महीना खास तौर पर महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस समय विशेष रूप से पूजा होती है।
सावन में केदारनाथ मंदिर की पूजा का क्या महत्व है?
- सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा विशेष पुण्य का कारण बनती है। इस दौरान जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान के नाम का स्मरण करते हैं, उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होता है और पापों से मुक्ति मिलती है।
क्या पांडवों ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया था?
- हाँ, पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण कराया। वे अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए यहां आए थे।
केदारनाथ मंदिर में पूजा करने से क्या लाभ होता है?
- केदारनाथ में पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। विशेष रूप से सावन में दर्शन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए क्या समय उपयुक्त है?
- केदारनाथ मंदिर अप्रैल से नवम्बर तक खुलता है। सावन के महीने में यहां का महत्व और भी बढ़ जाता है, खासकर शिवरात्रि के दौरान।
केदारनाथ मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
- केदारनाथ धाम तक पहुँचने के लिए गुप्तकाशी, रुद्रप्रयाग, या अन्य नजदीकी स्थानों से पैदल यात्रा या हेलिकॉप्टर सेवा का उपयोग किया जा सकता है। यह यात्रा बेहद कठिन होती है, लेकिन भगवान शिव के दर्शन का अनुभव अद्वितीय होता है।
क्या केदारनाथ मंदिर का जलाभिषेक विशेष महत्व रखता है?
- हाँ, सावन के महीने में भगवान केदारनाथ के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। यह भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करता है और पुण्य प्राप्ति का माध्यम बनता है।
केदारनाथ मंदिर की पूजा में क्या सामग्री आवश्यक होती है?
- पूजा के दौरान बेल पत्र, ब्रह्मकमल, और जल अर्पित किया जाता है। इन वस्तुओं को भगवान शिव की पूजा में महत्व दिया जाता है।
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