गंगोत्री मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से 100 km की दुरी पर स्थित है 🔱गंगोत्री मंदिर🔱

यह चार धाम यात्रा का दूसरा पवित्र पड़ाव है , जो कि यमुनोत्री धाम के बाद आता है |

 🔱गंगोत्री मंदिर🔱


गंगोत्री मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से 100 km की दुरी पर स्थित है | पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार धरती पर मां गंगा का जिस स्‍थान पर अवतरण हुई , उसे “गंगोत्री तीर्थ” के नाम से जाना जाता है | गंगोत्री उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगा नदी के उद्गम के रूप में माना जाता है | ( गंगोत्री धाम का इतिहास )

यह चार धाम यात्रा का दूसरा पवित्र पड़ाव है , जो कि यमुनोत्री धाम के बाद आता है |

गंगोत्री मंदिर हिन्दुओ का एक पवित्र व तीर्थ स्थान है | गंगोत्री मंदिर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है |

यह मंदिर 3100 मीटर (10,200 फीट) की ऊँचाई पर ग्रेटर हिमालय रेंज पर स्थित है | यह स्थान गंगा नदी का उद्गम स्थल है | #गंगोत्री_मंदिर भारत का सबसे प्रमुख मंदिर है |

#गंगोत्री में गंगा का उद्गम स्रोत यहाँ से लगभग 24 किलोमीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर में 4,225 मीटर की ऊँचाई पर होने का अनुमान है |

गंगा का मन्दिर तथा सूर्य, विष्णु और ब्रह्मकुण्ड आदि पवित्र स्थल यहीं पर हैं |

भगवान श्री राम चन्द्र के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान शंकर की प्रचंड तपस्या की थी।गंगोत्री धाम के इतिहास  के अनुसार #देवी_गंगा ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया।

अन्य मान्यता यह है कि पांडवों ने भी महाभारत के युद्ध में मारे गए अपने परिजनों की आत्मिक शांति के निमित इसी स्थान पर आकर एक महान देव यज्ञ करवाया था।

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4. चंडी देवी मंदिर में खंभ के रूप में विराजमान है मां दुर्गा🚩🚩

5. यह गुफा मंदिर पाताल भुवनेश्वर की गुफाओं से काफी मिलता जुलता है .और पास में बहता हुआ झरना

6. रावण को मारने के बाद में भगवान श्रीराम यहां आये थे और उन्होंने इस स्थान पर आकर भगवान शिव की तपस्या की थी।

7. 11 वीं शताब्दी में अल्मोड़ा में मां नंदा की स्थापना हुई थी। चंद्र वंशीय राजाओं ने माँ नंदो दवी की यहाँ स्थापना की थी

8. मान्यता यह है कि यहां जो नि:संतान दंपति खड़े दीये के पवित्र अनुष्ठान में शामिल होते हैं उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है

9. माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है,

10. बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां बैकुंठ माना जाता है। इस धाम में भगवान श्रीहरी छह माह तक योगनिद्रा में लीन




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