बीर बाला तीलू रौतेली

 बीर बाला तीलू रौतेली

तीलू रौतेली बीर बाला तीलू रौतेली


❝तीलू रौतेली❞

गढ़ बोलो के मुहँ से  सुनी  हमने  ये   कहानी  थी।

रण में कूदी जब वह पंद्रह साल  की  जवानी  थी।


भाई पिता की दाह अग्नि अभी ठंडी नहीं  पड़ी थी

नादान तीलू कौथिग जाने  की  जिद्द  में  अड़ी  थी


लाख समझाया माँ ने वीरबाला तीलू नही मानी थी

मानती कैसे राजपूत खून की उसमे तो  रवानी  थी


माँ ने गुस्से में थमाई हाथों में पिता की तलवार  थी

भाई की वीरता सुनाकर करी उसे ये  ललकार  थी


जिन्होंने पिता का साया छिना छीना भाई का साथ

बचन दे तू मुझे, देकर आएगी तू उन्हें प्राण अघात


सुनकर तात वीरता तीलू क्रोध से तमतमा उठी थी

भाई की तलवार बाला के हाथ  चमचमा उठी  थी


हर जन वहाँ आश्चर्यचकित था ये कैसी नादानी थी

गढ़ बोलो के  मुहँ  से  सुनी  हमने  ये  कहानी  थी


प्रतिशोध अग्नि से बाला की भकुटी तन  उठी  थी

विजय पताका फहराने को बिन्दुली सज उठी  थी


घनिष्ट सहेलियों साथ रण के लिए निकल पड़ी थी

सबसे पहले तीलू  ने खैरागढ़ पर  चढ़ाई  करी  थी


कत्यूरियों से युद्ध हुआ  रौतेली  का  बड़ा  घनघोर

खैरागढ़ मुक्त  करके  पताका  लहराई  चारों  ओर


दुश्मनों का विनाश करने  की  तिलू  ने  ठानी  थी

गढ़ बोलो के मुहँ से  सुनी  हमने  ये   कहानी  थी


वीरबाला तीलू ने जब उम्टागढ़ी पर बोला धावा था

उसकी गर्जना से धरा आगाश भी कंपकंपाया  था


महादेव धरती सल्ट पहुंची उम्टागढ़ी फतह  करके

भोले का अश्रीवाद पाया तिलू ने सर  थान धरके


शत्रु को खदेड़ कर शिव धरती को  मुक्त किया था

भिलण भौण में सहेलियों  ने  बलिदान  दिया  था


हुडके की थाप पर रणकौशल दिखाती जा रही थी

एक के बाद एक विजय रौतेली पाती जा रही  थी


युद्ध में अद्भुत शौर्य दिखाती तीलू बड़ी सयानी थी

गढ़ बोलो के  मुहँ  से  सुनी  हमने  ये  कहानी  थी


बिन्दुली ने साथ छोड़ा, छोड़ा साथ कई अपनों  ने

कांडागढ़ आते समय घात लगायी थी  दुश्मनों  ने


सालों युद्ध विजय की बाला पर  थकान  भारी  थी

पिता भाइयों का बदला लेकर शांत हुई चिंगारी थी


पूनम की रात तीलू ने जलस्नान नयार में किया था

शत्रु सैनिक रामू ने छुपकर तिलू पर वार दिया  था


तलवार के वार से तड़पकर चिर निंद्रा में सो  गयी

अपनी वीरता के लिए तीलू  सदा  अमर  हो  गयी


वीरबाला के वीरता के किस्से घर घर जुबानी  थी

गढ़ बोलो के  मुहँ  से  सुनी  हमने  ये  कहानी  थी

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रानी कर्णावती का नाम रक्षाबंधन से अक्सर जोड़ दिया जाता है।

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❝तीलू रौतेली❞

गढ़ बोलो के मुहँ से  सुनी  हमने  ये   कहानी  थी।

रण में कूदी जब वह पंद्रह साल  की  जवानी  थी।

तीलू रौतेली जीवनी (Teelu Rauteli Biography )


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