वंशी नारायण मंदिर, चमोली गढ़वाल, उत्तराखंड

वंशी नारायण मंदिर: एक अद्भुत मंदिर, जहाँ कपाट सिर्फ एक दिन के लिए खुलते हैं

स्थान: वंशी नारायण मंदिर, चमोली गढ़वाल, उत्तराखंड

उत्तराखंड का वंशी नारायण मंदिर एक ऐसा रहस्यमय और ऐतिहासिक स्थान है, जहाँ के कपाट मानव जाति के लिए पूरे साल में सिर्फ एक दिन के लिए ही खोले जाते हैं। यह मंदिर अपनी अद्भुत परंपराओं और मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध है, और इसे "एक दिन खुलने वाला मंदिर" भी कहा जाता है।

वंशी नारायण मंदिर का महत्व और मान्यता

इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवऋषि नारद 364 दिन भगवान नारायण की पूजा करते हैं, और मनुष्यों को यहां पूजा अर्चना करने का अधिकार केवल एक दिन के लिए होता है – वह दिन होता है रक्षाबंधन (श्रवण पूर्णिमा)। इस दिन महिलाएं वंशी नारायण को राखी बांधती हैं और भगवान से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। सूर्यास्त होते ही मंदिर के कपाट फिर से बंद कर दिए जाते हैं और अगले साल रक्षाबंधन तक फिर से नहीं खुलते।

किवदंतियाँ और कथा

वह कथा जो इस मंदिर की परंपरा से जुड़ी है, अत्यंत रोचक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वह उनके द्वारपाल बनें। भगवान विष्णु ने राजा बलि के इस आग्रह को स्वीकार किया और पाताल लोक चले गए। इस कारण माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद मुनि से भगवान विष्णु के बारे में पूछा। नारद मुनि ने उन्हें बताया कि भगवान विष्णु पाताल लोक में द्वारपाल बने हैं और उन्होंने लक्ष्मी को पाताल लोक जाने का रास्ता भी बताया।

माता लक्ष्मी ने रक्षाबंधन के दिन राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने का संकल्प लिया। इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक से मुक्त हो गए। यही कारण है कि रक्षाबंधन के दिन ही वंशी नारायण मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और लोग यहां पूजा करते हैं।

वंशी नारायण मंदिर की वास्तुकला

वंशी नारायण मंदिर कातयूरी शैली में निर्मित है और यह 10 फुट ऊंचा है। इस मंदिर का गर्भगृह वर्गाकार है, जहाँ भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति में भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों के दर्शन होते हैं। मंदिर में भगवान गणेश और वन देवियों की मूर्तियाँ भी मौजूद हैं। यह मंदिर हिमालयी क्षेत्र के गोपेश्वर के पास उर्गम घाटी में स्थित है, और यह जगह अत्यंत शांत और पवित्र मानी जाती है।

अद्भुत परंपराएँ

रक्षाबंधन के दिन, वंशी नारायण मंदिर में एक विशेष पूजा होती है, जहाँ लोग भगवान नारायण को रक्षासूत्र बांधते हैं। इस दिन कलगोठ गांव से मक्खन लाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है। यहां परंपरागत फूलों की खेती भी होती है और खासकर श्रवण पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण का श्रृंगार किया जाता है।

इसके बाद, गांव के लोग भगवान नारायण को राखी बांधते हैं और रात्रि विश्राम के लिए मंदिर परिसर में रहते हैं। वंशी नारायण मंदिर तक पहुंचने के लिए कठिन पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको गोपेश्वर से उर्गम घाटी तक जाना होगा और उसके बाद 12 किलोमीटर का कठिन रास्ता पैदल तय करना होगा।

रक्षाबंधन पर विशेष आयोजन

रक्षाबंधन के दिन यह मंदिर अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दिन कई गांवों के लोग एकत्र होकर इस विशेष घटना के गवाह बनते हैं। पाताल लोक से भगवान के लौटने और रक्षासूत्र बांधने के बाद, यह मंदिर एक अद्भुत धार्मिक स्थान के रूप में माना जाता है।

निष्कर्ष

वंशी नारायण मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जिसे अपनी अद्भुत परंपराओं और किवदंतियों के कारण जाना जाता है। यह एक ऐसा स्थान है, जहाँ हर साल रक्षाबंधन के दिन एक अद्भुत घटना घटित होती है, और हर श्रद्धालु इस समय के गवाह बनता है। इस मंदिर की यात्रा एक साहसिक और आध्यात्मिक अनुभव है, और यह उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

Frequently Asked Questions (FQCs) 

1. वंशी नारायण मंदिर कहाँ स्थित है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है, जो गोपेश्वर से उर्गम घाटी तक पहुँचने के बाद 12 किलोमीटर पैदल मार्ग के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।

2. वंशी नारायण मंदिर के कपाट कितने समय के लिए खोले जाते हैं?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर के कपाट केवल रक्षाबंधन (श्रवण पूर्णिमा) के दिन ही खुले होते हैं। सूर्यास्त के बाद मंदिर के कपाट फिर से बंद कर दिए जाते हैं और अगले साल रक्षाबंधन तक बंद रहते हैं।

3. वंशी नारायण मंदिर की प्रमुख पूजा क्या है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर में रक्षाबंधन के दिन विशेष पूजा होती है, जिसमें महिलाएँ भगवान नारायण को राखी बांधती हैं। इसके बाद गांव के लोग भगवान को रक्षासूत्र बांधते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं।

4. वंशी नारायण मंदिर में किसकी मूर्तियाँ हैं?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा, भगवान शिव, भगवान गणेश और वन देवियों की मूर्तियाँ भी इस मंदिर में हैं।

5. वंशी नारायण मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर तक पहुँचने के लिए गोपेश्वर से उर्गम घाटी तक वाहन द्वारा पहुंचा जा सकता है, उसके बाद 12 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। यह रास्ता अत्यधिक उबड़-खाबड़ है और यात्रा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

6. वंशी नारायण मंदिर की वास्तुकला कैसी है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर कातयूरी शैली में बना है और इसका गर्भगृह वर्गाकार है। मंदिर की ऊँचाई 10 फुट है, और इसमें भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों के दर्शन होते हैं।

7. वंशी नारायण मंदिर में कौन पूजा करता है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी राजपूत होते हैं। वर्तमान में कलगोठ गांव के बलवंत सिंह रावत जी मंदिर के पुजारी हैं।

8. वंशी नारायण मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर का धार्मिक महत्व इस बात से जुड़ा है कि रक्षाबंधन के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन, देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त किया था, और यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और राखी बांधने के लिए समर्पित है।

9. वंशी नारायण मंदिर में कौन से धार्मिक आयोजन होते हैं?

उत्तर: वंशी नारायण मंदिर में रक्षाबंधन के दिन भगवान का श्रृंगार और पूजा होती है, साथ ही लोग रक्षासूत्र बांधते हैं। इसके अलावा, श्रवण पूर्णिमा के दिन विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं।

10. क्या वंशी नारायण मंदिर में रात्रि विश्राम की व्यवस्था है?

उत्तर: हाँ, वंशी नारायण मंदिर के पास स्थित दाढ़ी में श्रद्धालुओं के लिए रात्रि विश्राम की व्यवस्था होती है, जहाँ वे भोजन बनाने और विश्राम करने के लिए रुक सकते हैं।

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