कैंची धाम: नीम करौली महाराज की दिव्य उपस्थिति का केंद्र
कैंची धाम उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की पहाड़ियों में स्थित एक दिव्य आश्रम है, जहाँ हर साल हज़ारों श्रद्धालु नीम करौली बाबा के आशीर्वाद के लिए आते हैं। नैनीताल से लगभग 38 किमी दूर स्थित, यह आश्रम एक शांत और पवित्र स्थान है, जहाँ भक्तों को एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। बाबा के मंदिर का निर्माण 1964 में शुरू हुआ, और यहाँ हनुमानजी सहित अन्य देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं।
आश्रम का नियम और अनुशासन
यहाँ आने वाले भक्तों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन अनिवार्य है। आश्रम में रहने वाले लोग प्रतिदिन सुबह और शाम की आरती में भाग लेते हैं। ठंड के कारण कैंची धाम साल के अधिकांश समय बंद रहता है। रात में यहाँ ठहरने की अनुमति नहीं है, और भक्त नैनीताल, भोवाली या अन्य पास के स्थानों पर ठहरते हैं और दिन में मंदिर के दर्शन करते हैं।
नजदीकी आवास
जो लोग आश्रम के पास ठहरना चाहते हैं, उनके लिए कुछ विकल्प हैं:
- अमर वैली रिज़ॉर्ट (मध्यम मूल्य) - प्रबंधक: श्री भगवान मझिला (मोबाइल: 08477802130, 08954555843)
- गुरु कृपा गेस्टहाउस (इकोनॉमी) - फोन: 9412129677
- भोवाली के गेस्ट हाउस - यह स्थान आश्रम से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है।
कैंची धाम में मंदिर का इतिहास
1962 में नीम करौली बाबा ने इस स्थान का चयन किया। बाबा ने अपने भक्तों के सहयोग से जंगल को साफ कर एक यज्ञशाला बनाई और हनुमानजी के मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। जून 1964 को मंदिर का उद्घाटन हुआ, और तब से हर साल 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में भक्तगण यहाँ एकत्र होते हैं, भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं, और भक्ति गीत व कीर्तन में भाग लेते हैं।
मंदिर का निर्माण: एक भक्तिपूर्ण कार्य
बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू हुआ, जिसमें भक्तों ने बिना किसी योजना के समर्पित भाव से सहयोग दिया। कार्य के दौरान कारीगर और राजमिस्त्री हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए और बाबा की जय-जयकार करते हुए काम करते थे। हर ईंट पर राम नाम अंकित था, जो भक्तों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक था। मंदिर निर्माण के इस कार्य में समर्पण, भक्ति, और बाबा की लीला का प्रभाव था, जिसने इसे और भी दिव्य बना दिया।
मूर्ति स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा
15 जून 1976 को बाबा की मूर्ति की स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। इस मौके पर भागवत सप्ताह, यज्ञ और भव्य समारोह का आयोजन किया गया। भक्तों के हर्षोल्लास और वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ बाबा की प्रतिमा को स्थापित किया गया, और तब से बाबा की दिव्य उपस्थिति यहाँ सभी को मार्गदर्शन देती है।
ध्यान रखने योग्य बातें
- कैंची धाम में रात में रुकने की व्यवस्था नहीं है, और यहाँ टेलीफोन या ईमेल द्वारा संपर्क संभव नहीं है। आश्रम की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध है: कैंची धाम वेबसाइट
- किसी भी तरह की अफवाहों या योजनाओं से सावधान रहें और केवल आश्रम के आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी लें।
अंतिम शब्द
कैंची धाम प्रत्येक भक्त के जीवन में एक विशेष स्थान रखता है। यहाँ आकर लोग असीम शांति, भक्ति, और बाबा की कृपा का अनुभव करते हैं। बाबा की महिमा का अनुभव करने के लिए सभी को एक बार इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
जय श्री राम
कैंची धाम FAQs (Frequently Asked Questions)
कैंची धाम कहाँ स्थित है?
- कैंची धाम उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में नैनीताल से लगभग 38 किमी दूर स्थित है।
कैंची धाम की स्थापना कब हुई थी?
- कैंची धाम का पहला मंदिर जून 1964 में स्थापित किया गया था।
कैंची धाम में कौन-कौन से देवता स्थापित हैं?
- कैंची धाम में मुख्य रूप से हनुमानजी की मूर्ति है, और नीम करौली बाबा के अन्य भक्तों की मूर्तियाँ भी स्थापित की गई हैं।
क्या कैंची धाम में रात में ठहरने की अनुमति है?
- नहीं, कैंची धाम में रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं है। अधिकतर लोग पास के नैनीताल, भोवाली, या अन्य स्थानों में ठहरते हैं।
आश्रम के पास ठहरने के क्या विकल्प हैं?
- नैनीताल और भोवाली में ठहरने के लिए कई गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट्स उपलब्ध हैं। जैसे, अमर वैली रिज़ॉर्ट और गुरु कृपा गेस्ट हाउस।
कैंची धाम का प्रतिष्ठा दिवस कब मनाया जाता है?
- हर साल 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
क्या कैंची धाम में कोई विशेष आयोजन होता है?
- 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस पर विशेष भंडारे और कीर्तन का आयोजन होता है।
कैंची धाम में दर्शन का समय क्या है?
- आश्रम ठंड के मौसम में बंद रहता है, लेकिन गर्मियों में दिन के समय में दर्शन किए जा सकते हैं।
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