Journey of Uttarakhand Conflict (उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा)

Journey of Uttarakhand Conflict: उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा

उत्तराखण्ड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ, लेकिन इसका सफरनामा बलिदानों, संघर्ष, और जनांदोलनों से भरा हुआ है। यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं थी, बल्कि कई दशकों की मेहनत, समर्पण और बलिदान का परिणाम थी। इस लेख में हम उत्तराखण्ड आंदोलन की महत्वपूर्ण घटनाओं और संघर्षों को विस्तार से समझेंगे।


उत्तराखण्ड आंदोलन का आरंभ

उत्तराखण्ड का सपना आजादी से पहले ही आकार लेने लगा था। 1926 में कुमाऊँ परिषद का गठन क्षेत्रीय समस्याओं पर विचार करने के लिए किया गया। इसके प्रमुख नेता गोविन्द बल्लभ पन्त, तारादत्त गेरोला, और बद्रीदत्त पाण्डे थे। इसके बाद 1938 में श्रीदेव सुमन ने दिल्ली में 'गढ़देश सेवा संघ' की स्थापना की, जिसे बाद में 'हिमालय सेवा संघ' नाम दिया गया।

आजादी के बाद, 1950 में 'पर्वतीय जन विकास समिति' और 1967 में 'पर्वतीय राज्य परिषद' का गठन हुआ। ये संगठन उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थे।


प्रमुख आंदोलन और संगठन

  • 1979: मसूरी में 'उत्तराखण्ड क्रांति दल' (UKD) का गठन हुआ, जो राज्य आंदोलन का सबसे महत्वपूर्ण संगठन बना।
  • 1988: 'उत्तरांचल उत्थान परिषद' और 'उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति' जैसे संगठनों का गठन हुआ।
  • 1989: 'उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति' ने आंदोलन को नई दिशा दी।

1994 का जनआंदोलन और बर्बर घटनाएं

रामपुर तिराहा कांड (2 अक्टूबर 1994)

उत्तराखण्ड आंदोलन का यह सबसे काला दिन माना जाता है। राज्य की मांग को लेकर दिल्ली कूच कर रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा (मुजफ्फरनगर) में पुलिस ने गोलीबारी और बर्बरता की।

  • 7 आंदोलनकारी शहीद हुए।
  • कई महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ।
    इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और उत्तराखण्ड के आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

बाटा-घाट कांड (15 सितम्बर 1994)

मसूरी कूच कर रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज और गोलीबारी की।

  • कई आंदोलनकारियों को खाई में धकेला गया।
  • इस घटना ने पूरे उत्तराखण्ड को झकझोर कर रख दिया।

राजनीतिक प्रगति और राज्य का गठन

  • 1996: प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने 15 अगस्त को उत्तराखण्ड राज्य की घोषणा की।
  • 1998: उत्तरांचल राज्य विधेयक राष्ट्रपति के माध्यम से उत्तर प्रदेश विधान सभा को भेजा गया।
  • 2000: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में विधेयक संसद में पारित हुआ।
  • 9 नवंबर 2000: उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) का गठन हुआ।

FAQs: उत्तराखण्ड संघर्ष का सफरनामा

1. उत्तराखण्ड राज्य के गठन का मुख्य कारण क्या था?
उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों की उपेक्षा, विकास की धीमी गति, और क्षेत्रीय असमानताओं के कारण लोगों ने अलग राज्य की मांग की।

2. उत्तराखण्ड आंदोलन की शुरुआत कब हुई?
उत्तराखण्ड आंदोलन का आरंभ आजादी से पहले 1926 में कुमाऊँ परिषद के गठन से हुआ। यह क्षेत्रीय समस्याओं पर विचार करने वाला पहला बड़ा कदम था।

3. रामपुर तिराहा कांड क्या था?
2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में पुलिस ने बर्बर गोलीबारी की। इसमें 7 लोग शहीद हुए और कई महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ।

4. उत्तराखण्ड क्रांति दल (UKD) कब और क्यों बना?
उत्तराखण्ड क्रांति दल की स्थापना 1979 में मसूरी में हुई। इसका उद्देश्य उत्तराखण्ड को अलग राज्य के रूप में स्थापित करना था।

5. उत्तराखण्ड का नाम 'उत्तरांचल' से बदलकर 'उत्तराखण्ड' कब किया गया?
1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया, ताकि इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित किया जा सके।

6. उत्तराखण्ड आंदोलन में कौन-कौन से प्रमुख संगठन शामिल थे?

  • कुमाऊँ परिषद
  • उत्तरांचल परिषद
  • उत्तराखण्ड क्रांति दल
  • उत्तरांचल संयुक्त संघर्ष समिति
  • पर्वतीय जन विकास समिति

7. उत्तराखण्ड राज्य का गठन कब हुआ?
उत्तराखण्ड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ।

8. उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान अन्य प्रमुख घटनाएं कौन सी थीं?

  • बाटा-घाट कांड (15 सितम्बर 1994)
  • रामपुर तिराहा कांड (2 अक्टूबर 1994)
  • दिल्ली और उत्तराखण्ड में हुए जनांदोलन

9. उत्तराखण्ड गठन के लिए किसने विधेयक पास किया?
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 2000 में संसद में विधेयक पास हुआ, जिसके बाद उत्तराखण्ड राज्य का गठन हुआ।

10. उत्तराखण्ड आंदोलन में किसकी सबसे बड़ी भूमिका थी?
आम जनता, छात्र संगठनों, महिलाओं, और उत्तराखण्ड क्रांति दल की भूमिका इस आंदोलन में सबसे बड़ी थी।

11. उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तराखण्ड राज्य का मुख्य उद्देश्य था पहाड़ी क्षेत्रों की समस्याओं का समाधान करना, बेहतर प्रशासन देना, और स्थानीय संस्कृति और पहचान को संरक्षित करना।

12. उत्तराखण्ड आंदोलन से हमें क्या सबक मिलता है?
उत्तराखण्ड आंदोलन हमें सिखाता है कि एकता, संघर्ष, और बलिदान से बड़े से बड़े लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है।


उत्तराखण्ड का नामकरण

1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम बदलकर 'उत्तराखण्ड' कर दिया गया, जिससे इसकी सांस्कृतिक पहचान और मजबूत हुई।


संघर्ष का मूल्य और सबक

उत्तराखण्ड का गठन बलिदानों और संघर्ष की अमूल्य गाथा है। रामपुर तिराहा कांड और बाटा-घाट कांड जैसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि जनता के अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष कितना महत्वपूर्ण है।


निष्कर्ष

उत्तराखण्ड राज्य का सफरनामा एक प्रेरणादायक गाथा है। यह हमें बताता है कि जब लोग अपने अधिकारों और पहचान के लिए संगठित होते हैं, तो बड़े से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। उत्तराखण्ड आंदोलन न केवल राज्य के गठन की कहानी है, बल्कि यह साहस, बलिदान, और एकता का प्रतीक है।

शुभकामनाएं उत्तराखण्ड दिवस पर!
"जय उत्तराखण्ड, जय भारत!"

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