उत्तराखण्ड के प्रमुख त्यौहार | Uttarakhand ke Pramukh Tyohaar
मानव का स्वभाव सदैव आनंदमयी और उत्सव प्रेमी होता है। जीवन में सुख-समृद्धि, मान-सम्मान एवं प्रगति की कामना में निरंतर प्रयासरत रहते हुए, कभी-कभी असफलता, निराशा और थकान का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में त्योहार, मेले, नृत्य, गीत-संगीत और कला जीवन में उमंग और हर्षोल्लास लाते हैं। इन्ही तत्वों से जीवन में ऊर्जा और चेतना का संचार होता है।
उत्तराखण्ड राज्य भी इस दिशा में प्रमुखता से उभरता है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थानीय एवं क्षेत्रीय त्योहारों के साथ-साथ राष्ट्रीय त्योहार भी मनाए जाते हैं, जो प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। उत्तराखण्ड में प्रमुख रूप से मनाए जाने वाले कुछ विशेष त्योहार निम्नलिखित हैं:
1. फूलदेई त्योहार (Phooldei Festival)
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फूलदेई उत्तराखण्ड का एक प्रसिद्ध लोक पर्व है, जो चैत्र मास की संक्रांति में मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन की खुशी और स्वागत में मनाया जाता है, जब चारों ओर हरियाली छायी होती है और नये फूल खिलते हैं। इस दिन, बच्चे विभिन्न प्रकार के फूल जैसे फ्यूंली, बुरांश और कचनार आदि एकत्र करके घरों की दहलीज पर डालते हैं और गीत गाते हैं। साथ ही बड़े-बुजुर्ग बच्चों को चावल और गुड़ देते हैं। इसे स्थानीय संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है।
2. मरोज पर्व (Maroj Festival)
यह पर्व उत्तरकाशी जिले के रूपिन घाटी में मनाया जाता है। प्रत्येक जनवरी में यह पर्व उत्साह और उमंग का प्रतीक बनकर आता है। इस दौरान विभिन्न प्रकार के पकवान तैयार किए जाते हैं, और स्थानीय नृत्य जैसे रासो और तांदी नृत्य का आयोजन किया जाता है। मरोज पर्व पुराने हिमपात की चुनौतियों से उबरकर उत्सव मनाने की परंपरा है, जो अब एक जीवन के प्रति सकारात्मक सोच और उत्साह का प्रतीक बन चुका है।
3. इगास पर्व (Igas Festival)
इगास पर्व गढ़वाल क्षेत्र का प्रमुख त्यौहार है, जो दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाया जाता है। इसे "बूढ़ी दीपावली" भी कहा जाता है। इस दिन भैलो खेलने का विशेष रिवाज है, जहाँ लोग चीड़ की लकड़ी से बने भैलो को जलाकर नृत्य करते हैं। इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है और यह वीर माधो सिंह भंडारी के युद्ध विजय से जुड़ा हुआ है।
4. गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)
गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्लपक्ष के पहले दिन मनाई जाती है। इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। इस दिन दुधारू पशुओं को अच्छे से नहलाया-धुलाया जाता है, फूलों की माला पहनाई जाती है, और उनकी पूजा की जाती है। यह प्रकृति और पशुपालन से जुड़े एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाया जाता है।
5. भैलो खेलने का रिवाज (Bhailo Playing Tradition)
इगास पर्व में भैलो खेलने की एक विशेष परंपरा है, जहाँ चीड़ की लकड़ी से तैयार भैलो को जलाकर, लोग गाते-बजाते हुए उसे घुमाते हैं। यह परंपरा पूर्वजों की उस आस्था का प्रतीक है, जो जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को दर्शाती है।
इन प्रमुख त्यौहारों के अलावा, उत्तराखण्ड में अन्य कई सांस्कृतिक उत्सव मनाए जाते हैं जो यहाँ की स्थानीय परंपराओं, आस्थाओं और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवित रखते हैं। यह त्यौहार ना केवल मनोरंजन का अवसर होते हैं, बल्कि एकता और सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देते हैं।
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1. फूलदेई त्योहार क्या है?
उत्तर: फूलदेई उत्तराखण्ड का एक प्रसिद्ध लोक पर्व है, जो चैत्र मास की संक्रांति में मनाया जाता है। यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन की खुशी और स्वागत में मनाया जाता है। बच्चे विभिन्न फूलों को घरों की दहलीज पर डालते हैं और बड़े-बुजुर्ग उन्हें चावल और गुड़ देते हैं।
2. मरोज पर्व किस क्षेत्र में मनाया जाता है?
उत्तर: मरोज पर्व उत्तरकाशी जिले के रूपिन घाटी में मनाया जाता है। यह पर्व उत्साह और उमंग का प्रतीक बनकर आता है और विभिन्न पकवानों और नृत्य की परंपरा से जुड़ा है।
3. इगास पर्व का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: इगास पर्व गढ़वाल क्षेत्र का प्रमुख त्योहार है, जो दीपावली के ग्यारह दिन बाद मनाया जाता है। इसे "बूढ़ी दीपावली" भी कहा जाता है। इस दिन भैलो खेलना और चीड़ की लकड़ी से जलाए गए भैलो के साथ नृत्य करना एक पारंपरिक रिवाज है।
4. गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर: गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्लपक्ष के पहले दिन मनाई जाती है। इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, जिसमें गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। यह पर्व प्रकृति और पशुपालन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पर्व है।
5. नाग पंचमी का त्योहार कब मनाया जाता है?
उत्तर: नाग पंचमी श्रावण माह की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन लोग नाग देवता के मंदिरों में पूजा करते हैं और नागों को दूध पिलाने की परंपरा का पालन करते हैं।
6. बिखौती त्योहार क्या होता है?
उत्तर: बिखौती उत्तराखंड का एक प्राचीन त्योहार है, जो बैशाख माह के पहले दिन मनाया जाता है। यह दिन बच्चों को तालू लगाने की परंपरा से जुड़ा होता है और मेलों का आयोजन भी किया जाता है।
7. हरेला पर्व का क्या महत्व है?
उत्तर: हरेला कुमाऊं का प्रसिद्ध त्योहार है, जो श्रावण माह की संक्रांति को मनाया जाता है। इस दिन सात प्रकार के अनाज बोकर उन्हें अंधेरे में रखा जाता है और फिर परिवार के बुजुर्ग इसे काटकर परिवार के सदस्यों को चढ़ाते हैं।
8. घुघुतिया त्योहार कब मनाया जाता है?
उत्तर: घुघुतिया कुमाऊं में मकर संक्रांति को मनाया जाता है। इस दिन लोग आटे, गुड़ और घी से घुघुत नामक आकृतियाँ बनाते हैं, जिन्हें तेल में तला जाता है। यह त्योहार खासकर बच्चों और परिवारों के लिए खुशी का अवसर होता है।
9. श्री गंगा दशहरा का महत्व क्या है?
उत्तर: श्री गंगा दशहरा ज्येष्ठ माह की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं और गंगा की पूजा की जाती है। यह दिन माँ गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है।
10. रामलीला उत्तराखंड में कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: रामलीला उत्तराखंड में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। विशेष रूप से अल्मोड़ा की रामलीला प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान राम के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का चित्रण किया जाता है।
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