उत्तराखण्ड का राज्य प्राप्ति हेतु संघर्ष आन्दोलन (The struggle for the attainment of the kingdom of Uttarakhand)

उत्तराखण्ड का राज्य प्राप्ति हेतु संघर्ष आन्दोलन

The Struggle for the Attainment of the Kingdom of Uttarakhand

उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना अनेक संघर्षों और बलिदानों का परिणाम है। यह संघर्ष लगभग छह दशकों तक चला, जिसमें आंदोलनकारियों ने अदम्य साहस और बलिदान दिखाया। आइए, इस ऐतिहासिक आंदोलन की मुख्य घटनाओं पर एक दृष्टि डालते हैं:


प्रारंभिक संघर्ष और प्रेरणा

1938:

  • 5-6 मई: श्रीनगर (गढ़वाल) में आयोजित कांग्रेस के विशेष राजनैतिक सम्मेलन में पं. जवाहरलाल नेहरू ने पर्वतीय क्षेत्रों को अपनी संस्कृति और विकास के लिए विशेष अधिकार देने की बात कही।
  • श्रीदेव सुमन ने दिल्ली में गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की, जिसे बाद में हिमालय सेवा संघ नाम दिया गया।

स्वतंत्रता संग्राम के बाद का दौर

1946:

  • हल्द्वानी सम्मेलन: बद्रीदत्त पाण्डे ने पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा देने और अनसूया प्रसाद बहुगुणा ने कुमाऊं-गढ़वाल को पृथक इकाई बनाने की मांग की।

1950:

  • आजादी के बाद पर्वतीय जन विकास समिति का गठन हिमालयी राज्य (हिमाचल और उत्तराखंड) की मांग को लेकर किया गया।

1952-1955:

  • मार्क्सवादी नेता पी.सी. जोशी ने उत्तराखंड की आवाज उठाई।
  • 1954: विधान परिषद सदस्य इन्द्र सिंह नयाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत से पर्वतीय क्षेत्र के विकास की योजना बनाने का आग्रह किया।
  • 1955: फजल अली आयोग ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन आयोग को पर्वतीय क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की सिफारिश की।

उत्तराखंड राज्य निर्माण की प्रमुख घटनाएँ

1979:

  • उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) की स्थापना हुई।
  • प्रथम अध्यक्ष: डी.डी. पंत चुने गए।

1988:

  • शोभन सिंह जीना ने उत्तरांचल उत्थान परिषद की स्थापना की।

1991:

  • तत्कालीन भाजपा सरकार ने 20 अगस्त को पहली बार पृथक उत्तरांचल राज्य का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा।

1993:

  • मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अलग राज्य की मांग पर कौशिक समिति का गठन किया।

उत्तराखंड आंदोलन के काले दिन

1994:

  1. 1 सितंबर: खटीमा गोलीकांड: शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी, जिसमें 25 आंदोलनकारी शहीद हुए।
  2. 2 सितंबर: मसूरी गोलीकांड: प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा गोलीबारी, जिसमें 8 लोगों की मौत हुई।
  3. 2 अक्टूबर: रामपुर तिराहा (मुजफ्फरनगर) कांड: उत्तराखंड राज्य के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें 8 लोग शहीद हुए।
  4. 3 अक्टूबर: देहरादून गोलीकांड: प्रदर्शनकारियों पर फिर से गोलीबारी हुई।

अंततः उत्तराखंड राज्य का गठन

  • 9 नवंबर 2000: उत्तराखंड राज्य का गठन भारत के 27वें राज्य के रूप में हुआ। यह संघर्ष अपने आप में एक प्रेरणादायक इतिहास है, जिसने इस पर्वतीय प्रदेश को एक स्वतंत्र पहचान दिलाई।

याद रखें: उत्तराखंड राज्य प्राप्ति का यह संघर्ष उन वीर आंदोलनकारियों को समर्पित है, जिन्होंने अपने जीवन की आहुति देकर इस सपने को साकार किया। उनकी कुर्बानियों को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

जय उत्तराखंड! जय देवभूमि!

उत्तराखंड का राज्य प्राप्ति हेतु संघर्ष आंदोलन

उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ, लेकिन इसे हासिल करने का संघर्ष दशकों तक चला। यह आंदोलन सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए एकजुट पर्वतीय लोगों के संघर्ष का परिणाम था। आइए इस आंदोलन की प्रमुख घटनाओं और योगदानों पर प्रकाश डालते हैं:


1. 1938: कांग्रेस का श्रीनगर सम्मेलन

5-6 मई, 1938 को श्रीनगर (गढ़वाल) में कांग्रेस के विशेष राजनीतिक सम्मेलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा:

"इस पर्वतीय अंचल को अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति को समृद्ध करने का अवसर और अधिकार मिलना चाहिए।"


2. गढ़देश सेवा संघ की स्थापना (1938)

श्रीदेव सुमन ने दिल्ली में गढ़देश सेवा संघ की स्थापना की, जिसे बाद में हिमालय सेवा संघ का नाम दिया गया। यह संघ पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।


3. 1946: हल्द्वानी सम्मेलन

  • बद्रीदत्त पांडे ने पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव रखा।
  • अनसूया प्रसाद बहुगुणा ने कुमाऊं और गढ़वाल को पृथक इकाई के रूप में गठित करने की बात कही।

4. 1950: पर्वतीय जन विकास समिति का गठन

आजादी के बाद हिमाचल और उत्तराखंड के लिए 'पर्वतीय जन विकास समिति' का गठन किया गया।


5. 1952: पी.सी. जोशी की मांग

मार्क्सवादी नेता पी.सी. जोशी ने पर्वतीय क्षेत्र के लिए विशेष अधिकारों की मांग उठाई।


6. 1954: विकास योजना का आग्रह

विधान परिषद के सदस्य इंद्र सिंह नयाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत से पर्वतीय क्षेत्र के लिए एक विशेष विकास योजना बनाने का आग्रह किया।


7. 1955: फजल अली आयोग

फजल अली आयोग ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन आयोग में पर्वतीय क्षेत्र को अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव दिया।


8. उत्तराखंड क्रांति दल (1979)

1979 में उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना हुई, जिसने अलग राज्य की मांग को आंदोलन का मुख्य मुद्दा बनाया। इसके पहले अध्यक्ष डी.डी. पंत बनाए गए।


9. 1988: उत्तरांचल उत्थान परिषद

शोभन सिंह जीना ने उत्तरांचल उत्थान परिषद की स्थापना की, जिसने क्षेत्रीय विकास और राज्य गठन के प्रयासों को गति दी।


10. 1991: भाजपा सरकार का प्रस्ताव

20 अगस्त 1991 को तत्कालीन भाजपा सरकार ने केंद्र को उत्तरांचल के गठन का प्रस्ताव भेजा।


11. 1993: कौशिक समिति का गठन

मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अलग राज्य की मांग पर विचार करते हुए कौशिक समिति का गठन किया।


12. 1994: जनांदोलनों का चरम

  • 1 सितंबर 1994: खटीमा गोलीकांड, जिसमें 25 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई।
  • 2 सितंबर 1994: मसूरी गोलीकांड, जिसमें 8 प्रदर्शनकारी मारे गए।
  • 2 अक्टूबर 1994: रामपुर तिराहा (मुजफ्फरनगर) कांड, जिसमें 8 प्रदर्शनकारी मारे गए।
  • 3 अक्टूबर 1994: देहरादून में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी।

13. 1994: "खमीर दा" घटनाओं का संदर्भ

  • ख: खटीमा गोलीकांड
  • मी: मसूरी गोलीकांड
  • र: रामपुर तिराहा कांड
  • दा: देहरादून गोलीकांड

नतीजा:

कई दशकों तक चले इस संघर्ष के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को भारत का 27वां राज्य घोषित किया गया। यह पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों की एकता, त्याग, और संघर्ष की जीत थी।


कविता:

"संघर्ष की मशाल"
पहाड़ों की गोद में जन्मी, ये संघर्ष की ज्वाला थी,
हर बलिदानी के लहू से, ये राज्य की माला थी।
खटीमा, मसूरी, रामपुर तिराहा याद दिलाते हैं,
हर जख्म ये गवाही देते, कैसे कदम बढ़ाते हैं।

आओ मिलकर संजोएं इसे, जो वीरों ने पाया था,
संघर्ष से मिली ये भूमि, हमारे दिल का साया था।

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