घिंघारू के फलों में उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता है।

 घिंघारू (टीगस नूलाटा) में हैं अनेक गुण

घिंघारू के फलों में उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता है।


आड़ू और बेडू के साथ पहाड़ में घिंघारू (टीगस नूलाटा) की झाडिय़ां भी छोटे-छोटे लाल रंग के फलों से लकदक हो जाती हैं। मध्य हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में समुद्रतल से 3000 से 6500 फीट की ऊंचाई पर उगने वाला घिंघारू रोजैसी कुल का बहुवर्षीय झाड़ीनुमा पौधा है। बच्चे इसके फलों को बड़े चाव से खाते हैं और अब तो रक्तवर्द्धक औषधि के रूप में इसका जूस भी तैयार किया जाने लगा है। विदेशों में इसकी पत्तियों को हर्बल चाय बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में पाया जाने वाला उपेक्षित घिंघारू हृदय को स्वस्थ रखने में सक्षम है। उसके इस गुण की खोज रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान पिथौरागढ़ ने की है। संस्थान ने इसके फूल के रस से हृदयामृत तैयार किया है।
Gringaru fruits have the ability to relieve the aforementioned blood pressure and disease like hypertension.


 घिंघारू के फलों में उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता है। जबकि, इसकी पत्तियों से निर्मित पदार्थ त्वचा को जलने से बचाता है। इसे एंटी सनवर्न कहा जाता है। साथ ही पत्तियां कई एंटी ऑक्सीडेंट सौंदर्य प्रसाधन और कॉस्मेटिक्स बनाने के उपयोग में भी लाई जाती है। घिंघारू की छाल का काढ़ा स्त्री रोगों के निवारण में लाभदायी होता है। छोटी झाड़ी होने के बावजूद घिंघारू की लकड़ी की लाठियां व हॉकी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं।
[ हिसालू हिसालू की जात बड़ी रिसालू है, पर उसका काव्यफल बड़ा रसालू है ] [ खट्ठा-मीठा मनभावन फल काफल ] [“हिसालू”, उत्तराखंड का अद्वितीय और बहुत स्वादिष्ट ] [ पहाड़ी फल तिमले का लाजवाब जायका ] [भमोरे का फल स्ट्रॉबेरी की तरह लाल हो जाता ] [घिंघारू के फलों में उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता है।]

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