राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल/पर्यटक स्थल पंचप्रयाग

राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल/पर्यटक स्थल पंचप्रयाग 

 (Panchprayag, the main religious place / tourist place of the state) 

दो नदियों के संगम को प्रयाग कहा जाता है। किंवदन्ती के अनुसार शिव की जटाओं से 3 धाराओं भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी का जहाँ जहाँ पर संगम हुआ या जिस नदी पर ये तीनों धाराएं मिली वहां पर प्रयाग बनते चले गये और कालान्तर में ये प्रयाग प्रमुख तीर्थ स्थलों में बदल गये।

उत्तराखण्ड में पंच प्रयाग Panch Prayag in Uttarakhand

हरिद्वार से यात्रा करने पर पंचप्रयाों का सही क्रम देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, विष्णुप्रयाग

1 देवप्रयाग यह प्रयाग अलकनंदा और भागीरथी के संगम पर हरिद्वार से 94 किमी. की दूरी पर स्थित है। जनश्रूतियों के अनुसार सतयुग में देवशर्मा नामक ब्राह्मण ने यहां पर भगवान विष्णु की तपस्या की थी। इसलिए इसका नामक देव प्रयाग पड़ा। देवप्रयाग का अन्य नाम इन्द्रप्रयाग है। देवप्रयाग पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है। देवप्रयाग का प्रसिद्ध मंदिर रघुनाथ मंदिर है यहां पर अलकनंदा की ओर से वशिष्ठ कुंड व भागीरथी की ओर से ब्रह्मकुण्ड है। हिन्टः वठ। के देवप्रयाग, । अलकनंदा ठ. भागीरथी

2 रूद्रप्रयाग ऋशिकेष से 139 किमी. की दूरी पर अलकनंदा और मंदाकिनी के संगम पर रूद्रप्रयाग स्थित है। जनभूतियों के अनुसार नारद ने यहां पर ऊँ नमः शिवायः मंत्र से शिव जी की अराधना कर संगीत का ज्ञान का प्राप्त किया था इसलिए रूद्रप्रयाग को रूद्रावर्त भी कहते हैं। रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम का मुख्य मार्ग प्रारम्भ होता है। हिन्ट तड रूद्र प्रयागए । अलकनंदा ड. मंदाकिनी।

3 कर्णप्रयाग चमोली जनपद में स्थित बद्रीनाथ मार्ग पर कर्णप्रयाग स्थित है। यह अलकनंदा और पिण्डर नदी के संगम पर स्थित है। जनभूतियों के अनुसार यहां पर कर्ण ने सूर्य की अराधना कर अभेद्य कवच प्राप्त किया। यहां पर एक कर्ण मंदिर भी स्थित है और यहां पर उमा देवी का विशाल प्राचीन मंदिर भी है। हिन्टः ज्ञ ज्ञ. कर्ण प्रयागए । अलकनंदा ६ पिण्डर

4 नंदप्रयाग यह प्रयाग ऋशिकेश -बद्रीनाथ मार्ग पर अलकनंदा व नंदाकिनी के संगम पर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार सत्यवादी राजा नंद ने यहां पर तपस्या की। हिन्ट छ।छ छ, नंद प्रयाग अलकनंदा छ नंदाकिनी। नंद प्रयाग अलकनंदा छ नंदाकिनी।

5 विष्णु प्रयाग यह प्रयाग जोशीमठ से 10 किमी की दूरी पर विष्णु गंगा (अलकनंदा) और धौलीगंगा के संगम पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां पर नारद जी ने अष्टाक्षरी मंत्रों का जाप करके भगवान विष्णु का साक्षात् दर्शन प्राप्त किया। हिन्ट ट2 के । ट2 - विष्णुप्रयाग, और विष्णुगंगा। व धौलीगंगा। अलकनंदा का एक अन्य नाम विष्णुगंगा भी है।

अन्य प्रयाग

1. केशव प्रयाग यह प्रयाग बद्रीनाथ के पास माणा गांव पर स्थित है यहां पर अलकनंदा और सरस्वती का संगम है। श्री वेदव्यास ने सरस्वती नदी के तट पर श्रीमद्भागवत की रचना की।

2 सोन प्रयाग रूद्रप्रयाग जिले में स्थित यह प्रयाग मन्दाकिनी और सोन नदी के संगम पर स्थित है।

3 गणेश प्रयाग पुरानी टिहरी में भागीरथी और भीलांगना के संगम पर स्थित है।

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