त्रियुगीनारायण भगवान शिव की विवाहस्थली जहाँ मंदिर में अखंड ज्योति कई युगों से जल रही है रुद्रप्रयाग उत्तराखन्ड

 त्रियुगी नारायण भगवान शिव की विवाहस्थली  

1  भगवान श‌िव को पत‌ि रूप में पाने के ल‌िए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी वह है केदारनाथ के पास स्‍थ‌ित गौरी कुंड यहां का पानी सर्दी में भी गर्म रहता है।

Triyugi Narayan is the marriage place of Lord Shiva where the unbroken flame in the temple has been burning for many ages. 

2  गुप्तकाशी में देवी पार्वती के व‌िवाह  प्रस्ताव को  भगवान श‌िव ने स्वीकार कर ल‌िया तब  उत्तराखंड के #रुद्रप्रयाग ज‌िले में इनकी शादी हुई।

3   श‌िव पार्वती के व‌िवाह में ब्रह्मा जी पुरोह‌ित बने थे। व‌िवाह पूर्व ब्रह्मा जी ने   ब्रह्मकुंड में स्‍नान क‌िया था। तीर्थयात्री इस कुंड में स्नान करके ब्रह्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

4  मंदिर के अंदर प्रज्वलित अग्नि कई युगों से जल रही है इसलिए इस स्थल का नाम त्रियुगी हो गया यानी अग्नि जो तीन युगों से जल रही है। 

5  त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह में विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे। उस समय सभी संत-मुनियों ने इस समारोह में भाग लिया था। विवाह स्थल के नियत स्थान को #ब्रहम शिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है।

6  विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहते हैं। इन तीनों कुंड में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था और इसलिए ऐसी मान्यता है कि इन कुंड में स्नान से संतानहीनता से मुक्ति मिल जाती है।

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